गर्भवती माताएं खान-पान के साथ किन बातों का रखें विशेष ध्यान, बता रही है बीएचयू चिकित्सा विज्ञान संस्थान की सीनियर रेजिडेंट डाॅ. संध्या

 


शरीर के विकास और स्वास्थ्य के लिए आहार के महत्व को किसी स्थिति में कम नहीं आंकना चाहिए। स्वास्थ्य परक आहार वह आहार है जिसमें पोषक तत्वों (प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज तत्व) एवं पानी की मात्रा पर्याप्त एवं समुचित अनुपात में उपलब्ध हो, जो शरीर के विकास एवं संरक्षण के लिए आवश्यक हो जैसा की विदित है कि गर्भावस्था में पलने वाले बच्चे के शरीर का विकास पूरी तरह से मां के भोजन पर निर्भर करता है। बच्चे में रक्त और हड्डियों का बनना भी मां पर ही निर्भर करता है। गर्भावस्था के दौरान स्त्री के भोजन में कैल्शियम, प्रोटीन तथा विटामिन का समुचित मात्रा में होना बहुत ही आवश्यक होता है।

कैल्शियम- दूध से बनी सभी वस्तुएं जैसे पनीर, दही, मक्खन, अंडे इत्यादि में कैल्शियम काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है। गर्भावस्था के समय महिलाओं के शरीर में कैल्शियम की कमी होने से मांस पेशियों में ऐठन, नसों में दर्द, हड्डियों की कमजोरी, कमर में दर्द ओर घबराहट  हो जाती है ।

लौह - हरी तथा पत्तेदार सब्जियां, गुड़, अंकुरित मूंगदाल, भूना चना, अनार, सेव, चुकुंदर और सोयाबीन में लौह तत्व अधिक मात्रा में पाया जाता है। गर्भावस्था में शरीर में लौह तत्व की कमी से रक्त की कमी हो जाती है, ऐसी स्त्रियों में कमजोरी सांस का फूलना, दिल का अधिक धड़कना आदि विभिन्न प्रकार की शिकायतें हो जाती हैं।

प्रोटीन-गर्भावस्था में बच्चे के शरीर की रचना के लिए प्रोटीन बहुत ही आवश्यक है। दाल, अंडे आदि में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है।

फोलिक एसिड -बच्चे के पैदा होने और शारीरिक विकास में बहुत ही आवश्यक होता है इसकी कमी के कारण मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डियों में तथा  नसों आदि में कमजोरी आ जाती है। फोलिक एसिड गहरे रंग वाली हरी सब्जियों, मक्का, मक्के का आटा, चावल, केला तथा ब्रॉकली में पूर्ण रूप से पाया जाता है।

गर्भावस्था के दौरान भोजन में कुछ सावधानियां रखनी चाहिए ।भोजन में चीनी तथा नमक का प्रयोग कम करना चाहिए। शहद, खजूर, किसमिस, छुआरे तथा अंजीर का भोजन में उपयोग करना चाहिए। छिलका, समेत दालों का उपयोग लाभदायक है। तली भुनी चीजों का उपयोग नहीं करना चाहिए। मौसम अनुसार फलों का रस प्रतिदिन पीना गर्भवती स्त्री के लिए बहुत लाभदायक होता है।

गर्भावस्था दौरान मल-मूत्र, छींक, प्यास, भूख, नींद, जम्हाई जैसे आवेगों को रोकने का प्रयास नहीं करना चाहिए। रात्रि को देर से न सोए तथा सुबह जल्दी उठने की कोशिश करे। दोपहर को थोड़ा विश्राम करें लेकिन गहरी नींद न लें। क्रोध न करें, कोशिश करें कि बाए तरफ करवट लेकर सोए।


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