नये साल पर क्या है आपका प्लान? बनारस, चंदौली और मीरजापुर इन के जगहों पर करें न्यू ईयर सेलिब्रेट





मनोज कुमार

वाराणसी। कोरोना के दिये गहरे जख्मों और किसी बुरे सपनें की तरह रहा साल 2020 अब विदा होने वाला है। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण उपजी उदासी, हताशा और अवसाद ने लोगों के अन्र्तमन को झकझोर कर रख दिया। ऐसे में हर कोई आने वाले नया साल का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। इसके साथ वह इसे सेलिब्रेट करने के लिए ऐसे स्थान का चयन करने की सोच रहा है, जो उसे नई उम्मीद और उर्जा से भर दें। अगर आप भी इसी ऊपापोंह में हैं तो ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है। हम आपको बनारस और उसके आसपास की ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे है, जहां जाकर ना सिर्फ आप नये साल को सेलिब्रेट कर पायेंगे, बल्कि वें जगह आपको उर्जा से भी भर देगा। 



बनारस -ः

देवों के देव महादेव की नगरी काशी अपने आप में अलौकिक और अद्भुत है, देश विदेश से लोग यहा आध्यात्मिक व मानसिक शांति की तलाश में आते रहते है। दुनिया की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में पहचानी जाने वाली काशी में ऐसे कई प्लेस है, जहां आप नये साल की खुशियां मना सकते है। 



बनारस के घाट और गंगा उस पार की रेती

बनारस में गंगा घाटों की भी अपनी एक अलग ही पहचान है। देशी-विदेशी पर्यटक हो या फिर बाॅलीवुड और हाॅलीवुड के सितारे वें अक्सर बनारस के गंगा घाटों को निहारने पहुंचते रहते है। तो अगर आप भी नये साल की प्लानिंग बना रहे है तो गंगा घाट जरूर जाये और तो और गंगा की कल-कल बहती धारा के बीच नौका विहार का आनंद उठाये। इसके साथ ही अगर आपका प्लान दोस्तों के साथ खाने-बनाने का है तो आप गंगा उस पार रेती पर भी जा सकते है। जहां ना सिर्फ आप इज्वांय कर सकते है, बल्कि एक खुबसूरत नजारे का भी लुफ्त उठा सकते है। 



सारनाथ - बौद्ध धर्म की प्रमुख स्थली सारनाथ ना सिर्फ ऐतिहासिक रूप से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी काफी समृद्ध है। यहां पर कई ऐसे दर्शनीय स्थल है, जहां पहुंच कर आप असीम उर्जा से भर जायेंगे। सारनाथ में अशोक का चतुर्मुख सिंहस्तम्भ, भगवान बुद्ध का मन्दिर, धामेख स्तूप, चैखन्डी स्तूप, राजकीय संग्राहलय, जैन मन्दिर, चीनी मन्दिर, मूलंगधकुटी और नवीन विहार इत्यादि दर्शनीय हैं। 



रामनगर किला - काशी नरेश का ऐतिहासिक किला रामनगर किला आज भी काफी भव्य है। किले के एक भाग में संग्रहालय तो दूसरे भाग में काशी नरेश का परिवार रहता है। तुलसी घाट के सामने स्थित इस किले का निर्माण 1750 में राजा बलवंत सिंह ने मुगल शैली की वास्तुकला के करवाया था। इस किले में एक संग्रहालय भी है जो पुरानी अमेरिकी कारों के दुर्लभ संग्रह, हाथी दांत वर्क, मध्यकालीन वेशभूषा और एक विशाल खगोलीय घड़ी के लिए जाना-जाता है।



चंदौली -:

वाराणसी जनपद से सटा चंदौली जिला आर्थिक रूप से भले ही पिछड़ा है, लेकिन प्राकृतिक और ऐतिहासिक रूप से काफी समृद्ध है। जंगल, पहाड़, झरने और दरी इस जिले की खुबसूरती में चार चांद लगाते है। खासकर चकिया और नौगढ़ का इलाका प्राकृतिक रूप में लोगों को खुब आकर्षित करते है। 



राजदरी-देवदरी जलप्रपात- चकिया-नौगढ़ मार्ग के मध्य स्थित चंद्रप्रभा वन्य जीव विहार की सीमा से 2 किमी पूर्व दिशा की ओर हरियाली के बीच स्थित राजदरी जलप्रपात अपनी नैसर्गिक सुंदरता के कारण बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। पक्षियों की चहचहाहट व वन्य जीवों के पदचाप से हमेशा गुलजार रहने वाले इस पर्यटन स्थल पर हालांकि आवाजाही हमेशा बनी रहती है लेकिन बरसात शुरू होते ही इसका दृश्य अद्भुत होता जाता है। बड़े चट्टानों से टकराती हुई चंद्रमा की सौंदर्य व शीतलता का दर्शन कराने वाली सचंद्रप्रभा का जल जब पूरे वेग से सैकड़ों फीट नीचे खाई में गिरता है तो उसका आकर्षक दृश्य देख रोम-रोम पुलकित हो उठता है। 



यहां पर्यटकों के विश्राम हेतु तीन-तीन गेस्ट हाउस, मनोरंजन हेतु पार्क, बच्चों के खेल कूद के लिए सी-सा, झूला, पुस्तकालय सहित सारी सुविधा मौजूद है। राजदरी से 1 किमी दूर देवदरी का जलप्रपात है। यहां राजदरी से आने वाला पानी ही गिरता है लेकिन ऊंचे पहाड़ियों के बीच झरने से गिरता पानी मन मोह लेता है। पानी की छोटी-छोटी बूंदे बादल जैसा रूप लिए रहती है। यहां आकर अधिकांश लोग जलप्रपात के दूसरे छोर तक पत्थर फेंकते हैं। जलप्रपात से पत्थर उस पार गिर जाये इसका एक अलग रोमांच है। 



कोइलरवा हनुमान जी - कभी नक्सलियों का गढ़ रहे इस क्षेत्र में अब पर्यटन गुलजार होने लगा है। चकिया-नौगढ़ मार्ग पर राजदरी से थोड़ा पहले ही कोइलरवा हनुमान जी जाने का रास्ता कटा हुआ है। जहां से लगभग 12-13 किलोमीटर अंदर कोइलरवा हनुमान जी का रमणीक स्थल है। घने जंगल के बीच बसे इस जगह पर अक्सर क्षेत्रीय पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। यहां जाने के लिए जब आप घने जंगलों से बीच होकर गुजरेंगे तो उसका आपको एक अलग ही रोमांच मिलेगा। अक्सर यहां लोग आपको बाटी-चोखा बनाते हुए दिख जायेंगे। इस जगह पर एक सुंदर झरना भी है, यहां जाने वाला पर्यटक उस झरने को निहारना नहीं भुलता। 

इसके साथ ही लतीफशाह बाबा के पास सुंदर डैम, महर्षि याज्ञवल्क्य की तपोभूमि जागेश्वरनाथ धाम, चन्द्रकांता का किला, देववर धाम, मूसाखांड बांध जैसे कई जगहें लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। 



मीरजापुर -: 

विंध्याचल पर्वत श्रृखलाओं की बीच बसे इस जिले को प्रकृति ने अनुपम सुंदरता से नवाजा है। इसके साथ ही चुनार मिट्टी से बनी मूर्तियां बहुत प्रसिद्ध है। चीनी मिट्टी के बर्तनों की सुंदरता देखते ही बनती है। 



सिद्धनाथ दरी - बाबा सिद्धनाथ की दरी चुनार से 20 किलोमीटर  की दूरी पर अड़गड़ानंद आश्रम मार्ग पर स्थित है या हम कह सकते हैं कि सिद्धनाथ की दरी चुनार से राजगढ़ रोड पर 20 किलोमीटर की दूरी पर  स्थित है। सिद्धनाथ की दरी पर प्राकृतिक रूप से लगभग 100 मीटर की ऊंचाई से पानी गिरता है एक कुंड में इस कुंड से पानी एक नदी में चला जाता है। इसकी सुंदरता को देख बरबस ही लोग मंत्रमुग्ध हो जाते है। 



लखनिया दरी - यदि आप लखनिया दरी जाना चाहते हैं तो आप  नारायणपुर से रावटसगंज वाला हाईवे (एनएच-5ए) पर अहरौरा से कुछ दूरी पर स्थित है। यह बहुत ही खतरनाक दरी है। अगर आप यहां पर पिकनिक के लिए जाते हैं तो बहुत ही सावधानी से इंजॉय कीजिए। क्योंकि बहुत सारे लोग सेल्फी लेने के चक्कर में दुर्घटना का शिकार हो जाते है।  

इसके साथ ही मीरजापुर में विंध्याचल धाम, मां अष्टभुजा मंदिर, विंडम फाॅल, टांडा वाटर फाल सहित कई दर्शनीय स्थल आपके नये साल की खुशियों को दुगुना कर सकते है। 



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