बेशर्म तहसील प्रशासन ने आदिवासियों को दिया सड़ा अनाज, आक्रोशित महिलाओं ने फेंका, हंगामा

डीएम के हस्तक्षेप से मामला हुआ शांत, होगी जांच



अजय सिंह राजू

दुल्लहपुर/गाजीपुर। कोरोना महामारी ने सबसे बड़ा कहर गरीबों पर ढाया है। रोजगार और मजदूरी छूट जाने से इन गरीबों के परिवार को भर पेट भोजन तक नसीब नहीं हो रहा है। इनके घर में कई-कई दिनों तक चूल्हे ठंडे पड़ जा रहे हैं। जहां एक ओर चारों तरफ महंगाई की मार है वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा गरीबों के लिए दिए जाने वाले राशन गोदामों में सड़ रहा है। ऐसे में गरीबों के लिए सरकार की बनी खद्यान्न आपूर्ति योजना में भी घुन लग चुका है।

तहसील मुख्यालय पर शुक्रवार की सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया। जब गरीब महिलाओं ने कर्मचारियों से मिले सड़े अनाज को फेंकने लगे और लोगों को दिखाने लगे। गरीब महिलाओं के मुताबिक सुबह तहसील के कर्मचारियों ने चावल, आटा, दाल और मसाला दिया था। जिसमें आटा पूरी तरह से सड़ा हुआ था। उसमें कीटाणु रेंग रहे थे और आटा काला हो गया था। 

ग्रामीणों ने कहा कि जो भी अनाज मिला है। सभी लॉकडाउन के समय से ही तहसील के गोदाम में रखा गया था और सड़ने के बाद इसको फिर तहसील के अगल-बगल रहने वाले वनवासी समाज के लोगों को वितरित कर दिया गया। तहसील में जैसे ही वनवासी समाज की महिलाओं ने शोर मचाना शुरू किया। तभी वहां काफी मात्रा में भीड़ एकत्रित हो गई। 

हंगामे की जानकारी पर जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने तत्काल जांच करने की बात कही। नायब तहसीलदार, कानूनगो ने महिलाओं को समझाते-बुझाते हुए तत्काल आटा मुहैया कराने के लिए बातचीत की। उसके बाद मामला शांत हुआ। उपजिलाधिकारी सूरज कुमार यादव से जानकारी लेने पर उन्होंने कहा कि अनाज कौन वितरित किया। यह जानकारी नहीं है और जो अनाज गोदाम में सड़े पड़े थे। उसको जानवरों को खिलाने के लिए कहा गया था। लेकिन वें लोग खुद अनाज उठा ले गए। फिलहाल इनको जरूरत है तो तत्काल अनाज मुहैया कराई जा रही है। वही राजनीतिक दलों ने भी काफी निंदा की गई।


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