संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने सुरक्षा घोटाले से जुड़ी पत्रावली जब्त, पढ़िए क्या है मामला

-संविवि के कुलसचिव के तीखे तेवर से सहमे भ्रष्टाचारी

-संविदा सुरक्षाकर्मियों को अनियमित भुगतान की फिर से खुली फाइल

-जांच रिपोर्ट और आॅडिट विभाग की आपत्ति को किया गया दरकिनार



मनोज कुमार गुप्ता

वाराणसी। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में सुरक्षा घोटाले की फाइल एक बार फिर से खुल गई है। दो दिन पहले कुलसचिव राज बहादुर ने संविदा कर्मियों को अनियमित भुगतान से जुड़ी 851 पेज के दस्तावेज को अपने कब्जे में ले लिया हैं। जांच समिति द्वारा 2019 में ही रिपोर्ट सौंप दिये जाने के बावजूद अब तक यह ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था। कुलसचिव द्वारा दस्तावेज मांगे जाने के बाद इस पर कार्रवाई की उम्मीद बढ़ गई है। 

वर्ष 2016 में विश्वविद्यालय व बाम्बे सिक्योरिटी एंड कंसलटेंसी सर्विसेज के बीच परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर करार हुआ था। जिसमें यह उल्लेख किया गया था कि आयकर काटकर सुरक्षा एजेंसी को भुगतान किया जाएगा। लेकिन आयकर के कटौती के बगैर ही सुरक्षा एजेंसी को 12 लाख आठ हजार 367 रुपये का भुगतान कर दिया गया। मामला प्रकाश में आने के बाद  प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया। जिसमें प्रो. प्रेमनारायण सिंह, प्रो. दुगार्नंदन तिवारी, परीक्षा नियंत्रक विशेश्वर प्रसाद, चीफ प्राक्टर प्रो. आशुतोष मिश्र शामिल थे।

जांच समिति ने 2019 में ही विश्वविद्यालय प्रशासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। जिसमें वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि  किसी सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर के बगैर सुरक्षा एजेंसी को चार लाख 94 हजार 664 रुपये का भुगतान कर दिया गया, जो गंभीर वित्तीय अनियमितता है। इसके अलावा सुरक्षा संविदा कर्मियों की ड्यूटी लगातार तीन शिफ्टों में ड्यूटी दशार्यी गई है। जबकि एक ही व्यक्ति से 24 घंटे ड्यूटी लेना संभव ही नहीं हैं। और अगर ऐसा हुआ भी है तो यदि यह श्रम कानून का खुला उल्लंघन है। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि एजेंसी के फोटो स्टेट बिल में कटिंग भी की गई है। 

जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के इतने दिनों बाद भी अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जबकि जांच समिति ने इस मामले में लेखानुभाग को सीधे-सीधे जिम्मेदार ठहराया था। दूसरी ओर अस्थानीय निधि लेखा संपरीक्षा (आडिट विभाग) भी इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज करा चुका है। कुलसचिव द्वारा चीफ  प्राक्टर के पास रखी फाइल को अपने कब्जे में लेने के बाद इसको लेकर एक बार फिर से उम्मीद जगी है।


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