सपा ने उतारा जीत का नशा, मठाधीशों में पेंच फंसा, अजेय केदार चित, कहीं यह तो कारण नहीं....
कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कहीं ना कहीं हार की वजह
अजय सिंह राजू
गाजीपुर। वाराणसी खंड स्नातक कोटे के एमएलसी चुनाव में भाजपा की करारी हार का कारण कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करना सामने आया है। वहीं भरोसेमंद मठाधीश चुनाव में बड़ा कारनामा नहीं कर पाए है। जबकि सपा ने युद्ध स्तर पर प्रचार अभियान चलाकर भाजपा प्रत्याशी को चित कर दिया है। इन्होंने कार्यकर्ताओं संग रणनीति बनाकर भाजपा के मठाधीशों को गहरा झटका दिया है। चुनाव में मात खाने के बाद भाजपा नेताओं का मंथन शुरू हो गया है।
वाराणसी स्नातक सीट से तीन बार एमएलसी निर्वाचित हो चुके केदार सिंह को सपा प्रत्याशी आशुतोष सिन्हा ने 3850 वोट से मात दी है। अजेय कहे जाने वाले भाजपा एमएलसी केदार सिंह चुनाव को लेकर काफी आश्वस्त थे। वह लगातार कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रणनीति बना रहे थे। लेकिन मठाधीशों ने कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेकर कार्य नहीं किया।
राजनीतिक विश्लेषको का मानना है कि चुनाव में सामान्य वर्ग के मतदाताओं का रूझान नहीं था। इसके अलावा भाजपा ने मतदाता बनाने में भी काफी दिलचस्पी नहीं दिखाई। एमएलसी चुनाव में 22 प्रत्याशी होने की वजह से वोटर मनमुताबिक मतदान करने में लगे रहे। वहीं इस चुनाव में अति उत्साह से भरी भाजपा नेता उन मतदाताओं तक पहुंच नहीं सके।
जिले में 39.31 प्रतिशत मतदान हुआ। जिससे साफ हो गया कि मतदाताओं का काफी रूझान नहीं रहा। इस चुनाव में शिक्षा जगत से जुड़े कालेज संचालक काफी सक्रिय रहते थे। उनके अंदाज से लगता था कि इस चुनाव में जिसे चाहे वह विजय दिला देंगे। लेकिन चुनावी रिजल्ट से यह साफ हो गया कि इनकी बातों में कितनी सत्यता थी।
इधर सपा से निर्वाचित आशुतोष सिन्हा युद्ध स्तर पर चुनाव अभियान में जुट गए थे। पार्टी कार्यकर्ता भी इन्हें जिताने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। वह दिन रात मतदाताओं के संपर्क में बने रहे। राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि मतदाताओं के नवीनीकरण में खेल नहीं हो पाया है। जिसका सीधा फायदा सपा को हुआ।