युवाओं के अधिकारों और दायित्वों पर को लेकर चल रहा अभियान ‘छोटा मुंह, खरी बात......’
डाॅ. दिलीप सिंह
वाराणसी। भारत की 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 25 वर्ष से कम है, हाँ भारत एक युवा देश हैं। फिर भी इन युवाओं की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा है, क्यों? क्योंकि हमें लगता है कि वे बहुत छोटे हैं और वे अपने दम पर निर्णय नहीं ले सकते क्योंकि हमे ये भी लगता है कि उनके पास कोई अनुभव नहीं है।
भारत में अधिकांश युवा, लड़कियां और लड़कों, दोनों को आमतौर पर उन फैसलों से बाहर रखा जाता है जो उनके जीवन के दिशा को निर्धारित करता हैं जैसे कि स्कूल मे विषय का चुनाव हो या उनके कॅरियर का चुनाव हो अथवा विवाह का विषय हो या किसी सामाजिक विषय पर उनकी राय हो अथवा कुछ और...... हम उन्हे खुल कर उनके विचारों को रखने का अवसर ही नहीं देते है, इन युवा आवाजों को बढ़ाने और उन्हें एक साझा मंच देने के दृष्टि से जहां वे खुलकर संवाद कर सकते हैं, प्रवाह और मिलान फाउंडेशन ने माई लाइफ, मेरे फैसले (मेरा जीवन, मेरा फैसला ) कार्यक्रम शुरू किया।
मिलान फाउंडेशन के द्वारा पिछले दो सालों मे 6 जिलों-वाराणसी, चंदौली, आजमगढ़, जौनपुर, लखनऊ, और बलरामपुर में इस कार्यक्रम चलाया जा चुका है, जिसके तहत 12-18 वर्ष के आयु वर्ग के लड़कों और लड़कियों जिनकी संख्या 700 से अधिक रही के साथ कार्य किया गया । माई लाइफ मेरे फैसल कार्यक्रम का उद्देश्य एक ऐसा जगह बनाना है जहां किशोर, किशोरियाँ और युवा अपनी आकांक्षाओं को साझा कर सकते हैं, खुद को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं, अपनी क्षमता के अनुरूप सामाजिक रूप से जागरूक नेतृत्त्वकर्ता बन समाज के प्रासंगिक मुद्दों पर बात कर सकते हैं।
माई लाइफ, मेरे फैसले कार्यक्रम के अंतर्गत एक अभियान “छोटा मुह, खरी बात” जिसकी शुरुवात सितंबर माह 2020 से उत्तर प्रदेश के तीन जिलों वाराणसी, आजमगढ़ और जौनपुर में की गयी जिसमे 300 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया जिसमे युवा और वयस्क दोनों ही शामिल रहे। जिसका मुख्य उद्धेश्य था कि हमारे समाज में ना केवल युवाओं को बल्कि समुदाय के सभी लोगों को युवाओं के अधिकारों और उनके कर्तव्यों के बारें मे जानकारी हो और युवाओं और बुजुर्गों के बीच जो विचारों का मतभेद होता है और वें आपस में बातचीत भी नहीं करना चाहते है उन स्थितियों को बदला जाये जिससे की एक ऐसे स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके जहां सभी के लिए खुलकर बातचीत करने के अवसर हो। इस अभियान के दौरान जितने भी युवा जुड़े थे उन सभी का यह कहना था कि यह पहला अवसर है जहां युवा के अधिकार और दायित्वों की बात की गई और वें अपने विचारो को खुल कर कह सके और उन्होंने पहली बार इतना खुल कर अपने आस पास के बुजुर्गो से बात की।
हम आपको बताना चाहेंगे कि मिलान फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसकी स्थापना 2007 में हुई, मिलान चाहता है कि समाज मे गैर बराबरी दूर हो, हर लड़की को अपने सपनों का पीछा करने और उसे पूरा करने के लिए अपनी क्षमताओं को निखारने का अवसर मिल सके इसके लिए मिलान लगातार प्रयासरत है। विगत पाँच वर्षो से मिलान द्वारा चलाया जा रहा गर्ल आईकान कार्यक्रम मिलान के द्वारा किया गए प्रयासों का एक सफल उदाहरण है, पिछले 13 वर्षों में, मिलान फाउंडेशन ने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से 40,000 से अधिक किशोर किशोरियों के साथ काम किया है और विभिन्न राज्यस्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तर के मंचो पर उनके लिए सुरक्षित और अधिक समावेशी स्थानों की वकालत की है। 2030 तक, मिलान ने लिंग-आधारित समानता को प्राप्त करने के लिए 10 मिलियन लड़कियों को सशक्त बनाने की योजना बनाई है।