चतुर राकेश त्रिपाठी से बचने के लिए केंद्र सरकार ने जारी की चेतावनी

 


उच्चस्तरीय जांच हुई तो सत्तारूढ़ दल के कई नेताओं की खुल जाएगी कलई, जालसाजों से बचाने को सरकार ने जारी की चेतावनी

वाराणसी। एमएसएमई प्रोमोशन काउंसिल के नाम का दुरुपयोग करने के मामले में चर्चा में आए राकेश त्रिपाठी को बचाने के लिए सत्ता के गलियारे में कवायद तेज हो गई है। जानते हैं क्यों? आरोप है कि गाड़ियों पर भारत सरकार का नेम प्लेट लगाकर फर्जीगीरी करने वाला यह शख्स पूर्वांचल के तमाम नेताओं और पुलिस अफसरों को बैंकाक से लेकर गोवा तक की सैर करा चुका है। सूत्र बताते हैं कि खुद का नाम उजागर होने से बचने के लिए पूर्वांचल के कई नेता सत्ता के गलियारों में जुटे हुए हैं। धोखाधड़ी करने वाला राकेश त्रिपाठी भूमिगत हो गया है। पुलिस ने अभी तक फर्जी संस्था के खिलाफ एक्शन नहीं लिया है। इस बीच एमएसएमई मंत्रालय ने चेतावनी जारी है कि एमएसएमई निर्यात संवर्धन परिषद अनाधिकृत गतिविधियों में शामिल है। संगठन को भारत सरकार की ओर से किसी भी तरह की नियुक्ति करने के लिए अधिकृत नहीं किया गया है।

बसपा के टिकट पर लड़ा था चुनाव 

यूपी में विधानसभा के चुनाव में राकेश त्रिपाठी अचानक शहर दक्षिणी सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने आया था। उस वक्त उसने ऐसी दरियादिली दिखाई कि लोग इसे बड़ा नवधनाड्य मान बैठे। बनारस के लोग अभी तक मुगालता पाले हुए थे। झूठे शान-ए-शौकत और कारों के काफिलों के साथ चलने वाले इस शख्स को कोई जान ही नहीं सका कि ये कितना बड़ा जगलर है। राकेश त्रिपाठी खुद फर्जी संस्था का चेयरमैन बन बैठा और अपनी गाड़ियों पर भारत सरकार भी लिखवा लिया।

फर्जी पदबी लेकर राकेश त्रिपाठी पहली बार बनारस आया तब भी इसने मीडिया और नेताओं को पहले की तरह ही रिझाने की कोशिश की। यही नहीं, इसने बनारस शहर में कई युवाओं को नौकरी दिलाने का झांसा भी दिया। सूबे के एक काबीना मंत्री तो राकेश त्रिपाठी पर कुछ ज्यादा ही लट्टू नजर आए। उसके साथ तस्वीरें खिंचवाई और उसे सोशल मीडिया पर डालकर खूब प्रचारित भी किया। अब मंत्रीजी अपना चेहरा छिपाते फिर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि राकेश के धंधे को लेकर जो बातें सामने आई हैं वो बनारसियों को हैरत में डालने वाली हैं।

एमएसएमई एक्‍सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल की जालसाजी को लेकर एमएसएमई निर्यात संवर्धन परिषद (MSME Export Promotion Council) भी दहल गया है। जालसाली के मामने ने इतना तूल पकड़ लिया है कि रविवार को केंद्र सरकार को विधिवत चेतावनी जारी करनी पड़ी। केंद्र की ओर से कहा गया है कि एमएसएमई एक्‍सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल का सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्योग मंत्रालय से कोई संबंध नहीं है। यह संस्था फर्जी है और इसके कुछ लोग काउंसिल के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं। एमएसएमई मंत्रालय ने चेतावनी में कहा है कि लोग इस संगठन की अनाधिकृत और गलत गतिविधियों से सतर्क रहें क्योंकि यह संगठन खुद को मंत्रालय का हिस्सा बताकर लोगों को झांसे में ले रहा है। इस संगठन ने निदेशक पद पर नियुक्ति के लिए बड़े पैमाने पर सूचनाएं प्रसारित की हैं।

एमएसएमई मंत्रालय ने कहा-संगठन से कोई संबंध नहीं

एमएसएमई मंत्रालय ने कहा है कि एमएसएमई निर्यात संवर्धन परिषद की ओर से निदेशक पद के लिए जारी नियुक्ति पत्र से जुड़े कुछ सूचनाएं सोशल मीडिया (Social Media) पर डाली जा रही हैं। यह संगठन एमएसएमई मंत्रालय के नाम का गलत इस्‍तेमाल कर रहा है। संगठन का उससे कोई संबंध नहीं है। केंद्र सरकार (Central Government) की किसी की नियुक्ति करने के लिए कोई अधिकृत नहीं किया गया है। झूठे संदेशों या गलत तत्वों के बहकावे में लोग कतई न आएं।

इस बीच एमएसएमई एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने अपनी वेबसाइट खुद के प्राइवेट कंपनी होने की बात लिखकर विवाद से पीछा छुड़ाने की कोशिश की है। वेबासाइट में जो नई सूचनाएं डाली गई हैं उसमें कहा गया है कि भारत सरकार के किसी भी विभाग से उसका कोई संबंध नहीं है। यह संस्था ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए काम करेगी। ग्रामीणों को उद्योग लगाने के लिए आर्थिक मदद देने का प्रयास किया जाएगा।



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