राष्ट्र के समग्र विकास एवं समृद्धि को गति प्रदान करेगी नई शिक्षा नीति-प्रो. बीके सिंह


जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। भारत सरकार द्वारा जारी नई शिक्षा नीति अति व्यवहारिक व लोकहित में है, इसके लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आदरणीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की जितनी प्रशंसा की जाये वह कम है। यह बातें भारत सरकार के द्वारा जारी की गई नई शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए अन्तर विश्वविद्यालयीय अध्यापक शिक्षा केन्द्र, वाराणसी के निदेशक, प्रो. बी.के. त्रिपाठी ने कहीं। 
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 राष्ट्र के समग्र विकास एवं समृद्धि में नई दिशा एवं गति प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय संस्कृति के साथ-साथ सभी भाषाओं में पठन-पाठन की व्यवस्था जिस रूप में की गई है उसका चीर कालीन प्रतीक्षित रही। यह पहली बार पूरे राष्ट्र में ग्राम सभाओं, शिक्षण संस्थानों, सामाजिक संगठनों एवं विशेषज्ञ समूहों से व्यापक परामर्श कर जनसामान्य के अपेक्षा के अनुरूप शिक्षा नीति को अंतिम रूप दिया गया है।
नई शिक्षा नीति 2020 में विद्यालयीय शिक्षाकों एक नया स्वरूप देने का कार्य किया है जो विद्यार्थियों एवं शिक्षकों मंे परस्पर संबंध, विषयों की ग्राहयता तथा शिक्षण की गुणवत्ता इन सभी आयामांे को समृद्ध करेगा। शिक्षा नीति में पाठ्यचर्या के लचीलापन की जिस रूप में व्यवस्था की गई है वह क्षेत्रीय, राष्ट्रीय एवं वैश्विक परिवेश को ध्यान में रखते हुए शिक्षण को समृद्ध करने में अति सहायक होगा। शिक्षा नीति 2020 में छात्रों के समग्र विकास के मूल्यांकन की व्यवस्था भी अनुठी है,जो उनके व्यक्तित्व उनकी रूचि-अभिरूचि, विषयांगत रूचि, कौशल, उद्यम सास्कृतिक एवं सामाजिक लगाव तथा पारस्परिक सम्बंध आदि जैसे स्वभावों की अभिव्यक्ति प्रदान करने में समर्थ होगा तथा यह विद्यार्थियों के अपने भावी जीवन में निर्णय लेने में सहयोग प्रदान करेगा।
इस नीति 2020 के द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी अदभूत नवाचार प्रदान किए गये है। स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के लिए मल्टीपल इन्ट्री एवं एक्जीट, एकेडेमिक क्रेडिट बैंक की व्यवस्था की गई है जो उनके प्रतिभा को निखारने के लिए एक अदभूत प्रयास है। ग्रेड आधारित स्वायतत्ता की व्यवस्था भी स्वागत योग्य है। उच्च शिक्षा में मल्टी डिसिप्लीनरीटी हेतु नवाचारी व्यवस्था के लिए विशेष निर्णय लिए गये है। होलिस्टिक एण्ड मल्टी डिसिप्लीनरी शिक्षा ग्रहण करने का यह प्रावधान, छात्रों के सर्वांगीण विकास, कौशल विकास मनोनुकुल विषय चयन के प्रावधान का निर्णय ऐतिहासिक है। नई शिक्षा नीति से गुणवत्ता में वृद्धि के साथ शिक्षा एवं शिक्षण में आमूल-चूल परिवर्तन होगा ऐसा मुझे विश्वास है। अनुसंधान के लिए इस नीति में पर्याप्त अनुमोदन प्रदत्त है जिससे मेधावी छात्रों को अपने विशिष्ट विषयों में आगे बढ़ने तथा उच्चत्म मापदण्डों के अनुरूप नए शोध एवं नवाचार के लिए पूरा अवसर प्रदान करेगा। समावेशी रूप से तकनीक का प्रयोग करने का प्रावधान वैश्विक परिवेश के अनुरूप तथा समसामयिक है। लोकविद्या को स्थापित करने का निर्णय संस्कृति एवं परंपराओं के विकास के लिए तथा छात्रों में छुपी हुई क्षमता को अवसर प्रदान करेगा। दिव्यांगजनों को समृद्ध करने के लिए जो विशेष निर्णय लिये गये है वो नवाचार के साथ उनके अधिगम में सहायक होंगे। सभी स्थानीय भाषाओं का विकास एवं इ-कांटेेन्ट विकसित करने का प्रावधान भाषाओं को समृद्ध करने एवं अन्तर भाषिय क्षेत्रों के बीच संवाद स्थापित करने के लिए मील का पत्थर साबित होगा।


 


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