काशी में संतों का महाकुंभ, संतों ने धर्म रक्षार्थ की चर्चा, राममंदिर को बताया भारत की गौरव का प्रतीक



जनसंदेश न्यूज़

वाराणसी। दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में शनिवार को अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के शुभारंभ हुआ। संतों के इस महाकुंभ का शुभारंभ ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती सहित अन्य साधु संतों संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। बैठक की शुरूआत हिन्दू धर्म के चारों वेदों का स्वास्ति वाचन काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी व बटुकों के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।

जिसमें अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविचल दास महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरि, महन्त फूलडोल बिहारीदास, स्वामी धर्मदेव, महन्त कमलनयन दास, महामंडलेश्वर अनन्तदेव गिरि, महन्त सुरेंद्रनाथ अवधूत, स्वामी देवेन्द्रानन्द गिरि, महामण्डलेश्वर जनार्दन हरि, स्वामी हंसानन्द तीर्थ, अखिल भारतीय संत समिति के संयुक्त महामंत्री महामण्डलेश्वर स्वामी मनमोहनदास (राधे-राधे बाबा), ब्रह्मर्षि अंजनेशानन्द सरस्वती, स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर ज्योतिर्मयानंद गिरि, महामंडलेश्वर ईश्वरदास, शक्ति शांतानंद महर्षि, महन्त गौरीशंकर दास, महन्त ईश्वर दास शामिल रहे।

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता पातालपुरी पीठाधीश्वर बालकदास महाराज ने देशभर से पधारे सभी संतों का काशी की पावन धरा पर स्वागत कतरे हुए कहा कि बाबा विश्वनाथ की पावन नगरी में पूज्य संतों का आगमन हम सभी काशीवासियों के लिए परम सौभाग्य है। आज काशी नगरी में ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसा कि संतों का कुंभ लगा हो। कहा कि काशी की आवाज पूरी दुनिया में गूंजती है। राम मंदिर निर्माण व सम्पूर्ण भारत में अन्य धर्म क्षेत्रों को लेकर संतों की आवाज सम्पूर्ण देश के लिए सनातन संस्कृति के अभ्युदय का मार्ग प्रशस्त करेगी।

धर्मार्थ कार्य और संस्कृति मंत्री राज्यमंत्री डॉ. नीलकण्ठ तिवारी ने कहा कि धर्मार्थ कार्य का विभाग सन् 1983 में ही बन गया था, लेकिन निदेशालय नहीं होने के कारण उसका किसी भी प्रकार से उपयोग नहीं हो पा रहा था। उन्होंने कहा कि इसकी स्थापना काशी में होने के साथ ही धर्म व पर्यटन से जुड़े विकास कार्यों को बल प्राप्त होगा।

संतों के प्रति भावों को प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि मैं ऐसे महापुरुषों के बीच आकर स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं। भारतीय सभ्यता में संस्कृति के बारे में कहा गया है कि आध्यात्मिक भाव का प्रकटीकरण ही संस्कृति है। हमारे सांस्कृतिक पक्ष को ध्वस्त करने के लिए कालांतर में अनेकों बार आक्रमण हुए। मुगलों और अंग्रेजों सहित विभिन्न आक्रांताओं ने कभी मां गंगा में स्नान करने को लेकर हम पर प्रतिबंध लगाया तो कभी मंदिरों में दर्शन-पूजन पर टैक्स लगाया। भगवा वस्त्र पहनने पर भी प्रतिबंध लगाया। तभी हमारे बीच संत रविदास जी आते हैं और कहते हैं कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। आप सभी संतों के संकल्प के कारण देश की राष्ट्रीयता बनी रही। 

संतों ने समाज में यह भाव जगाया कि कोई राजसत्ता हमारा राजा नहीं, हमारे राजा रामचंद्र हैं। इसीलिए प्रत्येक राज्य की आवश्यकता है कि वह धार्मिक स्थानों के संरक्षण व विकास के कार्य प्रमुखता से करें। आज उत्तर प्रदेश में अयोध्या, चित्रकूट, मथुरा, काशी सहित सभी स्थानों पर हमारे ऐतिहासिक स्थलों का विकास हो रहा है। आगे विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि विदेशों से कोई भी व्यक्ति जब दुनिया में सबसे बेहतर शासन की कल्पना करता है तो वह रामराज्य की कल्पना करता है तो वह उत्तर प्रदेश में ही अयोध्या पहुंचता है। मंत्री जी ने बताया कि सनातन संस्कृति के तीर्थ क्षेत्रों के ही कारण ही उत्तर प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में 18 स्थान से पहले स्थान पर पहुंच गया है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने कहा कि अयोध्या में 5 अगस्त 2020 में रामजन्मभूमि पूजन के पश्चात प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए जो अभियान चलाया गया है वह संतों के आशीर्वाद की ही देन है। राम मंदिर के लिए जुटाएं जा रहे चंदे का एक-एक दिन का हिसाब-किताब बैंकों में जमा हो जाएगा। इस कार्य के लिए तीन बैंकों (स्टेट बैंक, पंजाब बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा) की लगभग 46 हजार शाखाओं को लगाया गया है। निधि समर्पण अभियान में लगे कार्यकर्ताओं को इन रुपयों को अपने जेब में 48 घंटे से ज्यादा नहीं रखना है। 

व्यवस्था यह की गई है कि प्रतिदिन रात 11 बजे तक की सूचना बैंक मंदिर तीर्थ ट्रस्ट को दे देगा कि आज अमूक शाखा में इतने रुपये जमा हुए। बताया कि विभिन्न महानगरों के लगभग चार हजार वॉर्डों, चार लाख गांवों के 11 करोड़ परिवार तक निधि समर्पण अभियान में सम्पर्क की योजना है। इस कार्य में कार्यकर्ताओं के मेहनत से भरपूर सफलता मिलेगी। इसके लिए 10, 100 और 1000 रुपये के तीन कूपन बनाए गए हैं। सभी चेक रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र टस्ट के नाम से ही बनेंगे। 

अभियान को और संबल बनाने के लिए विभिन्न राज्यों में स्थानीय भाषाओं में पम्फलेट भी बंटवाए जा रहे हैं जिसमें राम मंदिर का इतिहास और गौरव लिखा हुआ है। पूरे विश्व में ऐसा संदेश जाना चाहिए कि यह राष्ट्र के सम्मान और अस्मिता का मंदिर बन रहा है। लाखों कार्यकर्ता छोटी-छोटी टोलियों में कार्य कर रहे हैं। चम्पत राय जी ने बताया कि श्रीराम मंदिर के लिए 14 जनवरी से शुरू हो रहे अभियान में सम्बंधित सभी जनपदों के कार्यकर्ताओं उच्च नेतृत्व में अपना-अपना सहयोग दें।

महानिर्वाणी अखाड़े के रविंद्रपुरी ने मां गंगा को प्रणाम करते हुए अपने सम्बोधन की शुरूआत की। काशी को वंदन करते हुए उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा हेतु और आने वाले समय में उत्पन्न चुनौतियों का समाधान प्रशस्त करने के लिए संत समाज को संगठित होना आवश्यक है।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविचल दास महाराज ने आए हुए सभी संतों व काशी के विद्वत समाज के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूरे भारत में वर्तमान सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों के विकास की जो नीतियां प्रभावी रूप से क्रियान्वित की जा रही हैं, मैं इसके लिए साधुवाद देता हूं। साथ ही अपेक्षा भी करता हूं कि काशी में आयोजित यह बैठक एक शृंखला के रूप में सम्पूर्ण भारत के क्षेत्र में आयोजित हो।

आयोजन समिति द्वारा राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के आयोजन व समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी लोगों को जगद्गुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद महाराज द्वारा अंगवस्त्रम से सम्मानित होने का अवसर प्राप्त हुआ। सम्मानित होने वाले प्रमुख लोगों में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. टीएन सिंह, लक्ष्मण आचार्य, डॉ. नीलकण्ठ तिवारी, अखिलेश खेमका, किशन जालान, हरिहर पाण्डेय, डॉ. एमजी राय, नीरज बदलानी सहित अन्य लोग शामिल थे। उद्घाटन सत्र का संचालन अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने किया। स्वागत वक्तव्य अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता पातालपुरी पीठाधीश्वर बालकदास महाराज ने प्रस्तुत किया। 


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