कविताःआत्महत्या नहीं समधान

 

कविताः

आत्महत्या नहीं समधान 

 

० प्रियंबदा तिवारी 

ऊब जाओ अगर इस जिंदगी से 

मौत के सिवा ना दिखे कोई डगर

याद कर लो मां को एक झलक

क्या होगी दशा, जिएं किस कदर

मिल जाएगा रास्ता, निकलेगा हल

ना सोचो आत्महत्या के बारे में

परिवार और संसार के बारे में

सबके जीवन में है नहीं है दुःख

दिखा दो कोई एक इंसान खुश

फिर क्यों उठा रहे गलत कदम

ख़त्म नहीं होगा तुम्हारा गम

लड़ने का जज्बा है तुझमें

बसा जुनून है तेरे खूनमें

बस हौसलों को दो उड़ान

जंग लड़ने को लो ठान

तुम हो भगवान की संतान  

आत्महत्या नहीं है समाधान 

जान देकर कोई नहीं बना महान

 

रचनाकारः प्रियंबदा तिवारी के पास बातों को कहने का स्पष्टवादी अंदाज है, जो इनकी रचनाओं को बेहतरीन बनाता है.'


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