सामुदायिक भवन पर कब्जा, पति ने चलायी गांव की सरकार, इस गांव की निवर्तमान ग्राम प्रधान रहीं सिर्फ स्टांप पेपर

- ह्यूम पाइप लगाकर उखाड़ दिए गये खड़ंजे को नहीं बनवाया गया दोबारा

- पात्रों को आवास नहीं, पड़ोसियों की दया पर पहुंच पाते हैं अपने घर तक

- खेल मैदान पर दबंगों का कब्जा, कब्रिस्तान को ही बना लिया प्ले ग्राउंड



जनसंदेश न्यूज

चिरईगांव। उमरहा ग्राम पंचायत की निवर्तमान ग्राम प्रधान सुनीता सिंह ने अपने बीते पांच साल कार्यकाल में स्टांप पेपर की भूमिका में रहीं। गांव वाले कहते हैं कि उन्होंने सिर्फ कागजों पर ही गांव की सरकार चलायी। कामकाज तो उनके पति सुबीर सिंह ने संभाला। सिर्फ यही नहीं, सरकारी भवनों पर वॉल पेंटिंग में ग्राम प्रधान के नाम के साथ सुबीर ने अपना नाम भी लिखवा लिया। कई अन्य गांवों की तरह इस ग्रामसभा में भी विकास कार्यों को लेकर कहीं स्थानीय जनता में नाराजगी है तो कोई कार्यों को लेकर संतोष भी व्यक्त कर रहा है।



चिरईगांव विकास खंड उमरहा ग्राम पंचायत का कार्यकाल ख्रत्म हो चुका है फिर भी यहां केलोग सुबीर सिंह को ही ग्राम प्रधान के तौर पर जानते और मानते हैं। गांव की आबोहवा कुछ ऐसी है कि यहां से एक आईपीएस निकले हैं। साथ ही सैकड़ों लोग पुलिस और रेलवे में नौकरी करते हैं। आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को देखते हुए गंवई पॉलिटिक्स की हलचल इस गांव में भी बढ़ गयी है।



चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे कई लोगों ने ग्रामीणों के सुख-दुख में हिस्सेदारी बढ़ा दी है। वह जरूरतमंदों की हर हाल में मदद करने के लिए तैयार हैं। यहां मुख्य रूप से लोग खेती के जरिये जीवन-यापन करते हैं। गांव की मलिन बस्ती उमरहां और बरबसपुर में झोपड़ियों और जर्जर मकानों में रहने वालों की कमी नहीं। खपरैल व कच्चे जर्जर मकान, चारों ओर दिखती फैली गंदगी बताती है कि दोनों बस्तियों में सरकारी योजनाएं अपनी पहुंच नहीं बना सकी।



आवास योजनाओं के कई पात्र अपने एक अदद घर की आस में हैं। मलिन बस्ती का सरकारी हैंडपंप काफी दिनों से खराब है। यहां के लोग कुछ दूर स्थित डीह बाबा मंदिर के निकट से पानी लाते हैं। स्वच्छ भारत मिशन से जारी शौचालयों के निर्माण में मानक ताक पर रख दिये गये।



गांव के खेल मैदान पर दबंगों ने कब्जा जमा रखा है। फलस्वरूप गांव के युवक और बच्चों ने कब्रिस्तान को खेलकूद का स्थान बना लिया है। उमरहा में खुले सीवर का गंदा पानी सड़क पर बह रहा है। चारों ओर गंदगी का आलम है। खड़ंजा उखाड़कर ह्यूम पाइप लाइन लगा दिया गया। उसके बाद खड़ंजा मार्ग को उसके हाल पर छोड़ दिया। फलस्वरूप इस रोड की सूरत खस्ताहाल है।



सामुदायिक भवन पर कब्जा

गांव की मुसहर बस्ती में सामुदायिक भवन पर जूठन बनवासी का कब्जा है। उसने भवन के बरामदे में खाना बनाने के लिए मिट्टी का चूल्हा बनवा रखा है। दोनों कमरों पर जूठन का ही ताला लटक रहा है। ग्रामीणों को आरोप है कि एकओर पात्रों को आवास नहीं मिल रहा है और दूसरी ओर, सरकारी सामुदायिक भवन पर किये गये कब्जे को हटाने की आवश्यकता नहीं समझी गयी।



डस्टबिन में सुखा रहे धान

पंचायत राज विभाग ने गांव में गीला और सूखा कचरा रखने के लिए डस्टबिन उपलब्ध कराया था। गांव में जागरूकता का हाल यह है कि कूड़ा-करकट सड़क, गलियों व घरों के बाहर फैला रहता है और उन डस्टबिनों में पानी भरकर धान को भिगोने और सूखा धान रखने के लिए पात्र के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है। इस प्रकार यहां के डस्टबिन अनाज के कंटेनर के तौर पर प्रयोग हो रहे हैं।



झोपड़ियों में कट रही जिंदगी

गांव के निवासी जितेंद्र राम और बबिता का परिवार झोपड़ियों में दिन काट रहा है। उन्हें आवास की जरूरत है। उनकी झोपड़ी तक पहुंचने के लिए रास्ता तक नहीं है। पड़ोसियों के रहमोकरम पर दोनों परिवार के सदस्य अपनी-अपनी झोपड़ी में पहुंच पाते हैं। जितेंद्र के पास इस झोपड़ी के अलावा अपनी कोई जमीन नहीं है। 



मेरे कार्यों से परेशान हैं विरोधी: सुनीता सिंह

उमरहा की निवर्तमान ग्रामप्रधान सुनीता सिंह ने ग्रामीणों की ओर से लगाए गये आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैंने अपने कार्यकाल में खुद पहल करते हुए विकास कार्य कराए हैं। गांव में आरओ प्लांट, आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण, बुढ़ऊ बाबा मंदिर का सुंदरीकरण, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में इंटरलॉकिंग कार्य करवाया। इसके अलावा बरबसपुर धोबी बस्ती में जलनिकासी, बौली तालाब का घाट निर्माण, पात्रों को राशनकार्ड, विद्यालय का कायाकल्प, पंचायत भवन मरम्मत, सामुदायिक शौचालय, रामलीला मैदान के निकट स्नान घर निर्माण के कार्य करवाए। कुछ बस्तियों में विकास कार्य शेष रह गये हैं। विभिन्न स्थान पर कराए गये कार्यों में बकाया लगभग 22 लाख रुपये भुगतान अबतक नहीं मिला है। महिला ग्राम प्रधान रहने तक गांव की महिलाएं अपनी समस्या मुझसे शेयर करती रही हैं। हमने प्रत्येक जरूरतमंद की मदद की है इस कारण विरोधी लोग परेशान हैं।



गांव के पूर्व ग्राम प्रधान सूर्य कुमार ने आरोप लगाया कि उखाड़े गये खड़ंजे की मरम्मत नहीं करायी गयी। पात्रों को आवास नहीं मिला। जहां सीवर बैठाया, वहां के खड़ंजे खराब हाल में ही छोड़ दिये गये। पटेल बस्ती की उपेक्षा हुई। सीवर के ढक्कन टूटे हुए हैं। सफाईकर्मी की मनमानी कोई रोकने वाला नहीं है। गांव में साफ-सफाई नहीं होती। निवर्तमान ग्राम प्रधान ने कभी भी पंचायत की खुली बैठकों में हिस्सा नहीं लिया। उनके पति ही कामकाज संभालते रहे। ऐसा करना महिलाओं के अधिकारों का हनन और महिला सशक्तिकरण का मजाक उड़ाने जैसा है। यहां की ग्राम प्रधान स्टांप पेपर और कठपुतली की तरह सिर्फ हस्ताक्षर करने के लिए ही रहीं। ग्राम पंचायत को उनके पति ने मनमाने ढंग से संभाला।



गांव में हुए अच्छे कार्य 

ग्रामीण विजय चैरसिया ने दावा किया कि उमरहा के ग्राम प्रधान ने जितना विकास कार्य कराया उतने कार्य किसी अन्य ग्राम प्रधान ने नहीं कराए। कार्यकाल भले ही बीत चुका हो लेकिन गांव में अभी भी पहले से चल रहे विकास कार्य जारी हैं। उनके विरोधियों को गांव में अच्छे कराए गये अच्छे कार्य राास नहीं आ रहे हैं।



मानक के विपरीत बनाए इज्जत घर

रामसूरत राम उमरहा गांव के निवासी हैं। उन्होंने शौचालय निर्माण की क्वालिटी पर प्रश्नचिह्न लगाया। बोले, स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से बने इज्जत घरों की गुणवत्ता बेहद खराब है। टायलेट बनवाने के नाम पर लाभार्थियों को दो बोरी सीमेंट, दो पीस सरिया, 800 ईंट, आठ बोरी बालू और दरवाजा उपलब्ध करा दिया गया। सभी शौचालयों के दरवाजे टूट चुके हैं। सीवर और नालियों की सफाई नहीं होती। पात्रों को आवास, विधवा-वृद्धा पेंशन नहीं जारी हुआ।



पात्रों की नहीं हुई सुनवाई 

ग्रामीण पप्पू बोले, ग्राम प्रधान ने कार्य तो बहुत कराए लेकिन पेयजल समस्या पर ध्यान नहीं दिया। बस्ती के लोगों आज भी डीह बाबा के निकट से पीने का पानी लाना पड़ रहा है। बस्ती वाले कहते-कहते थक गये लेकिन पेयजल समस्या का समाधान नहीं किया गया। दूसरी ओर, आवासविहीन लोगों ने सरकारी योजनाओं में शामिल आवास की मांग की फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

प्रस्तुति: प्यारेलाल यादव


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