दो दिवसीय संत समागम का समापन, काशी विश्वनाथ काॅरिडोर का अवलोकन करने पहुंचे संत
जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। रविवार को दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में आयोजित अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय संत समागम का समापन हुआ। समारोह के दूसरे दिन सभी संतों ने काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंच कर जलाभिषेक किया उसके बाद काशी विश्वनाथ काॅरिडोर का निरीक्षण किया। संतों ने उक्त किए जा रहे कार्य की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।
संतों ने कहा कि कॉरिडोर की योजना पूर्ण होने के पश्चात् काशी आने वाले सभी दर्शनार्थियों को बाबा विश्वनाथ का दर्शन सुगमता से सुलभ होगा। कॉरिडोर निर्माण में विशेष रूप से सभी पूजास्थलों का विधिवत संरक्षण करते हुए ही विकास के कार्य किए जा रहे हैं। उक्त अवसर पर अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद जी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह इतिहास के पुनर्निर्माण का दौर है जिसमें सनातन सभ्यता के पुनर्लेखन का कार्य गति पर है। हम सभी के सामूहिक योगदान द्वारा सनातन धर्म व संस्कृति के विस्तार को और तिव्रता प्राप्त होगी जिससे इस संस्कृति पर प्रतिघात करने वाले आक्रांताओं का मनोबल टूटेगा और सनातन धर्म का अभ्युदय होगा।
काशी विश्वनाथ दर्शन व कॉरिडोर के भ्रमण के पश्चात् संत समिति की द्वितीय दिवस की बैठक हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय के प्रांगण में प्रारम्भ हुई। सर्वप्रथम राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने द्वितीय दिवस के दो प्रस्तावों को उपस्थित संत समाज के समक्ष रखा जिसे संत समाज ने कर्तल ध्वनि से समर्थन प्रदान करते हुए पारित किया।
जिन प्रस्तावों को रखा गया। उसमें पहला था अखिल भारतीय संत समिति के पूज्य संतों की यह सभा सर्वसम्मति से उत्तराखंड सरकार से यह आग्रह करती है कि वीतराग संत ब्रह्मलीन पूज्य वामदेव जी जो 1997 में ब्रह्मलीन हुए और 1998 में कल्याण सिंह सरकार द्वारा हरिद्वार, देहरादून, चैक का नाम पूज्य वामदेव जी के नाम पर रखा गया और 2006 में हरिद्वार, ऋषिकेश के पूज्य संतों द्वारा चैक पर प्रतिमा स्थापित हुई। नगर पालिका द्वारा प्रस्ताव पारित कर उस चैक का नाम स्वामी वामदेव चैक कर दिया गया। परन्तु 2016 में नेशनल हाइवे के पुनर्निर्माण के दौरान राज्य सरकार और निर्माण एजेंसियों द्वारा पूज्य संतों को आश्वासन देकर चैक से मूर्ति हटा दी गई परन्तु पुनरू स्थापित नहीं की गई।
संतों की यह सभा राज्य सरकार से यह मांग करती है कि कुंभ से पूर्व वीतराग संत ब्रह्मलीन पूज्य वामदेव (संस्थापक अखिल भारतीय संत समिति) की प्रतिमा पुनः चैक पर स्थापित की जाए।
दूसरे प्रस्ताव में अखिल भारतीय संत समिति के पूज्य संतों की यह सभा सर्वसम्मति से वाराणसी के सांसद एवं यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एवं उत्तर प्रदेश सरकार को धन्यवाद देती है कि उनके कुशल प्रबंधन में अयोध्या में वाल्मीकि रामायण में वर्णित अयोध्या के मूल स्वरूप को वापस लाने से लेकर अयोध्या के दिव्यतम एवं भव्यतम विकास के साथ श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर सनातन हिन्दू धर्म की धार्मिक राजधानी काशी में बाबा विश्वनाथ एवं मां गंगा के पावन स्वरूप को लौटाने में सहायक सिद्ध हो रहा है। उत्तर प्रदेश के अन्य तीर्थस्थल यथा मथुरा, वृंदावन, चित्रकूट, नैमिशारण्य, शुक्रताल, देवीपाटन आदि सभी तीर्थों के सम्यक् विकास का जो खाका राज्य सरकार ने खींचा है, उसके लिए अखिल भारतीय संत समिति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करती है।
सनातन हिन्दू धर्म के रक्षार्थ मठ-मंदिरों की सही जानकारी उनके रक्षणार्थ काशी में धर्मार्थ कार्य मंत्रालय का महानिदेशालय स्थापित करना एवं लव जिहाद से हिन्दू बहन-बेटियों को बचाने के लिए विशेष धर्मांतरणरोधी अध्यादेश लाकर एक सराहनीय कार्य किया है। इसके लिए अखिल भारतीय संत समिति उत्तर प्रदेश सरकार एवं विशेषतः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को हृदयतल से धन्यवाद ज्ञापित करती है।
उक्त प्रस्ताव के पारित होने के पश्चात् कुछ अन्य बिन्दुओं पर भी संतों ने अपने-अपने विचार रखें। सर्वप्रथम अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी अविचल दास जी महाराज ने कहा कि अखिल भारतीय संत समिति की शक्ति का प्रभाव सम्पूर्ण भारत पर है। हम सभी को सामूहिक शक्ति के प्रयासों द्वारा संतों का सम्मान बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। उक्त अवसर पर संत समिति के संरक्षक ज.गु. रामानंदाचार्य राजराजेश्वराचार्य जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संत समाज के वास्तविक धरातल पर विस्तार हेतु हमें अनाथ और कमजोर बच्चों को अपनी परम्परा से जोड़कर अपने धर्म स्थानों को मजबूत करना होगा। इस अवसर पर जगद्गुरु ने मैं भारत हूं...मैं भारत हूं... सभ्यता का पुरोधा हूं... की पंक्तियां भी गुनगुनाकर सुनाया।
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संत समिति को अपने सांगठनिक विस्तार हेतु कृत संकल्प होकर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि आने वाले दिनों में मैं स्वयं भारत के लगभग छह सौ जिलों की यात्राएं करूंगा और मेरा प्रयास होगा कि भारत के सभी जिलों में संत समितियों का गठन प्रमुखता से हो। साथ ही आगामी 14 जनवरी से 15 दिनों का मेरा प्रवास समाज के कमजोर वर्गों व दलितों के घर होगा जहां मेरा सम्पूर्ण प्रयास होगा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण में समाज के अंतिम व्यक्ति की भूमिका को मैं सुनिश्चित कर सकूं। हमें इतिहास से प्रेरणा लेनी होगी कि प्रभु श्रीराम ने स्वयं रावण के साथ युद्ध में वंचित सुग्रीव और नाव चलाने वाले केवट को साथ जोड़कर रावण को पराजित किया था। हमें भी प्रभु श्रीराम के पदचिह्नों पर चलते हुए समाज के वंचितों को भी धर्म की मुख्य धारा में जोड़ने का कार्य प्रमुखता से करना होगा। साथ ही साधुओं के साथ होने वाले किसी भी अनैतिक कृत्य के खिलाफ मैंने पहले भी आवाज उठाई है और आगे भी आप सभी के सहयोग से भारत के किसी भी भू-भाग में होने वाले अत्याचार का विरोध करूंगा।
अखिल भारतीय संत समिति के निदेशक ज.गु. रामानुजाचार्य वासुदेवाचार्य जी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें भारत के सभी मठों और धर्मस्थलों को प्रमुखता से संरक्षण करना होगा। साधु ने समाज की सुरक्षा के लिए सदैव आगे बढ़कर कार्य किया। आवश्यकता पड़ने पर संत समाज ने सरकार का भी सहयोग किया किन्तु हमें स्वयं संगठित प्रयासों द्वारा संत समाज के हितों के लिए भी तत्पर रहना होगा तभी हम सुरक्षित रह पाएंगे और जब हम सुरक्षित होंगे तभी हम दूसरों को भी सुरक्षित कर सकते हैं।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए ज.गु.शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने कहा कि कई बार सरकारें भी हिन्दू मान्यताओं को लेकर विरोधाभास की स्थिति में रही है क्योंकि मुस्लिमों, ईसाइयों के संस्थानों और सम्पत्ति के स्रोतों पर कभी-भी दृष्टिपात नहीं करती। यह हमारे हिन्दू सनातन संस्कृति के लिए अच्छी दृष्टि नहीं है। हालांकि वर्तमान सरकार ने सनातन संस्कृति के विस्तार के कुछ कार्य किए हैं, जो प्रशंसनीय है। साथ उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार किसी भी प्रकार के परिवर्तन किसी भी मंदिर में करना चाहती है तो वह एक समिति बनाकर ही किसी भी प्रकार के परिवर्तन के कार्य करे।
संत समिति की बैठक में आए हुए नामधारी संतों ने तजेंदर सिंह जी के नेतृत्व में परमपूज्य वासुदेवानंद सरस्वती जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर तजेंदर सिंह ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सनातन परम्परा को मानने वाले लोग हैं। धर्म जोड़ने का कार्य करता है और हम निरंतर इसी प्रक्रिया में संलग्न है। उक्त अवसर पर अखिल भारतीय संत समिति के प्रदेश पदाधिकारियों की भी घोषणा की गई।
उक्त बैठक के समापन अवसर पर अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती जी का इस अद्भुत आयोजन हेतु संत समाज द्वारा अभिनंदन किया गया। साथ ही इस आयोजन में प्रमुख रूप से योगदान देने वाले श्री बृजेश पाठक जी, श्री गोविंद शर्मा जी, श्री मयंक कुमार, श्री विनय तिवारी जी, श्री अजय उपाध्याय जी का भी अंगवस्त्रम से सम्मान हुआ।
उक्त अवसर पर प्रमुख रूप से आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री सुधिर सिंह, श्री हरिहर पांडेय, श्री मदनमोहन यादव, श्री रामप्रसाद सिंह, श्री आरपी सिंह, श्री अमन विश्वकर्मा, श्री राजेश प्रजापति जी, श्री अखिलेश पाठक जी, श्री नवीन तिवारी जी सहित अन्य लोगों का सहयोग रहा। आए हुए समस्त संतों व व्यवस्था की दृष्टि से संलग्न सभी सुधिजनों के प्रति स्वागत समिति के अध्यक्ष डॉ. सुनील मिश्र ने आभार व्यक्त किया।