प्रजा को क्यूं रूला रहे हैं सब्जियों के राजा आलू? पर्याप्त उत्पादन के बाद भी दाम में लगी आग, आखिर क्यों?



जनसंदेश न्‍यूज

नई दिल्ली। बिहार विधान सभा चुनाव में प्रचार के दौरान महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर हमला बोलते हुए तंज कसा कि अगर महंगाई डायन थी तो आग भौजाई कैसे बन गई? दरअसल उनका यह कटाक्ष आम आदमी के मूल जरूरत की चीजें जैसे आलू, प्याज और टमाटर भावों में अचानक आये उछाल को लेकर था। इन दिनों महंगाई ने तो आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है।

सब्जियों के राजा आम इन दिनों प्रजा पर खुब कहर ढा रहे हैं। कोरोना की मारी जनता आलू के चढ़े भाव से और भी परेशान है। आलू के भाव इन दिनों आसमान चढ़ रहे हैं और दिन प्रतिदिन इसके दाम रिकार्ड स्तर की ओर बढ़ रहे हैं। अगर सरकार जल्द इस पर कोई निर्णय नहीं लेती है तो आलू जनता का सारा दम निकाल लेगी। 



देश में आलू का उत्पादन पर्याप्त होते हुए भी इसका दाम रिकॉर्ड तोड़ रहा है। देश के कुल उत्पादन का करीब आधा आलू कोल्ड स्टोर में रखा हुआ था फिर भी इस समय खुदरा मार्केट में इसका रेट 40-50 रुपये किलो से ऊपर पहुंच गया है। हैरान करने वाली बात ये है कि एक तरफ कोल्ड स्टोरेज आलू से भरे पड़े हैं और दूसरी तरफ जनता की जेब पर कुछ लोगों की वजह से डाका डाला जा रहा है।

दरअसल केंद्र सरकार की ऑनलाइन मंडी ई-नाम पर भी आलू का अधिकतम थोक भाव 3200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। अब आप ही सोचिए कि जब थोक भाव इतना होगा तो उपभोक्ता तक आते-आते उसका दाम क्यों नहीं 50 रुपये के पार चला जाएगा। देश के सबसे बड़े आलू उत्पादक राज्य यूपी के आगरा की बात करें तो यहां इसका मॉडल प्राइस 2100 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया है। जबकि यह आलू का गढ़ है। मेरठ और प्रयागराज में इसका मॉडल प्राइस 2400 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया है। सहारनपुर में 2600 और उन्नाव में इसका अधिकतम थोकभाव 2693 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रहा है।



तो इसलिए बेतहाशा बढ़ रहे हैं आलू के दाम

कृषि क्षेत्र के जानकार बिनोद आनंद कहते हैं कि केंद्र सरकार ने आलू और प्याज को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया है। इसलिए जमाखोरी लीगल हो गई है। किसानों को तो कुछ मिल नहीं रहा, व्यापारी मजे ले रहे हैं। जिस तरह से 31 दिसंबर तक प्याज के स्टॉक पर लिमिट लगा दी गई है उसी तरह से आलू पर भी लगाना होगा वरना जमाखोर महंगाई बढ़ाते रहेंगे। दाम बढ़ाने का सारा खेल बिचौलिए खेल रहे हैं। किसान का इसमें कोई रोल नहीं है। जब किसान के खेत से आलू निकलेगा तो कोई उसे 5 रुपये किलो भी नहीं खरीदता।

दूसरी तरफ यूपी में उद्यान विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने सभी कोल्ड स्टोरेज में आगामी 31 अक्तूबर के बाद कूलिंग मशीनें न चलाने और पुराने आलू की निकासी के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद कोल्ड स्टोरेज से पर्याप्त मात्रा में आलू नहीं निकल रहा है, जिसकी वजह से आलू के रेट में आग लगी हुई है।

यूपी के कोल्ड स्टोरेज में 30.56 लाख टन आलू कोल्ड स्टोरों में लॉक है। जिसमें करीब 8 लाख टन बीज के लिए है, अभी भी करीब 22 लाख टन आलू खुले बाजार के लिए मौजूद है। 10-15 दिन में नई फसल भी आ जाएगी। फिर भी कुछ व्यापारियों की मंशा है कि शासन के आदेश को धता बताकर जब तक मौका मिल रहा है मुनाफा लूट लिया जाए।


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