वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर में दिखेगी मलाला के साहस की कहानी



डाॅ. दिलीप सिंह

इंदौर। गुल मकई के वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर में साहसी मलाला यूसुफजई की प्रेरक कहानी देखने के लिए तैयार हो जाइए जो नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित की जाने वाली सबसे कम उम्र की लड़की हैं। इस फिल्म में पाकिस्तान की खूबसूरत स्वात घाटी में पली-बढ़ी मलाला का रोमांचक सफर दिखाया गया है जिसने सिर्फ शांति और साहस के बल पर आतंकवाद का सामना किया था। यह उनके पिता की भी कहानी है जिन्होंने मलाला का साथ दिया और उसका भविष्य संवारा। जो अब एक प्रेरक कथा बन गई है। अमजद खान के निर्देशन में बनी गुल मकई में मलाला के रोल में रीम शेख हैं जिनके साथ अतुल कुलकर्णी और दिव्या दत्ता जैसे टैलेंटेड आर्टिस्ट्स ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। यह प्रेरणादायक कहानी 12 दिसंबर को शाम 6 बजे एंड पिक्चर्स आॅन नहीं  फुल आॅन पर दिखाई जाएगी।

इस फिल्म के बारे में बताते हुए अतुल कुलकर्णी ने कहा के  लाला के पिता का बड़ा महत्वपूर्ण रोल है जिन्होंने मलाइका को कम उम्र में ही शिक्षा का महत्व सिखाया। मैं इस बात का आभारी हूं कि मुझे स्क्रीन पर इतना महत्वपूर्ण रोल निभाने का मौका मिला। मैंने इस किरदार को पूरी सच्चाई के साथ निभाने के लिए जि“याउद्दीन यूसुफजई के बारे में काफी कुछ पढ़ा। गुल मकई मुझे आज भी भावुक कर देती है। मुझे एंड पिक्चर्स पर इस फिल्म के वर्ल्ड टीवी प्रीमियर का इंतजार है ताकि हम ज्यादा से ज्यादा दर्शकों को यह प्रेरणादायक कहानी दिखा सकें।



इस फिल्म के बारे में बताते हुए दिव्या दत्ता ने कहा कि मलाला यूसुफजई उन लड़कियों के लिए एक जीती जागती मिसाल हैं जो तमाम मुश्किलों से लड़कर ऊपर उठना चाहती हैं। मैं भी हमेशा से हमारी बच्चियों के सशक्तिकरण की बड़ी समर्थक रही हूं और ऐसे में मलाला की मां का रोल निभाना मेरे लिए एक खुशनुमा अनुभव रहा। हमने इस फिल्म को पूरी सच्चाई के साथ दिखाने के लिए इसके हर पहलू की अच्छी तरह रिसर्च और रिहर्सल की। यह जानकर बड़ी खुशी हो रही है कि बड़े पर्दे पर रिलीज होने के बाद गुल मकई अब टीवी स्क्रीन्स पर भी दिखाई जा रही है। 

गुल मकई नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई की कहानी है जब तालिबान ने स्वात घाटी में लगे शरिया कानून के बाद उन्हें निशाना बनाया था। इस कानून में लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंदी लगाई गई थी, लेकिन साहसी मलाला ने शिक्षा के महत्व और उपयोगिता को समझा और लड़कियों के अधिकार के लिए आतंकवाद के खिलाफ खड़ी हुईं।


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