गाजीपुर में लापता कर्मचारी, बिखरी दवाएं और लटकता ताला है जच्चा बच्चा केंद्र की पहचान, अधिकारी बने अंजान
संजय सिंह कुशवाहा
कठवामोड़/गाजीपुर। योगी सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो में स्वास्थ्य योजनाओं को उच्चस्तरीय कर लोगो को बेहतर सुविधा मुहैया विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है। लेकिन विभागीय अधिकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से महत्वाकांक्षी योजनाओं का पलीता लगा रहे है।
सदर तहसील के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सुभाखरपुर के अधीन फतेहपर अटवा में संचालित मातृ शिशु कल्याण केंद्र (जच्चा बच्चा केंद्र) का हाल जानने जब जनसंदेश टाइम्स टीम सोमवार को 12 बजें केंद्र पर पहुंची तो ताला लगा मिला। केंद्र के चारो तरफ गंदगी का ढ़ेर लगा हुआ था। हास्पिटल के अंदर भारी संख्या में आयरन और कैल्शियम की दवाएं बिखरी पड़ी थी। इस दौरान उपस्थित ग्रामीणों ने बताया कि यहां केंद्र वर्षों से है, लेकिन कोई स्वास्थ्यकर्मी दिखाई नहीं देता।
ग्रामीण शाहिद खान ,तौहीद खान, हसनू, प्रकाश भारती, इमरान,अजय यादव ने बताया कि इस केंद्र पर कभी किसी महिलाओं का टीकाकरण या अन्य किसी प्रकार की जांच नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि किसी गर्भवती महिला को कोई देखने वाला तक यहां नहीं है। इस मामले में सुभाखरपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डा. मुंशी लाल ने बताया कि अभी एक सप्ताह पहले ही वहां की स्वास्थ्यकर्मी कृष्णा का स्थानांतरण महराजगंज हो गया है, जल्द ही नए स्वास्थ्यकर्मी की नियुक्ति कर दिया जाएगा।
तीन माह से प्रभारी लापता, अधिकारी बने अंजान
कठवामोड़ । मुहम्मदाबाद तहसील के शाहबाजकुली स्थित मातृ शिशु कल्याण केंद्र (जच्चा बच्चा केंद्र) पर जनसंदेश टाइम्स टीम जब पहुंची तो वहां भी ताला लगा मिला। केंद्र के बाहर चारो तरफ गंदगी दिख रही थी। केंद्र के पास मौजूद महिला मंत्ररा देवी, बबिता यादव ने बताया कि यहां कार्यरत प्रभावती देवी तीन महीनों से नहीं आ रही है। ग्रामीण राजेन्द्र कुशवाहा, पिंटू पांडेय, संदीप, मनीष, सुनील ने बताया कि यहां केंद्र पर कोई कर्मचारी उपलब्ध नहीं रहते है। कभी-कभी जब जांच आती है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यहां महिलाओं को कोई सुविधा नहीं मिलती। स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत कर्मचारी उच्च अधिकारियों से तालमेल बनाकर रखते है। इसीलिए किसी प्रकार की कोई जांच नहीं होती । इस संबंध में प्रभारी डा. आशीष राय ने बताया कि हमे ऐसी कोई जानकारी नही मिली थी। यदि ऐसा है तो इसकी जांच कराया जाएगा ।
गर्भवती महिला प्राइवेट अस्पतालों में जाने को मजबूर
कठवामोंड़। सुभाखर गांव के ग्रामीणों ने बताया कि सरकार के तरफ से बहुत सारी योजनाए, टीकाकरण, बच्चों का टिका होता रहता है। लेकिन इस गांव में कभी कोई स्वास्थ कर्मी नही आता है। मौजूद जच्चा-बच्चा केंद्र के हालात को ठीक कर दिया जाए तो इससे बहुत हद तक लोगों को फायदा मिल सकता है। रात के समय गर्भवती महिलाओं को यहां इलाज नहीं मिल पाता है। ऐसे में यहां से महिलाओं को कई किलोमीटर दूर के अस्पतालों में जाना पड़ता है। प्रसव के लिए मजबूरन प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होना पड़ रहा है। इमारत भी जर्जर हालत में है। निवासियों का कहना है कि इस केंद्र पर पीने का पानी तक नहीं मिलता है। कई बार तो ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े अस्पतालों में जाने के क्रम में एंबुलेंस में ही डिलिवरी हो जाती है।