जानिए कब से शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि, किसी दिन होगी कलश स्थापना?

 

शारदीय नवरात्रि के शुभ मूहुर्त के बारे में जानें विस्तार से, मां दुर्गा की पूजा-अर्चना से मिलेगा अच्छा फल


० पंडित विशाल पोरवाल

अधिमास के चलते इस साल शारदीय नवरात्रि (Navratri) एक महीना विलंब से 17 अक्तूबर से शुरू हो रही है। शक्ति का यह महापर्व 25 अक्तूबर तक चलेगा। नवरात्रि में 9 दिनों तक माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके लिए लोग अपने घरों पर नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते हैं और इसके लिए कई तैयारियां की जाती है।

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है। शैलपुत्री को प्रथम देवी के रूप में पूजा जाता है। पहले दिन कलश स्थापना होती है।

नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा के साथ घटस्थापना (कलश स्थापित) की जाती है। कलश को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है इसलिए सर्वप्रथम कलश स्थापना करके उसका पूजन किया जाता है। जल से भरे हुए कलश को सुख-समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। वास्तु में पूजा करने के स्थान के बारे में भी दिशा का महत्व बताया गया है इसलिए कलश की स्थापना और मां की चौकी लगाते समय भी दिशा का ध्यान रखना आवश्यक होता है।

नवरात्रि में घर के ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व दिशा को पूजा का सही स्थाना माना जाता है। इस दिशा को देवताओं की दिशा माना गया है। इस दिशा में सबसे ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा का संचार रहता है। मां की प्रतिमा और घट स्थापना घर के उत्तर-पूर्व दिशा में की जानी चाहिए। कलश स्थापित करने से पहले उक्त स्थान को गंगाजल से पवित्र करें। फिर कलश के ऊपर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं और उसे जल से भर दें। कलश के मुंह के किनारे मौली लपेटें। फिर उसमें सिक्का, सुपारी और अक्षत डालें। मिट्टी में जौ मिलाएं। लकड़ी की चौकी पर वेदी बनाएं और उसमें कलश को स्थापित करें। कलश के ऊपर लाल रंग के कपड़े में नारियल लपेट कर रखें। ध्यान दें, कलश मिट्टी, चांदी या फिर तांबे का भी हो सकता है। नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्वलित की जानी चाहिए। ज्योति का मुंह पूर्व-दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।

 


कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11:44 बजे से 12:29 बजे तक रहेगा

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ अक्तूबर 17, 2020 को 01:00 एएम

प्रतिपदा तिथि समाप्त- अक्तूबर 17, 2020 को 09:08 पीएम

घट स्थापना मुहूर्त का समय प्रात:काल 06:27 बजे से 10:13 बजे तक 


जानिए किस दिन होगी किस देवी की पूजा
?

17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा, कलश स्थापना

18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा

19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा

20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा

21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा

22 अक्टूबर- मां कात्यायनी पूजा

23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा

24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा

25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा

 

शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व

शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना का समय सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। नवरात्रि में मां अपने भक्तों को खुशी, शक्ति और ज्ञान प्रदान करती हैं। मां दुर्गा की अराधना करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना का पर्व है। इस वर्ष सप्तमी तिथि शुक्रवार को पड़ रही है। इसलिए देवी का आगमन डोली में होगा, जिसका फल अच्छा नहीं माना जाता है। अष्टमी तिथि की महानिशा 23 अक्टूबर और महाअष्टमी व्रत 24 अक्टूबर शनिवार को है। अष्टमी और नवमी पूजा का मुहूर्त पूर्वाह्न 11.3 बजे से लेकर 11.51 तक होगा। महानवमी का मान 25 अक्टूबर रविवार को है।

नवमी के दिन व्रत और हवन-पूजन किया जा सकेगा। कलश उठाने से पहले अंतिम दिन 108 बार अपनी कामना बोलें। यह नवरात्रि का सटीक उपाय है।चूकि नवमी तिथि दिन में ही समाप्त हो रही है, इसलिए पूर्ण नवरात्रि व्रत के कारण समुचित समय मिल रहा है। हालांकि 26 अक्टूबर सोमवार को व्रत का पारण शास्त्र सम्मत और शुभफलदायक है। यद्पि विजयदशमी 25 अक्टूबर को ही मना लिया जाएगा। प्रतिमा विसर्जन 26 अक्टूबर से किया जाएगा। पापांकुश एकादशी व्रत का मान सबके लिए 26  अक्टूबर मंगलवार को है।



Popular posts from this blog

'चिंटू जिया' पर लहालोट हुए पूर्वांचल के किसान

लाइनमैन की खुबसूरत बीबी को भगा ले गया जेई, शिकायत के बाद से ही आ रहे है धमकी भरे फोन

नलकूप के नाली पर पीडब्लूडी विभाग ने किया अतिक्रमण, सड़क निर्माण में धांधली की सूचना मिलते ही जांच करने पहुंचे सीडीओ, जमकर लगाई फटकार