महाहर धाम सुंदरीकरण को लेकर पर्यटन मंत्री से जगी आस, भाजपा नेता कुंवर रमेश सिंह’ पप्पू ने उठाई आवाज
ऐतिहासिक व पौराणिक स्थल है दशरथ स्थापित शिव मंदिर
जनसंदेश न्यूज
गाजीपुर। जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र के महाहर धाम तीर्थ स्थल की विकास कराने को लेकर वरिष्ठ भाजपा नेता कुंवर रमेश सिंह’ पप्पू ने पर्यटन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार नीलकंठ तिवारी से मिलकर प्रार्थना पत्र देकर मांग किया है। इसके साथ ही धार्मिक पौराणिक स्थल की मान्यता को लेकर विस्तार पूर्वक चर्चा किए।
जंगीपुर विधानसभा पूर्व प्रत्याशी कुंवर रमेश सिंह पप्पू ने पर्यटन राज्यमंत्री से महाहर धाम की मान्यता को लेकर बताया कि महाराजा दशरथ द्वारा स्थापित धार्मिक पौराणिक स्थल है। इस ऐतिहासिक व पौराणिक शिव मंदिर से क्षेत्र के लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है। महाहर मंदिर पर स्थानीय लोगों के साथ-साथ अन्य जनपदों से लोग भी दर्शन करने के लिए आते है। मंदिर पर पूरे वर्ष प्रतिदिन श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है। लेकिन उक्त स्थल पर धार्मिक विकास धर्मार्थ कार्य व पर्यटन विभाग द्वारा विशेष ध्यान नहीं देने से मशहूर धाम अपना ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के अनुरूप विकास नहीं हो सका है। भाजपा नेता ने पर्यटन राज्य मंत्री नीलकंठ तिवारी से मांग किया कि महाहर मंदिर की ऐतिहासिकता को बनाएं रखने के लिए इसका सुंदरीकरण कराने का प्रयास करें।
कुएं से प्रकट हुआ विश्व प्रसिद्ध तेरह मुखी शिवलिंग
गाजीपुर। मरदह ब्लाक स्थित महाहर धाम में प्राचीन तेरह मुखी शिवलिंग स्थापित है। जहां महाशिवरात्रि पर भक्तों का रेला उमड़ता है। इसके अलावा पूरे सावन माह मंदिर परिसर घंटो की आवाज से गुंजयमान रहता है। मंदिर पर सावन माह में बाबा भक्तों का रेला उमड़ता है। मान्यता है कि इस धाम का निर्माण राजा दशरथ ने कराया था। ऐसा माना जाता है कि महाहर धाम में राजा दशरथ का शब्दभेदी बाण गलती से श्रवण कुमार को जा लगा था। जिससे उनकी मौत हो गई थी । यही वो स्थान है जहां श्रवण कुमार के अंधे और बूढ़े मां बाप ने राजा दशरथ को श्राप दिया था। उन्होंने भी यही प्राण त्याग दिए थे। इसके बाद ब्रम्ह् हत्या से बचने के लिए राजा दशरथ ने इस स्थान पर शिव परिवार व भगवान ब्रम्ह की स्थापना किए। लोगों की माने तो राजा दशरथ यहां महल बनाकर अयोध्या से आते जाते रहते थे।
राजा दशरथ की गढ़ी जो जमीन के नीचे दबी पड़ी है। उसमें बड़ा खजाना दबा हुआ है। जिसे कई बार निकालने की कोशिश हुई, लेकिन कोई कामयाब नहीं हुआ। आज भी वह रहस्य का विषय बना हुआ है। यह महल दशरथ के गढ़ी के नाम से विख्यात है। किवदन्तियों और शिव महापुराण के अनुसार जब इस स्थान ने धार्मिक रूप ले लिया तो यहां सूखे के चलते कुएं के निर्माण के दौरान जमीन में तकरीबन 8 से 10 फीट नीचे अलौकिक व विश्व प्रसिद्ध तेरह मुखी आप रूपी शिवलिंग प्रकट हुआ था।