क्या सिर्फ पराली जलाने से फैलता है प्रदूषण? जिला अस्पताल के समक्ष लगातार जल रहा कूड़े का ढेर



जावेद अंसारी
चंदौली। प्रदूषण का संबंध सिर्फ पराली है। कूड़ा-करकट व प्लास्टिक जैसी वस्तुओं को जलाने से पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। ऐसा हम नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र की कार्य प्रणाली कह रही है। सुदूरवर्ती सिवान में पराली जलाने पर भले ही किसान पर एफआईआर व प्रशासनिक कार्यवाही करने में सरकार न चूके, लेकिन जिला मुख्यालय पर जिला अस्पताल के समक्ष जल रहा कूड़ा और उससेे उठता काला धुंआ किसी को दिखाई नहीं दे रहा है। यहां तक ही प्रदूषण की जांच के लिए तैनात सेटेलाइट भी इसे नहीं पकड़ पा रही है। सरकारी तंत्र की इस दोहरी नीति व कार्यप्रणाली से जहां किसानों में गुस्सा है, वहीं जिला अस्पताल का परिसर पूरी तरह प्रदूषण की जद में आ गया है।

गत कुछ माह से जिला अस्पताल के समक्ष नगर पंचायत की ओर से कूड़ा फेंका जा रहा है। वर्तमान में स्थिति यह है कि वहां कूड़े का ढेर लगा गया है, जिसे लगातार जलाया जा रहा है। इस कारण उठते विषैली हवा में आसपास के लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया था। शिकायतों के बाद तत्कालीन एसडीएम हीरालाल की फटकार के बाद नगर पंचायत ने कूड़े को जलाना बंद कर दिया, लेकिन उनके तबादले के बाद कूड़े को फिर से जलाया जाने लगा। प्रतिदिन जलाए जा रहे कूड़े से मुख्य चिकित्सा अधिकारी दफ्तर, पंडित कमलापति जिला अस्पताल, हेरिटेज मातृ एवं शिशु विंग अस्पताल के अलावा आधुनिक चीर घर व आसपास के करीब 60 से अधिक रिहायशी मकान और दो दर्जन व्यवसायिक प्रतिष्ठान प्रदूषण की जद में आ गए हैं। इसके अलावा चंद कदम की दूरी पर वृद्धाश्रम भी मौजूद है। 



देखा जाए तो भरी आबादी के बीच कूड़ा जलाकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है। जिस पर जिले के तमाम आला अफसर आंख मूंदे हुए हैं। गत दिनों मामला संज्ञान में आने पर सीएमओ ने सीएमएस डा. भूपेंद्र द्विवेदी व ईओ राजेंद्र प्रसाद को निर्देशित करने की बात कही थी, लेकिन अफसरों ने ध्यान नहीं दिया। उधर, स्थानीय लोगों ने पत्र लिखकर एसडीएम सदर विजय  नारायण सिंह के संज्ञान में मामला लाया। लेकिन इन जिम्मेदार अफसरों ने प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को संज्ञान लेना भी उचित नहीं समझा। अब तो स्थिति यह है कि आसपास के झाड़-झंखाड़ व हरे पेड़ कूड़े के साथ जलते हुए देखे जा रहे हैं। इस संबंध में जिलाधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।

सुविधा नहीं प्रताड़ना दे रही सरकारः अंजनी
चंदौली। किसान नेता व समाजवादी चिंतन अंजनी सिंह सरकार के इस दोहरे चरित्र को लेकर काफी खफा नजर आए। आरोप लगाया कि सरकारी तंत्र पूरी तरह से किसान विरोधी है। किसानों को सुविधा देने के नाम पर सरकार व प्रशासनिक तंत्र अपने कदम खींच लेता है, लेकिन यदि किसानों के उत्पीड़न, दमन व उन्हें लठियाने का मौका इन्हें मिले तो ये कत्तई नहीं चुकते है। ऐसे हालात में खेती-किसानी व किसानों का विकास संभव नहीं है। सरकार यदि पराली को लेकर सख्त है तो उसे प्रशासनिक तंत्र द्वारा जलाए जा रहे कूड़े के प्रकरण को भी तत्काल संज्ञान में लेकर जिम्मेदार अफसर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कठोर कानूनी कार्यवाही अमल में लाना चाहिए।


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