क्या इस बार कोरोना संकट की भेंट चढ़ जायेगा छात्रसंघ चुनाव?, छात्रनेताओं व विश्वविद्यालय प्रशासन में बना है संशय

विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में बढ़ी छात्रनेताओं की सक्रियता

शासन व राजभवन के निर्देश का इंतजार कर रहा हैं विश्वविद्यालय प्रशासन



मनोज कुमार

वाराणसी। कोरोना संकट के कारण शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया काफी लेट रही। हालांकि अधिकतर विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में नए सत्र में दाखिले का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। ऐसे में जिन विश्वविद्यालयों या महाविद्यालयों में छात्रसंघ के चुनाव कराये जाते है, वहां छात्र नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है। हालांकि चुनाव होंगे या नहीं यह अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन उसके बावजूद छात्र नेता पूरे उत्साह के साथ अभी से ही अपने अभियान में जुट गये हैं। 

कोरोना संकट को देखते हुए इस बार छात्रसंघ चुनाव को लेकर संशय बना हुआ है। इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन जहां अभी कुछ बोलने से बच रहा है, वहीं छात्र नेता चुनाव होना तय मानकर चल रहे हैं। गौरतलब है कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिश्चन्द्र पीजी कालेज, यूपी कालेज में छात्रसंघ के चुनाव कराये जाते है। जहां नया सत्र शुरू होते ही छात्र नेताओं की चहलकदमी बढ़ जाती है। हालांकि इन विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में पूरे साल छात्र नेता सक्रिय रहते हैं, लेकिन नए सत्र में प्रवेश और चुनाव के दौरान इनकी सक्रियता कुछ ज्यादा ही होती है। छात्रसंघ चुनाव को लेकर प्रशासन भी काफी सतर्क रहता है और चुनाव के दौरान विशेष सतर्कता बरती जाती है।

इस बार भी दाखिला पूरा होते ही विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में छात्रनेताओं की सक्रियता बढ़ गई है। छात्रसंघ चुनाव की तैयारी में छात्र नेता अभी से परिसर में प्रचार-प्रसार भी शुरू कर दिये हैं। नगर के प्रमुख चैराहों व तिराहों पर छात्रनेताओं के बढ़े-बढ़े होर्डिंग छात्रसंघ चुनाव की आहट को बता रहे हैं। नये वर्ष की शुभकामना देते हुए छात्र नेताओं के ये होर्डिंग नगर की शोभा बढ़ा रहे है। 

दूसरी ओर छात्रसंघ चुनाव को लेकर अभी तक संशय की स्थिति बनी हुई है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, संपूणार्नंद संस्कत विश्वविद्यालय, हरिश्चंद्र पीजी कालेज में अब भी स्नातक व स्नातकोत्तर प्रथम खंड में दाखिले की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में विश्वविद्यालयों के सामने सत्र नियमित बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसी परिस्थितियों में इस वर्ष छात्रसंघ चुनाव महामारी की भेंट चढ़ने की संभावना जताई जा रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि शासन व राजभवन से प्राप्त निर्देश के आधार पर ही विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रसंघ चुनाव को लेकर कोई निर्णय लेगा। वहीं उधर छात्रों का मानना है कि जब विधान परिषद से लगायत पंचायत तक के चुनाव कराए जा रहे हैं तो छात्रसंघ का चुनाव भी होना तय है। 




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