पराली को खाद बना देगा फकत पांच रुपये का कैप्सूल, चंदौली व गाजीपुर के किसानोंं के लिए राहत भरी खबर

नहीं होगा वायु प्रदूषण, उपजाऊ बन जाएगा खेत



नई दिल्ली। इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (IARI)  ने अनूठा कैप्सूल बनाया है। महज पांच रुपये वाले इस कैप्सूल से  पराली जलाने (Stubble Burning)  की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी। इस कैप्सूल से पराली जैविक खाद में बदल जाएगी। भूमि उपजाऊ तो होगी ही, वायु प्रदूषण से भी इस समस्या का निजात मिलेगा। यूपी के चंदौली और गाजीपुर के किसानों के लिए यह राहत भरी खबर है।


हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में पराली जलाए जाने से हर साल जाड़े के सीजन में वायु प्रदूषण बड़ जाता है। इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने जो कैप्सूल बनाया है,  उससे पराली जलाने की समस्या से निजात मिल जाएगी। कैप्सूल की कीमत फकत पांच रुपये है। इसे गरीब किसान भी आसानी से खरीद सकते हैं। एक एकड़ जमीन में पराली को जैविक खाद में बदलने के लिए महज चार कैप्सूल की आवश्यक्ता पड़ेगी। इस तरह से सिर्फ बीस रुपये में कोई भी किसान एक एकड़ कृषि भूमि में खड़ी पराली को जैविक खात में बदल सकता है।


इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पूसा में माइक्रोबायोलॉजी के साइंटिस्ट डॉ. वाईवी सिंह के मुताबिक  इस कैप्सूल के इस्‍तेमाल से कृषि भूमि पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। वैज्ञानिकों ने पंद्रह साल तक मेहनत करने के बाद इस कैप्सूल को तैयार किया है। हालांकि वैज्ञानिकों ने पिछले साल ही इस कैप्सूल को बना लिया था, लेकिन किसानों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी।


सिंह के मुताबिक यह कैप्सूल फार्म वेस्ट को सड़ाकर उसे जैविक खाद में परिवर्तित कर देता है। इसके प्रयोग की विधि भी सरल और आसान है। एक एकड़ जमीन के लिए 150 ग्राम पुराना गुड़ लेकर पानी में उबालना पड़ता है। गुड़ के घोल के ठंडा होने पर इसे पांच लीटर पानी में मिलाने की जरूरत पड़ती है। इस घोल में 50 ग्राम बेसन मिलने पर असर अच्छा होता है। प्‍लास्टिक के बर्तन में उक्त घोल में चार कैप्सूल को अच्छी तरह से मिलाना पड़ता है। फिर उसे पांच दिन के लिए रख दिया जाता है।  घोल में पानी मिलाते समय मास्क और ग्लव्स पहनना अनिवार्य है। पानी मिलाने के बाद यह घोल इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाएगा। पांच लीटर का यह घोल 10 क्विंटल पराली को कंपोस्ट में बदलने की क्षमता रखता है।


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