यह कैसा रोजगार, घर की पूंजी लगाकर हो जाएंगे कर्जदार

- ऑल यूपी स्टांप विक्रेता एसोसिएशन ने शासन पर लगाए आरोप, उठाए सवाल

- सिर्फ 1.15 फीसदी कमीशन में भी काट लेंगे 18 प्रतिशत जीएसटी व टीडीएस



सुरोजीत चैटर्जी

वाराणसी। स्टांप वेडरों ने ई-स्टांपिंग को लेकर शासन की नीति पर रोष व्यक्त किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार ने कंप्यूटर के जानकार दस हजार बेरोजगारों को रोजगार देने की बात भले ही कही है लेकिन उन युवाओं के पास लैपटॉप या कंप्यूटर की उपलब्धता को भी अनिवार्य कर दिया है, जो सही फैसला नहीं है। इस तरह का रोजगार मिलने से पहले ही ऐसे बेरोजगार हजारों रुपये के आर्थिक दबाव में आ जाएंगे।

ऑल यूपी स्टांप विक्रेता एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश कुमार श्रीवास्तव, गोविंद बरनवाल और ओमप्रकाश बनरवाल ने परंपरागत स्टांप वेडरों के सामने उपजे को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए एक वक्तव्य में सरकार पर यह आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि शासन की इस नीति के चलते कंप्यूटर के जानकार बेरोजगार युवा आत्मनिर्भर होने से पहले ही कर्जदार हो जाएंगे। ऐसे में उन्हें रोगजार मिलने के बाद मुनाफा कैसे होगा। क्योंकि लगभग 50 हजार रुपये खर्च कर न सिर्फ कंप्यूटर खरीदना होगा बल्कि और हजारों रुपये लगाकर प्रिंटर की भी जरूरत होगी। इसमें कुल मिलाकर बेरोजगार युवक को औसतन 74 हजार रुपये लगाने होंगे।

उसके बाद दोनों उपकरण चलाने पर व्यय होने वाली बिजली का बिल भी भरना पड़ेगा। टोनर और कागज का खर्च अलग। दस रुपये मूल्य के सिर्फ एक स्टांप पेंटर का एक प्रिंट निकालने पर करीब सात रुपये व्यय होंगे उसके 17 रुपये अधिक मूल्य पर बेचने की बाध्यता रहेगी। लेकिन ग्राहक इतने अधिक मूल्य पर स्टांप नहीं लेगा। एक लाख रुपये की स्टांप बिक्री पर सरकार 1.15 फीसदी कमीशन देने की बात कर रही है परंतु यह कमीशन भी सीधे नहीं मिलता बल्कि स्टॉक होल्डिंग के जरिये 18 फीसदी जीएसटी और टीडीएस काटकर बैंक खाते में जमा होगा। सो, सरकार की इस नीति की जमीनी हकीकत यह है कि घर की पूंजी चली जाएगी और स्वयं पर कर्ज बढ़ जाएगा।




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