चकिया में कोविडकाल की चुनौतियों पर संवाद, रचनाकारों और पत्रकारों के साथ, जानिक कब और कहां होगा कार्यक्रम?

 ० बीस दिसंबर को चकिया के तहसील सभागार में दोपहर में होगा आयोजन

० साहित्य जगत की जानी-मानी हस्तियों और पुस्तक प्रेमियों का होगा जमावड़ा

० कार्यक्रम में कोविड नियमों का पालन अनिवार्य, बिन मास्क के प्रवेश वर्जित 

 


चकिया (चंदौली)। साहित्य के लिए, साहित्य को समर्पित संस्था चंद्रप्रभा साहित्यिक समिति के तत्वावधान में आगामी वैश्विक संकटकाल में कोविड की चुनौतियों पर एक संवाद भी आयोजित किया जाएगा। यह कार्यक्रम चकिया तहसील सभागार में पूर्वाह्न 11.45 बजे से होगा। इस मौके पर चंदौली जिले के मूर्धन्य पत्रकारों व रचनाकारों को सम्मानित भी किया जाएगा। इस कार्यक्रम में चंदौली की साहित्यजगत की जानी-मानी हस्तियों और पुस्तक प्रेमियों का होगा जमावड़ा।

यह जानकारी चंद्रप्रभा साहित्यिक समिति के सचिव हरिवंश सिंह "बवाल" ने दी। उन्होंने बताया कि साहित्य सृजन में चंदौली समूचे देश में अहम स्थान रखता है। इस जनपद की विभूतियों ने साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में दुनिया भर में ख्याति अर्जित की है। ऐसे ख्यातिलब्ध पत्रकारों और रचनाकारों को चंद्रप्रभा शब्द अलंकरण से नवाजा जाएगा। इस कार्यक्रम में जिले भर के पत्रकारों, साहित्यकारों, कवियो, लेखकों चिकित्सकों और शिक्षाविदों को आमंत्रित किया गया है।

श्री बवाल ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य थीम वैश्विक महामारी कोरोना के प्रति जागरूकता और उन्मूलन है। कोरोना ने जन-जीवन पर कितना असर डाला है? इससे बचाव के लिए किस तरह के प्रयास की जरूरत है? बीमारी से बचाव के सम-सामयिक पहलुओं पर चंदौली की कई जानी-मानी हस्तियां अपने सारगर्भित विचार व्यक्त करेंगी। यह कार्यक्रम पूरी तरह गैर-राजनीतिक है।

चंद्रप्रभा साहित्यिक समिति के सचिव के मुताबिक इस मौके पर चकिया क्षेत्र के ख्यातिलब्ध वरिष्ठ पत्रकार श्री विजय विनीत की पुस्तक "बनारस लाकडाउन" का लोकार्पण भी किया जाएगा। कोरोनाकाल में लिखी गई देश की इस पहली पुस्तक पर प्रबुद्धजन विस्तार से चर्चा भी करेंगे। कोरोना दंश से मौत के मुंह में जाकर वापस लौटने वाले पत्रकार की मर्मस्पर्शी कहानी बनारस लाकडाउन, कोविडकाल का दस्तावेज है, जो वैश्विक महामारी से बाहर निकलने का रास्ता भी बताती है। इस मौके पर वैश्विक महामारी के दौर में कोविडकाल की चुनौतियों पर संवाद का आयोजन भी किया जाएगा।

श्री बवाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में सिर्फ पत्रकारों, रचनाकारों, कवियों, लेखकों, चिकित्सकों, अधिवक्ताओं और समाज के प्रबुद्ध लोगों का स्वागत है। सियासी दलों से जुड़े लोगों लिए यह कार्यक्रम नहीं है। इस कार्यक्रम में कोविड नियमों का पालन किया जाएगा। बगैर मास्क के इस मेले में प्रवेश वर्जित किया गया है। सभी प्रबुद्ध महानुभावों से आग्रह है कि मास्क लगाकर ही कार्यक्रम में शिरकत करें।

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