नया साल....एक नई किरण: आयुषी तिवारी




हर साल की तरह इस साल भी एक नई उम्मीद, आकांक्षाओ को और जोश के साथ बीते साल को अलविदा कह एक नए साल में प्रवेश करते हैं।

हम सबको नये साल में एक नई उम्मीद की किरण दिखती है कि जो कुछ हम इस वर्ष पूरा न कर पाए, या जो वादे अधूरे रह गए वो शायद हम इस नए वर्ष में पूरा कर सके। बीते हुए साल में कुछ अच्छे तो कुछ बुरे सफर से होकर हम इस साल में प्रवेश कर रहे हैं हम सबके मन में नवीन कल की एक उम्मीद रहती है।

भारतीय कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नए साल को माना जाता है लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी से नए साल का आरंभ माना जाता है। आधिकारिक रूप से भी हम 1 जनवरी से ही नवीनकृत होते हैं। बहुत सारी मान्यताएं हैं। जिसके आधार पर हम नए वर्ष को मनाते हैं। नए वर्ष में एक अलग उमंग, एक नई आश, कुछ न कुछ नया होने और करने की आशा रखते हैं।

मान्यताएं चाहें जो भी हो पर नया का अर्थ होता है ...नई पहल....एक शुरुआत। नये वर्ष के दिन कुछ नया हो न हो पर एक नये जोश से भरा होता है हमारा मन इसलिए नये वर्ष को सार्थक बनाने के लिए हमें कुछ नया जरूर करना चाहिए। जिससे हम एक सकारात्मक ऊर्जा के साथ नए साल का आगाज करें।

सच कहा जाए तो नया वर्ष एक नया संकल्प लेने का अवसर होता है, एक ऐसा संकल्प जिसे हम लगातार साल भर तक निभाते रहे और जब किसी संकल्प को लगातार साल भर निभाया जाए तो वो आदत बन जाती है, यही आदत हममें समाहित हो हमारा व्यक्तित्व बन जाती है, इसलिए जरूरी है कि हम इस अवसर पर कोई संकल्प लें.... चाहें वो संकल्प बड़ा हो या छोटा बस वो हमारे लिए सही होना चाहिए।

अभी बीते साल में पूरी दुनिया ने एक ऐसी विपदा का सामना किया और अभी कर भी रहा है जिससे कोई वंचित नही। दुनिया में कोरोना के मामले 8.30 करोड़ के पार है अब तक 18.12 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। अभी भी यह परेशानी गई नही है लेकिन इससे उभरने के प्रयासों में एक नई आशा दिख रही है। हर किसी को इस महामारी के कारण किसी न किसी तरह से परेशानियों का सामना करना पड़ा है, किसी ने कुछ पाया तो किसी ने कुछ खोया है पर कुछ न कुछ सीख तो मिली ही है और जीवन के हर पहलू से वो अच्छा हो या बुरा सीख हमेशा ही मिलती है बशर्ते की किस चीज को कैसे देखते,किस परिस्थिति को कैसे आंकते और क्या विचार करते हैं। 

अभी कुछ दिनों पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि कोरोना महामारी अंतिम महामारी संकट नही है, टेड्रोस ने कहा कि अगर हम जलवायु परिवर्तन और पशु कल्याण को लेकर हल नही दूँढ़ पाते तो मानव स्वास्थ्य को बेहतर करने वाले हमारे सभी प्रयास व्यर्थ साबित होंगे। अर्थात समझे तो यही कहेंगे कि जो अचानक विपदा आ जाए उसको तो झेलना ही पड़ता है लेकिन हमें हमेशा सजग रहना चाहिए, आने वाले कल को संजोना चाहिए ताकि हम कल के लिए तैयार रहे और हमारी आने वाली पीढ़ी को दुःख का भार दे के न जाएं।

बीत गया है जो साल उससे सीखते हुए एक नई आशा के साथ नवीन कल की शुरुआत करें, जो कुछ बिखरा सा है उसको समेटे और सजाएं। जीवन में सुख-दुःख, पाना-खोना, हारना-जीतना आदि तो लगा ही रहता है ये जीवन के रंग हैं पर हम अपने विचार,अपने कर्म से इसका सुंदरीकरण जरूर कर सकते हैं, तो एक नए सोच के साथ नए साल का स्वागत करें।

इसी उत्साह और उमंग से भरती हमारी यह कविता


---  नवीनीकरण----

आशाओं के द्वीप जलाकर,नए वर्ष में प्रवेश करें

सीख ले हम बीते कल से,जीवन में सुंदर रंग भरें।


माना बीता साल बुरा है

परेशानियों से हर कोई घिरा है,

कुछ अच्छा तो कुछ बुरा हुआ है

हार गया कोई तो कोई जीत गया है,

टूट गयी किसी के साँसों की डोरी

तो कोई लड़करके आगे बढ़ा है।


जीवन हर मोड़ पर कुछ न कुछ सीखा जाती है

पढ़ ले जो इस पाठ को उसे न ये हरा पाती है  

हमारे कर्मो का फल हमें जरूर मिलता है

आज न मिले तो कल मिलता है।

                   

आओ कर्मों का कर समीकरण,भविष्य का हम आकलन करें,

है गलत जो बदला जाए, खूबसूरत रंगों से जीवन को रंगा जाए

कुछ हम बदलें कुछ तुम बदलो,

मिलकर एक संकल्प करें

बेहतर हो आने वाला कल,

सब एक नवीन पहल करें।


अभिलाषाओं के द्वीप जलाकर नए वर्ष में प्रवेश करें

सीख ले हम बीते कल से,जीवन में सुंदर रंग भरें।


आयुषी तिवारी

विद्यार्थी, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ




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