औलाद ने छोड़ा, प्रशासन ने भी नहीं ली खबर




  दाने-दाने को मोहजात दिव्यांग वृद्ध दंपती विसातखाने की दुकान से कर रहे गुजर बसर
 आसपास के लोग जरूरत देख कर देते आर्थिक सहयोगी, एक व्यक्ति ने रहने को दी दुकान
 

सरकार असहाय बुजुर्गों के लिए कई योजनाएं चलाने के लाख दावे करता हो लेकिन जमीनी सच्चाई इससे इतर है।शहर के एक कोने में वृद्ध दिव्यांग दंपती दाने-दाने को मोहजात हैं।कोई उनकी सुध लेने की जहमत नही उठा रहा है। संतान ने साथ छोड़ा तो प्रशासनिक अधिकारियों ने भी मदद नहीं की। ऐसे में एक विसातखाने की दुकान के सहारे जिंदगी के बचे खुचे दिन काट रहे हैं।
यह वृद्ध दंपती विशुनगढ़ रोड निवासी 82 वर्षीय रामप्रकाश व 80 वर्षीय विद्यावती हैं। दंपती विशुनगढ़ रोड नई बस्ती गंगेश्वरनाथ मंदिर के निकट रामपुर बैजू में रह रहे हैं। 13 साल पहले पुत्र साथ छोड़ गए। एक पुत्र राजस्थान व दो पुत्र हरियाणा में प्राइवेट नौकरी करते हैं, लेकिन आज तक माता-पिता का हाल जानने नहीं आए हैं। रामप्रकाश ने बताया कि जुलाई 2017 में मकान गिर गया। काफी इंतजार के बाद भी सहयोग राशि नहीं मिली। इस पर अधिकारियों से फरियाद की। तत्कालीन डीएम ने पेंशन व आर्थिक सहायता के लिए 15 हजार रुपये देने के निर्देश दिए। न तो पेंशन बंधी और न ही आज तक रुपये मिले। कुछ समय के लिए अस्थाई रूप से काशीराम कालोनी में आवास मिला था। अब वह भी नही है। घर जर्जर स्थिति में पड़ा है। बेघर होने पर दिनेश पाल ने घर के आगे की दुकान रहने को दे दी। इसी में बिसातखाने का सामान रखकर गुजर कर रहे हैं। जरूरत पडऩे पर आसपास के लोग आर्थिक सहयोग कर देते हैं।

खुले में शौच को जाते वृद्ध दंपती
जिला ओ डी एफ घोषित हो चुका है।लेकिन ये असहाय दम्पति खुले में शौच जाने को मजबूर है।वृद्ध दंपती चलने में बेहद तकलीफ महसूस करते हैं। इज्जतघर न होने की वजह से सूर्य की रोशन होने से पहले ही रात के अंधेरे में शौच को जाते हैं। काफी दूर चलना पड़ता है। प्रधानमंत्री योजना से आवास भी नहीं मिला है।

राशन कार्ड से गायब हुए रामप्रकाश
पहले राशन कार्ड में रामप्रकाश व विद्यावती दोनों नाम थे। अचानक से रामप्रकाश का नाम लापता हो गया। अब केवल विद्यावती का नाम रह गया है। पूर्ति विभाग के भ्रष्टाचार के कारण इसको भी वह दुरुस्त नहीं करवा सके। विद्यावती ने बताया कि इस कार्ड पर भी राशन नहीं मिल पाता है। किसी साइकिल सवार की मदद लेकर राशन लेने जाती हैं तो कभी अंगूठा नहीं लगता तो कभी समय हो जाता है। बहुत कम राशन मिल पाता है।

सांड के हमले से हुए दिव्यांग
रामप्रकाश ने बताया कि वर्ष 2015 में वह कोतवाली के सामने विसातखाना की दुकान लगाते थे। शाम को दुकान बंद करते समय सांड ने हमला कर दिया था। घायल हो गए थे। इसके बाद सही हो गए लेकिन आज तक चल नहीं पाते हैं। उस समय से ही दिव्यांग हो गए। पत्नी छत से गिर गई थी। वह भी आम आदमी की तरह चलने में असमर्थ हैं और दिव्यांग हो गई हैं।

कोई अधिकारी नहीं पहुंचा लेने हाल
मकान गिरने के बाद बेघर हुए चार वर्ष होने जा रहे हैं। इस बीच एक भी दिन किसी पुलिस कर्मी या प्रशासनिक अधिकारी ने इनकी सुधि नहीं ली। न ही कोई मदद मिली। ऐसे में दंपती बेहद परेशान हैं। अब वह मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन की बात कह रहे हैं।

जिम्मेदार बोले
एसडीएम देवेश कुमार गुप्ता ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। इस पूरे प्रकरण की स्वयं जांच करेंगे। प्रधानमंत्री आवास, इज्जतघर व पेंशन न मिलने की जानकारी की जाएगी। वृद्ध दंपती को सरकारी की योजनाओं के अनुरूप सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।

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