उपाधि के लिए विवि का चक्कर काटने को छात्र विवश, 2019 में परीक्षा पास कर अब तक कर रहे इंतजार
संविवि के हजारों छात्रों को अब तक प्राप्त नहीं हो सकी है स्थायी उपाधि
मनोज कुमार
वाराणसी। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के सत्र 2018-2019 के हजारों छात्रों को अब तक स्थायी उपाधि नहीं मिल सकी है। परेशान छात्र विश्वविद्यालय का चक्कर काटने को विवश है। कोरोना महामारी के कारण शास्त्री व आचार्या के छात्रों की उपाधि अब तक तैयार नहीं हो सकी है। जिसके कारण विद्यार्थियों को अस्थाई उपाधि से ही काम चलाना पड़ रहा है। इसको लेकर छात्रों में रोष भी है।
विश्वविद्यालयों में प्रति वर्ष दीक्षांत समारोह का आयोजन होता है। जिसमें मेधावी छात्रों को तो तत्काल स्थायी डिग्री प्रदान की जाती है, बाकि छात्रों को एक साल बाद स्थायी डिग्री दी जाती है, हालांकि उनको अस्थायी डिग्री तत्काल प्रदान कर दी जाती है। लेकिन वह छह माह के लिए ही वैध होती है। ऐसे में छह माह के बाद छात्रों को अस्थाई उपाधि के लिए दोबारा शुल्क जमा करना पड़ता है।
सत्र बीतने के लगभग दो साल बाद भी अभी तक विद्यार्थियों को स्थायी उपाधि नहीं प्राप्त हो सकी है। जिसके कारण विद्यार्थियों के सामने गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। दूसरी तरफ विश्वविद्यालय मेधावियों को उपाधि बांटकर कोरम पूरा कर लिया है। स्थायी उपाधि के लिए विश्वविद्यालय का चक्कर काट रहे कई विद्यार्थियों ने इसको लेकर रोष जताया है।
इस संबंध में संविवि के परीक्षा नियंत्रक विश्वेश्वर प्रसाद ने बताया कि कोरोना संकट के कारण इस बार उपाधि तैयार करने में थोड़ा विलंब हुआ। हालांकि अब लगभग सभी छात्रों की उपाधियां तैयार कर ली गई है। संबद्ध कालेजों को सत्र 2020-21 के छात्रों की नामावली जमा करने के लिए 30 जनवरी तक विश्वविद्यालय में बुलाया गया है। जहां 2019 की उपाधि व वर्ष 2020 का अंकपत्र वितरित करने की योजना है।