पंचायत चुनाव को लेकर बड़ा अपडेट, अब अंगूठा टेक नहीं लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव, इस महीने होगा चुनाव

लागू हो सकता है दो बच्चों वाला कानून, दोनों विकल्पों पर विचार कर रही सरकार

यूपी सरकार न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को अनिवार्य करने पर चल रहा है मंथन

अंगूठा टेक प्रधान, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष व प्रतिनिधि नहीं बन सकेंगे



जनसंदेश न्यूज

लखनऊ। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार और विकास कार्यों में शिक्षितों को सहभागी बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। ऐसा होगा तो किसी अंगूठा टेक व्यक्ति का प्रधान, ब्लॉक प्रमुख अथवा जिला पंचायत अध्यक्ष व प्रतिनिधि बन पाना संभव नहीं होगा। इस बारे में हरियाणा, राजस्थान और उड़ीसा जैसे राज्यों की पंचायत निर्वाचन प्रक्रिया का अध्ययन किया जा रहा है। इन राज्यों में ग्राम पंचायत सदस्य व प्रधान से लेकर क्षेत्रीय व जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव लड़ने वालों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य है। यहां अलग-अलग पदों के लिए कक्षा आठ से लेकर इंटरमीडिएट परीक्षा तक पास होना जरूरी है।

इस बीच पंचायती राज मंत्री भूपेन्द्र सिंह गुरुवार को मुरादाबाद में कहा कि कई प्रदेशों में पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की शैक्षिक योग्यता और दो बच्चों की बाध्यता वाला नियम लागू है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में भी ये मामला है लेकिन यूपी सरकार ने अभी इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि न ही अभी इस पर कोई चर्चा हुई है लेकिन ये सब मुख्यमंत्री के संज्ञान में है उन्हें इस पर निर्णय लेना है।

सूत्रों का कहना है कि पंचायतों की बदली व्यवस्थाओं में निर्वाचित प्रतिनिधियों का शिक्षित होना जरूरी है। ऐसा नहीं होने के कारण वार्षिक विकास योजना तैयार कराने व विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने में मुश्किलें आती हैं। वित्तीय खातों के संचालन में असुविधाएं झेलनी पड़ती हैं। यही वजह है कि अनपढ़ ग्राम प्रधान होने के कारण पंचायत सचिवों के भरोसे ही सभी व्यवस्थाएं चलती हैं। ऐसे हालात में वित्तीय अनियमितताओं की संभावना बनी रहती है। पंचायत प्रतिनिधियों का पढ़ा लिखा होना अनिवार्य किए जाने पर ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिक वातावरण तैयार करने में भी सहायता मिलेगी।

उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने के चंद दिन ही शेष बचे है। 26 दिसंबर को ग्राम प्रधानों का कार्यभार सहायक विकास अधिकारियों के हवाले कर दिया जाएगा। उधर, सरकार ने पंचायत चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। कोरोना संक्रमण के चलते पंचायत चुनाव समय पर नहीं हो पा रहे हैं। मार्च 2021 में पंचायत निर्वाचन प्रक्रिया आरंभ कराने की संभावना जताई जा रही है।

पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र चैधरी का कहना है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया में सुधार की दिशा में दो बच्चों से अधिक संतान वालों को लड़ने से रोका जा सकता है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार इस प्रकार का फैसला ले सकती है। ऐसा निर्णय होने की संभावना अभी बनी हुई है। पढ़ी-लिखी पंचायत और पंचायत के प्रतिनिधियों के लिये शैक्षिक योग्यता यह कुछ राज्य ने तय की है और कुछ राज्यों ने दो बच्चों के जिनके परिवार हैं। उनसे अधिक लोगों पर लड़ने वाले लोगों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया गया है। उचित निर्णय उनके आधार पर ही होगा। इस बाबत कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सिंह ने कहा कि 2022 यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन उस से पहले 2021 के पंचायत चुनावों में यूपी सरकार पूरे दम-खम से उतरने वाली है। और अगर दो बच्चों की बाध्यता और अनिवार्य शैक्षिक योग्यता की शर्त योगी सरकार चुनाव में लगा देती है तो ये यूपी में पंचायत चुनावों में बड़ा असर डालेगा।

मार्च के अंतिम सप्ताह तक चुनाव हो जाएंगे पूरे

लखनऊ। पंचायत राज्यमंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि अभी कुछ क्षेत्र नगर पंचायतों में नगर पालिका में सीमा विस्तार में जुड़े हैं। उन जुड़े जिलों से उनका पुनर्गठन का परिसीमन प्रस्ताव 28 दिसंबर तक आना है और उसे हम लोगों को पूरा करना है। शेष 4 जिले ऐसे हैं, जिनका परिसीमन पिछली बार नहीं हुआ था। ये मुरादाबाद, संभल, गोंडा, गौतमबुद्धनगर हैं, उन जिलों का भी परिसीमन का पुनर्गठन का काम चल रहा है। 14 जनवरी तक उसे भी हम लोग पूरा कर लेंगे। उसके बाद आरक्षण की प्रक्रिया है। आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करके फरवरी में चुनाव की अधिसूचना जारी कर देंगे। मुझे ऐसा लगता है कि मार्च के अंतिम सप्ताह तक चुनाव हम लोग संपूर्ण करा लेंगे उसके बाद 21 दिन की अधिसूचना के बाद जिला पंचायतों का क्षेत्र पंचायतों का चुनाव संपादित करा लेंगे। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि जो व्यवस्था है, हमारी 33 पर्सेंट बहनों के लिए आरक्षण है और समानता तथा 44ः महिलाएं निर्वाचित महिलाएं पंचायतों में प्रतिनिधि निर्वाचित होकर आई हैं। पिछली बार भी 33 परसेंट आरक्षण है महिलाओं को उसका पूरा पालन किया जाएगा।


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