महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति के खिलाफ संविदा शिक्षकों ने खोला मोर्चा
0 संविदा शिक्षकों की सेवाएं रिन्युवल करने का जारी हो चुका है शासनादेश
0 विद्यापीठ के कुलपति टीएन सिंह अब नए सिरे से कराना चाहते हैं
इंटरव्यू
0 जुलाई से रोक दिया गया है विश्वविद्यालय के 78 संविदा शिक्षकों
का वेतन
जनसंदेश न्यूज
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के संविदा शिक्षकों
ने कुलपति टीएन सिंह के खिलाफ अब मोर्चा खोल दिया है। संविदा शिक्षकों का आरोप है
कि शासनादेश को ताक पर रखकर कुलपति अपने चहेतों की नियुक्ति करना चाहते हैं। वह भी
तब, जब अगले साल
कुछ महीने बाद इनका कार्यकाल खत्म होने वाला है। संविदा शिक्षकों ने इस मुद्दे पर
राजभवन से शिकायत की है। इनका कहना है कि अगले हफ्ते बनारस दौरे पर आ रहीं
राज्यपाल आनंदी बेन से मिलकर संविदा शिक्षक कुलपति की मनमानी और धांधली की शिकायत
करेंगे।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में 78 शिक्षकों
की संविदा की मियाद खत्म गई है। ये वो संविदा शिक्षक हैं जिनकी नियुक्ति अक्टूबर 2008 में हुई
थी। पहले इनका रिन्युवल हर साल होता था और साल 2015 में एक
साल इन्हें पांच साल के लिए अनुबंधित किया गया। इनमें गंगापुर परिसर, एनटीपीसी
परिसर और मुख्य परिसर के शिक्षक शामिल हैं।
उच्च शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव मोनिका गर्ग ने विगत 13 मार्च 2020 को
शासनादेश जारी करते हुए निर्देश दिया था कि शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की
सेवा संबंधी विषय के पाठ्यक्रम के चलते रहने अथवा संतोषजनक सेवा रहने तक सेवा जारी
रहेगी। आरोप है कि काशी विद्यापीठ के कुलपति ने लाइब्रेरी साइंस, राष्ट्र
गौरव, कमेट्री,
पत्रकारिता, गृह विज्ञान
विभाग, राजनीति
शास्त्र, फाइन
आर्ट्स, आरपीएम
समेत कई विभागों में कई संविदा शिक्षक तैनात हैं। इनकी नियुक्ति विधिवत इंटरव्यू
के बाद की गई थी। 78 शिक्षकों
का कार्यकाल कोरोनाकाल के समय हो गया था। कुछ दिनों तक वेतन दिया गया, बाद में
वो भी रोक दिया गया।
संविदा शिक्षकों का आरोप है कि शासनादेश के मुताबिक इनका कार्यकाल स्वतः बढ़ चुका है, लेकिन कुलपति इनके टर्म का रिन्युवल नहीं कर रहे हैं। इन शिक्षकों का कोविडकाल के समय का वेतन तक नहीं दिया गया है। 78 में से करीब 60 शिक्षक ऐसे हैं जो भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। कुलपति पर आरोप है कि वो मनमाने ढंग से अपने चहेतों को संविदा पर नियुक्त करना चाहते हैं। संविदा शिक्षकों ने कहा है कि अगर शासनादेश की धज्जियां उड़ाई गईं तो वो कोर्ट में जाएंगे। साथ ही राज्यपाल से मिलकर कुलपति की मनमानी का कच्चा चिट्ठा सौंपेंगे। शिक्षकों का यह भी कहना है कि कोरोनाकाल में इन शिक्षकों की जो उपलब्धियां विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर थीं, सबूत मिटाने के लिए उन्हें योजनाबद्ध ढंग से हटाया जा रहा है।
शनिवार को काशी विद्यापीठ के संविदा शिक्षकों ने कुलाधिपति को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि शासनादेश के अनुपालन में कार्य परिषद की बैठक में नौ मई 2020 को मानक के अनुसार संविदा शिक्षकों का वेतन निर्धारित करने का निर्णय लिया गया था। कहा गया है कि जुलाई से संविदा शिक्षकों के वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जो कार्य परिषद के आदेश का उल्लंघन है। कोरोनाकाल में वेतन आहरित न किया जाना प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। ज्ञापन देने वालों में डा.रमेश सिंह, डा.अविनाश कुमार सिंह, डा.शैलेश कुमार, डा. गोपाल यादव, डा.आनंद यादव, डा.शत्रुघ्न प्रसाद, डा. राजेंद्र यादव, डा. दिलीप कुमार सिंह, डा.विश्वजीत कुमार, डा. प्रभा शंकर, डा. सुमित घोष आदि प्रमुख लोग शामिल थे।
संविदा शिक्षकों की नए सिरे से होने जा रही भर्ती पर विश्वविद्यालय का कोई अधिकारी जुबान खोलने के लिए तैयार नहीं है। नए सिरे से इंटरव्यू के लिए विद्यापीठ प्रशासन ने अभी कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं कराया है। प्रबंधन से जुड़े एक अधिकारी ने संवंदा शिक्षकों के आरोपों को गलत बताया और कहा कि इस सिलसिले में कुलपति ही बयान दे सकते हैैं। कुलपति से संपर्क नहीं हो सका। इनका पक्ष आएगा तो उसे भी हम प्रकाशित करेंगे।