काशी विद्यापीठ के संविदा शिक्षकों ने वेतन के लिए गांधी प्रतिमा समक्ष बैठकर शुरू किया सत्याग्रह
जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। वेतन भुगतान को लेकर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 78 संविदा शिक्षक सोमवार को विद्यापीठ में गांधी प्रतिमा के सामने बैठकर सत्याग्रह शुरू कर दिया। इस मौके पर शिक्षकों ने विद्यापीठ प्रशासन पर शोषण के साथ हाईकोर्ट व राज्य सरकार के आदेशों की अवहलेना करने का आरोप लगाया और कहा कि जब तक उनका भुगतान नहीं किया जाता, तब वें गांधी की बगिया में सत्याग्रह करते रहेंगे।
इस मौके पर शिक्षकों का कहना था कि हाईकोर्ट व राज्य सरकार के आदेश के बावजूद संविदा शिक्षकों का चार माह से वेतन भुगतान नहीं हुआ है। यहीं नहीं कार्य परिषद के निर्णय को भी अनदेखा किया जा रहा है। लोकतांत्रिक प्रणाली में सभी दरवाजे बंद होने के उपरांत गांधी जी की बगिया के हम सभी शिक्षक अपने अधिकार के लिए मजबूर होकर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह करने बैठ गए हैं।
गौरतलब है कि संविदा अध्यापक (कोर फैकेल्टी) का भुगतान जुलाई माह 2020 से नहीं किया जा रहा है। जबकि राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार लगातार दिशानिर्देश जारी करती रही है कि कोविड-19 की इस महामारी के दौर में किसी का वेतन न रोका जाए।
विद्यापीठ प्रशासन का कहना है कि संविदा अध्यापक कि संविदा 30 जून 2020 को समाप्त हो चुकी है, जबकि संविदा अध्यापकों का संविदा विस्तार माननीय उच्च न्यायालय पारित आदेश दिनांक 1 मार्च 2013 के अनुपालन में जारी शासनादेश संख्या 226/सत्तर-2-2020-(31)/2018 दिनांक 13 मार्च 2020 के द्वारा बिंदु संख्या 7 के अंतर्गत स्वतः हो चुकी है। जिसे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की कार्यपरिषद की बैठक में स्वीकार भी कर लिया गया है।
अध्यापकों का आरोप था कि कुलपति उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश का उल्लंघन के साथ साथ अपने ही कार्य परिषद के निर्णय को नहीं मान रहे हैं और मनमाने तरीके से अपने लोगों को नियुक्त करने के लिए संविदा अध्यापकों को लगातार प्रताड़ित कर रहे हैं। कहा कि साजिश के तहत विश्वविद्यालय की वेबसाइट से संविदा अध्यापकों के ई-कंटेंट को गैर कानूनी ढंग से हटा रहे हैं।
बताया कि उनके मनमानी और वेतन भुगतान न करने के संबंध में हम लोग उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल महामहिम आनंदीबेन पटेल जी को भी पत्रक दे चुके हैं यदि कुलपति हम लोगों को यथाशीघ्र वेतन भुगतान नहीं करते हैं तो हम लोग वेतन भुगतान एवं अपने अधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर सत्याग्रह करेंगे।