पुस्तकों का महत्व कभी खत्म नहीं होगा: प्रोफेसर निर्मला मौर्य

25वां बनारस पुस्तक मेला-2020 का रजत जयंती आयोजन



विजय सिंह

वाराणसी। भाषा लोगों को जोड़ती है और शत प्रतिशत डिजिटलाइजेशन के बाद भी, पुस्तकों का महत्व कभी भी खत्म नहीं होगा। इसलिए हमें भाषा सीखना और पुस्तकों से कभी अलग नहीं होना चाहिए। ऐसी ही एक पुस्तक ‘बनारस लाकडाउन’ इसमें चित्रात्मक शैली के साथ जीवंत लेखन मिलता है, जिसे लेखक विजय विनीत ने आंखो देखी स्थिति को किताब में बताया है। जो लंबे समय तक उस स्थिति को बताने के लिए जानी जाएगी।

यह बातें वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला मौर्य ने कही। वह सोमवार को सिगरा के छित्तुपुर चंदुआ स्थित 25वें बनारस पुस्तक मेला-2020 के रजत जयंती शुभारंभ के अवसर पर बतौर मुख्यअतिथि संबोधित कर रही थीं। उन्होंने बताया कि बतौर दो भाषाओं की विशेषज्ञ वह मद्रास में जाकर तमिल भाषा के साथ हिंदी के प्रयोग किया कई सीख ली। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बीएचयू के प्रो.सदानंद शाही ने बताया कि जो जितना भाषा का जानकार होता है वह उतना इंसान होता है। इसके बिना मानव होना संभव नहीं। उन्होंने कहा कि हमारे लंबे अनुभव का ज्ञान हमें किताबों से मिला। इस अवसर पर नरसिंह राम, सियाराम यादव ने भी विचार रखें। 

सिल्वर जुबली आयोजन

गत 24 वर्ष से मोतीलाल मानव उत्थान समिति प्रयास 25वां बनारस पुस्तक मेला रजत जयंती मना रहा है। इस दौरान अभिजीत मजुमदार, समाजसेवी श्रुति नागवंशी को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अतिथियों के सम्मान के साथ व्यवस्थापक मिथलेश कुमार कुशवाहा सहित आयोजकों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन सचिव एमएस कुशवाहा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्ष अवधेश कुशवाहा ने किया।


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