कोरोना के कारण नहीं जा सके मां अन्नपूर्णा दरबार तो घर बैठे करें मां के अलौकिक दर्शन

खुले मंदिर के कपाट 
सभी फोटो शंकर चतुुर्वेदी

जनसंदेश न्यूज़

वाराणसी। देवों के देव महादेव को भी अन्नदान देने वाली मां अन्नपूर्णा कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी यानी धनतेरस पर कपाट खुल गया। इस दौरान मां ने भक्तों को खजाना बांटना भी शुरू कर दिया। इस दौरान मां का दर्शन करने के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी रही। मंदिर में भक्तों को अन्न धन का खजाना भी प्रसाद स्वरूप मिलेगा। अगले तीन दिनों यानी अन्नकूट तक भोर में चार बजे से रात ग्यारह बजे तक दर्शन होंगे। 

महंत रामेश्वर पुरी खजाना प्राप्‍त करती महिलाएं


कोरोना संक्रमण के कारण इस बार दर्शनार्थियों को कोरोना नियमों का पूरी तरह पालन करना होगा। सोशल डिस्टेंस और चेहरे पर मॉस्क के साथ भक्तों की लंबी कतार माता रानी के दर्शन के लिए भोर से खड़ी हो गई।  मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी ने बताया कि दर्शनार्थियों को गेट नंबर एक से प्रवेश दिया जाएगा और निकासी राम मंदिर होते कालिका गली में होगी। इस दौरान शारीरिक दूरी के नियमों का पालन भी करना होगा। 

मां का दर्शन करते लोग


भीष्म पुराण में भी है मां अन्नपूर्णा मंदिर के प्राचीनता का उल्लेख

मान्यता है कि काशी नगरी के पालन-पोषण को देवाधिदेव मां की कृपा पर ही आश्रित हैं। अन्नदात्री मां की ममतामयी छवियुक्त ठोस स्वर्ण प्रतिमा कमलासन पर विराजमान और रजत शिल्प में ढले भगवान शिव की झोली में अन्नदान की मुद्रा में है। दायीं ओर मां लक्ष्मी और बायीं तरफ भूदेवी का स्वर्ण विग्रह है। इस दरबार के दर्शन वर्ष में सिर्फ चार दिन धनतेरस से अन्नकूट तक ही होते हैं। इसमें पहले दिन धान का लावा, बताशा के साथ मां के खजाने का सिक्का प्रसाद स्वरूप वितरित किए जाने की पुरानी परंपरा है। इसमें काशी ही नहीं, देश-विदेश से आस्थावानों का रेला उमड़ता है। अन्य दिनों में मंदिर के गर्भगृह में स्थापित प्रतीकात्मक प्रतिमा की दैनिक पूजा होती है।

मां के अलौकिक दर्शन


माना जाता है कि बाबा से पहले ही देवी अन्नपूर्णा यहां विराजमान थीं। वर्ष 1775 में काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तब पार्श्व में देवी अन्नपूर्णा का मंदिर था। मां की स्वर्णमयी प्रतिमा की प्राचीनता का उल्लेख भीष्म पुराण में भी है। महंत रामेश्वरपुरी के अनुसार, वर्ष 1601 में मंदिर के महंत केशवपुरी के समय में भी प्रतिमा का पूजन हो रहा था।


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