मुंशी प्रेमचंद को जानने के लिए उनकी पुस्तकों की पाठशाला पढ़ना जरूरी-साहित्यकार कृष्णकांत श्रीवास्तव
सामाजिक विसंगतियों पर मुंशी जी ने किया प्रहार- इंद्र भूषण कोचगवे जनसंदेश न्यूज़ वाराणसी। साहित्य के शिखर पुरुष मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिन पर ‘सच की दस्तक’ के तत्वाधान में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में भाग लेते हुए प्रसिद्ध रंगकर्मी, साहित्यकार कृष्ण कांत श्रीवास्तव ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद के लिए उनकी पुस्तकों की पाठशाला में पढ़ना जरूरी है। उनके मानसरोवर में डूब कर यह समझना जरूरी है कि यथार्थ क्या होता है, त्रासदी क्या होती है? कहा कि उन्होंने अपनी जिंदगी में जो कुछ भी लिखा वह कल्पना नहीं थी बल्कि जो उन्होंने देखा उसी को लिखा। सामाजिक बुराइयों को मुंशी प्रेमचंद ने पहले ही भांप लिया था और उसी पर अपनी लेखनी चलाई थी। उन्होंने दशकों पहले जो अपनी लेखनी के माध्यम से सबके सामने लाने का प्रयास किया था निश्चित तौर पर आज सच साबित हो रहा है। संगोष्ठी में भाग लेते हुए साहित्यकार इंद्र भूषण कोचगवे ने कहा कि जिस समय गुलाम भारत के राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक विसंगतमयी अस्त-व्यस्त परिदृश्य का मानचित्र अंग्रेजी साम्राज्यवादी शोषण नीतियों से अत्यधिक दयनीय हो