विधायक की भी नहीं सुन रहे बनारस के अफसर, चिट्ठी को भी अफसरों ने किया दरकिनार
बीएचयू के निकट महामनापुरी कॉलोनी की सड़क 20 साल है खस्ताहाल
विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह की चिट्ठी को भी अफसरों ने किया दरकिनार
सीएम की निगरानी वाले आईजीआरएस पर भी नहीं हो सकी कोई सुनवाई
सुरोजीत चैटर्जी
वाराणसी। जनपद के शहरी इलाके में एक ऐसी भी जर्जर सड़क है जिसे दुरुस्त कराने के प्रयास बीते 20 साल हो रहे हैं लेकिन न तो आला अफसरों के कान में जूं रेंग रही है और न ही जिम्मेदार महकमा इस पर ध्यान देने की जरूरत ही समझ रहा है। हद तो यह कि इस रोड की मरम्मत के लिए दो साल पहले विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह भी पत्र लिख चुके हैं, उसके बावजूद अधिकारियों ने सत्ताधारी दल के एमएलए की चिट्ठी को भी दरकिनार कर रखा है।
करौंदी इलाके में महामनापुरी कॉलोनी के लेन नं.-9 की सड़क खस्ताहाल है। बीएचयू के निकट स्थित कॉलोनी की इस सड़क की सूरत संवारने के लिए क्षेत्रीय लोगों की दौड़धूप अबतक जारी है। 20 साल पहले इस मार्ग का निर्माण हुआ लेकिन खराब क्वालिटी की सामग्री का प्रयोग किये जाने के कारण उसके बाद से ही इस रोड की हालत जर्जर है। रोड पर चारकोल और गिट्टी की जगह सिर्फ धूल और गड्ढे दिख रहे हैं। इसका खामियाजा इलाकाई लोगों को प्रतिदिन भुगतना पड़ रहा है।
इस कॉलोनी के एक भुक्तभोगी रघुकुल यथार्थ ने 12 जून 2018 को प्रधानमंत्री संपर्क कार्यालय में मौजूद विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह को शिकायती पत्र देकर इस सड़क की मरम्मत कराने की मांग कॉलोनीवासियों की ओर से की। उसके बाद मुख्य विकास अधिकारी के अलावा समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) के जरिये अधिशासी अभियंता उत्तर प्रदेश ग्रामीण सड़क योजना, नगर आयुक्त, खंड विकास अधिकारी, लोनिवि के अधिशासी अभियंता निर्माण खंड आदि को पत्र भेजते रहे।
हैरत है कि जनसमस्या का समाधान कराने के लिए शासन से लेकर प्रशासन तक ढेरों पत्र लिखने के बावजूद कॉलोनीवासियों को जनपद में अबतक कोई ऐसे अफसर नहीं दिखा जो इस रोड की मरम्मत कराने की पहल करे। खास यह भी कि आईजीआरएस की मॉनिटरिंग सीधे मुख्यमंत्री स्तर से होती है और समय-समय में सीएम योगी खुद आईजीआरएस में दर्ज शिकायतों के निबटारे के बारे में समीक्षा करते हैं।
यह भी कम रोचक नहीं कि जनशिकायतों के निस्तारण में कई बार बनारस के अफसर सूबे में अव्वल स्थान प्राप्त करने का प्रचार भी कर चुके हैं। महामनापुरी कॉलोनी निवासी रघुकुल यथार्थ ने आरोप लगाया है कि दर्जनों पर संबंधित महकमों के चक्कर लगाने के बावजूद अधिकारी टाल-मटोल का रवैया अपना रहे हैं।