सरकारी धन को कैसे लगाएं ठिकाने, जिले के शिक्षा माफियाओं से जानें, 17 संस्थानो से 65 लाख का गबन

एक ही बैक में खुले विभिन्न स्कूलो कें सभी लाभार्थियों के खातें

जनसंदेश न्यूज
गाजीपुर। सरकारी धन को किस तरह से ठिकाने लगाया जाता है, जिले में नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल के जरिए छात्रवृत्ति घोटालों से पता चलता हैं। स्कूली बच्चों का फर्जी संख्या दिखाकर जालसाजों ने करोड़ो रुपए गबन कर दिया हैं। योजना में आवेदन के समय छात्रों के नाम पर परिवार के सदस्यों सहित रिश्तेदारों और जान पहचान के लोगों को शामिल कर दिया। 
इन सभी लोगों का उन बैंकों में खाते खुलवाएं जिनसे इनकी गहरी सांठ गांठ थी। इसके एवज में बैंक से लेन-देन की बात पर सहमति बनाई। विभाग से मिलकर इन सभी योजनाओं में बारीकियां हासिल किए। इसके अलावा विभाग में ऊपर तक पहुंच बनाकर अपने भेजे गए आवेदन में संख्या के आधार पर धनराशि को अधिक से अधिक मंजूरी दिलाने में भी विशेष भूमिका में रहें। इस कार्य मे विभागीय अधिकारी के करीबी संबंधित कम्प्यूटर ऑपरेटर से उन स्कूलों का पासवर्ड हासिल करना भी मुख्य हैं। इन जालसाजों ने सबसे पहले उन स्कूलों को चिन्हित किया जो अपने शिक्षण संस्थान में छात्रवृत्ति को लेकर गंभीर नहीं है, या जिनका इस विभाग में आना जाना न हों।
इतना ही नहीं उन संस्थाओं को निशाना बनाया जिनकी मान्यता प्राइमरी से जूनियर तक की हो। उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि यहां सरकार ने स्कॉलरशिप की योजना खत्म कर चुकी हैं। सहायता प्राप्त विद्यालय को भी नहीं छोड़ा हैं। शिक्षा व्यवसाय से जुड़े मास्टरमाइंड बने जालसाजी फर्जीवाड़ें की सारी हदें पार कर दी हैं। उन्होंने अपने प्राइमरी से जूनियर स्कूल की मान्यता लेकर उसको स्कॉलरशिप लेने के लिए इंटर कॉलेज बनाकर फर्जी संख्या दर्ज कर दिया हैं। चालाकी इतना किया कि खाते खोलने में विकलांग लोगों की काफी संख्या दिखा दिए हैं। जिनको बैंक या तो पकड़ नहीं पाया या उनसे मिल गया हो, साबित इसलिए हैं कि सभी पैसे उतर चुके हैं।  
बैंक फ्रेंचाइजी से जुड़े लोगों को यह बहुत आसानी से अपना शिकार बना लिए हैं। नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल में छात्रवृत्ति की बात करें तो  घोटाला नहीं महाघोटाला हुआ हैं। सूत्रों की बात पर यकीन करें तो 2012 से लेकर अब तक कई करोड़ सरकार के पैसे को ठिकाने लगा चुके हैं। मास्टरमाइंड बने शिक्षा माफिया अपने स्कूलों में पढ़ाई की व्यवस्था के बजाय सिर्फ योजनाओं में घोटाला की प्लानिंग बनाने में लगे रहते हैं। 
सूत्रों से मिली सूची के आधार पर 60 से 70 स्कूलों में इन सभी गरीब छात्रों के नाम पर डाका डालने वाले समाज में इज्जतदार बनकर बड़ी आसानी से जनता व छात्रों की हितैषी बने रहते हैं। जिले में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां इन लोगों ने स्कूल चिन्हित कर फर्जी संख्या दिखाकर विभाग से लेकर सरकार को न चुना लगाया हो। इसमे कुछ ऐसे कालेज भी शामिल हैं जिनके नाम पर छात्रवृत्ति उतार कर चुनौती दिया हैं। जिले में माफिया इस कदर बेखौफ हैं कि  जांच शासन स्तर से भी होगी तो निपट लिया जाएगा।


17 संस्थानों ने 463 छात्रों को किया पंजीकृत  


गाजीपुर। नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल योजना के जरिए विभिन्न संस्थानो ने 463 छात्रो की संख्या दर्ज कर छात्रवृति का आवेदन किया था। इस संस्थानों को लेकर सूत्रों ने दावा किया कि शिक्षा माफियाओं ने एस निकेतन सवादतपुरा में 38 , जूनियर हाई स्कूल सवादतपूरा में 34 , एस निकेतन धरवां में 28 , धरवा इंटर कालेज में 48 , लघु माध्यमिक विद्यालय मरदानपुर में 42 , आदर्श गौतम चौकड़ी में 44, जू. हा.स्कूल सिरगिथा में 29 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महान पलीवार में 29, सबुआ स्थित  इंटर कालेज में 22, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पवहारी बाबा में 14, वेद गरभा उमा विद्यालय 12, उ.मा. सिसौड़ा सौरम 28, उ मा विद्यालय मरदानपुर 22, एएस निकेतर  ढिटुआ में 10, जू.हा. स्कूल अन्धऊ 24, एस एस  अन्धऊ में  23 छात्रों के नाम पर नेशनल स्कॉलरशिप योजना के तहत पैसा उतारा है। मजेदार बात यह है कि   टोटल 463 छात्रों का खाता एक ही बैंक में खोला गया है । जिस बैक की खाता सख्या के पहले अंक (12268100000----) इस प्रकार है। जिसमें 12 हजार 600 से 14 हजार 600 तक की धनराशि भेजी गई है। जिसमें सरकारी धन का बंदरबाट किया गया है। सूत्रों के हिसाब से इन योजनाओं में  करीब 65 लाख का गबन किया गया है। 


 


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