वाराणसी में यातना और हिंसा पीड़ित महिलाओं का सम्मान
हिंसा मुक्त समाज बनाने के लिए आगे आएं महिलाएं: श्रुति
वाराणसी। अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के अवसर पर मानवाधिकार जननिगरानी समिति, सावित्री बाई फुले महिला पंचायत, जनमित्र न्यास, यूनाइटेडनेशन वोलंटरी ट्रस्ट फण्ड और इंटरनेशनल रिहैबिलिटेशन कौंसिल फॉर टार्चर विक्टिम के संयुक्त तत्वाधान में यातना और हिंसा पीड़ित महिलाओं का सम्मान समारोह नो-यूनाइट टू एंड वायलेंस अगेंस्ट वीमेन (Say No – Unite to End Violence against Women) का आयोजन किया गया।
समारोह में सावित्रीबाई फुले महिला पंचायत की संयोजिक और मानवाधिकार जननिगरानी समिति की मैनेजिंग ट्रस्टी सुश्री श्रुति नागवंशी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन समानता और महिलाओं के लिए हिंसा मुक्त भविष्य बनाने के लिए अभी और भी प्रयास किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा महिलाओं के विरुद्ध हिंसा देश की क़ानूनी और सामाजिक सेवाओं पर अनावश्यक भार पड़ता है। इससे उत्पादकता की भरी क्षति होती है। यह एक ऐसी महामारी है जो जान लेती है, प्रताड़ित करती है और शारीरिक, मानसिक लैंगिक और आर्थिक रूप से विकलांग बनाती है। यह मानवाधिकार का सर्वाधिक उलंघन करने वाली सामाजिक बुराई है। यह स्त्री की समानता, सुरक्षा, गरिमा, आत्मसम्मान और मौलिक अधिकारों को ख़ारिज करती है।
यातना और हिंसा से पीड़ित महिलाओं को मनोसामाजिक संबल देने के टेस्टीमोनियल थेरेपी के तीसरे चरण में उनकी संघर्ष गाथा को मनो-सामजिक कार्यकर्ता सुश्री छाया कुमारी और फरहत शबा खानम ने पढ़ा। उनके संघर्षों की हौसला अफज़ाई करने के लिए उन्हें शाल और टेस्टीमनी देकर संघर्षरत पीड़िता आरती सेठ, अज़ीमा, अनीता कश्य, सुशीला, मंजू, पुष्पा देवी, नैंसी जायसवाल, प्रतिमा नाजमा को सम्मानित किया गया।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि महिलाओं के कोख़ से लेकर मृत्यु तक पूरा जीवन चक्र मानवाधिकार के उलंघन का शिकार होता है। इसके लिए वह हर तरह के हिंसा से प्रताड़ित महिला को मनो-सामजिक संबल, विभिन्न हित-धारकों के साथ हस्तक्षेप करती है। सम्मानित होने वालों में अधिकतर मामले घरेलू हिंसा, पुलिसिया उत्पीड़न के साथ–साथ संस्थागत निष्क्रियता के मामले थे।कार्यक्रम के आगे बढ़ाते हुए मानवाधिकार जननिगरानी समिति की कार्यक्रम निदेशक सुश्री शिरीन शबाना खान ने सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर और सरकारी सेवायोजन संस्थाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया की चुप्पी भी एक तरह की समस्या है, जिसकी वजह से महिलाएं हमेशा मानसिक दबाव में रहकर खुद को अकेली, असहाय और बेचारी समझकर हिंसा युक्त स्थिति को अपना भाग्य समझकर अंगीकार कर लेती है। इसके लिए उनकी चुप्पी को तोड़कर उनको सुनना बहुत जरूरी है। कार्यक्रम की शुरआत में पीड़ितों को मास्क और उनका बॉडी टेम्परेचर मापा गया। अंत में उनको हाथ धोने की तरकीब सिखाई गई।