काशी दुनिया को रास्ता दिखाती है: पीएम, देखें काशी में पीएम की विभिन्न तस्वीरें....


फोटो - शंकर चतुर्वेदी

जनसंदेश न्यूज़

वाराणसी। पीएम मोदी ने कहा कि काशी की धरती की शक्ति को कोई नहीं बदल सकता है। सुबह से ही काशीवासी स्नान, ध्यान, दान में लगे हैं। गंगा के सानिध्य में काशी प्रकाश का उत्सव मना रही है।



श्री मोदी देव दीपावली के अवसर पर राजघाट पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महादेव का आशीर्वाद और काशीवासियों का स्नेह मेरे ऊपर बरसता है। सौ साल से भी पहले माता अन्नपूर्णा की मूर्ति काशी से चोरी हो गई थी, वह वापस आ गई है। माता अन्नपूर्णा अपने घर लौट आई हैं। 



हमारे देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां अमूल्य विरासत हैं। न जाने कितनी ही मूर्तियां चोरी चली गईं। हमारे लिए विरासत और देश की धरोहर हैं विरासत का मतलब होता है अपना परिवार और अपने परिवार का नाम। उनके लिए विरासत का मतलब अपनी प्रतिमाएं हैं। इसलिए उनका ध्यान परिवार की विरासत को बढ़ाने में है। हमारा ध्यान देश की विरासत को बचाने में है।



श्री मोदी ने बीच-बीच में जनता से सवाल भी किया तो लोगों ने तालियां बजाकर अपना समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि गंगा की लहरों में प्रकाश और भी अलौकिक बना रहा है। लग रहा है कि आज पूर्णिमा पर विश्वनाथ के माथे पर चंद्रमा चमक रहे हैं। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि काशी आत्मज्ञान से प्रकाशित होती है। काशी प्रकाश देने और प्रदर्शन करने वाली है। 



काशी दुनिया को रास्ता दिखाती रहती है। इसकी प्रेरणा आदि शंकराचार्य ने और बाद में अहिल्या बाई ने दी। कहते हैं कि जब असुरों ने संसार को आतंकित कर दिया था तब भगवान शिव ने उनका अंत किया। तब देवों ने काशी आकर दीपावली मनाई थी। देवता तो आज भी बनारस में दिवाली मना रहे हैं। देवता ही प्रकाश फैला रहे हैं। काशी के लोग ही देव स्वरूप हैं। इस, अवसर पर मैं देश रक्षा में अपनी शहादत देने वालों का नमन करता हूं। देश के भीतर देश को तोड़ने की कोशिश करने वाली ताकतें कामयाब नहीं होंगी।



मोदी ने कहा कि किसानों को बिचैलियों से आजादी मिल रही है। कुछ दिन पहले स्वनिधि योजना के लाभार्थियों से बात की थी। इस बार की दिवाली चैन से मनाई गई। लोकल प्रोडक्ट के साथ त्योहार मनाएं। यह हमारी जिंदगी का हिस्सा बनना चाहिए। गुरुनानक देव ने अपना जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित किया था। उन्होंने लंबा समय काशी में व्यतीत किया था। काशी वासियों को उन्होंने नई राह दिखाई थी। जब समाज के हित में बदलाव होते हैं तो विरोध के स्वर जरूर उठते हैं। 







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