बसपा प्रत्याशी के नामांकन में 'शोपीस' बनी कोविड गाइडलाइन



नामांकन में हुजूम,उड़ीं कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां

कलेक्ट्रेट के बाहर लगी नामांकन दाखिल करने आए बसपा प्रत्याशी अभय नाथ त्रिपाठी के समर्थकों की भीड़


देवरिया। उप चुनाव सदर विधानसभा में प्रत्याशीयो के साथ उमड़ रही भीड़ बिना मास्क, सोसल डिस्टेशिंग चल रहे है। इससे जिले में कोरोना विस्फोट का बड़ा खतरा मडरा रहा है। कलेक्ट्रेट स्थित नामांकन स्थल के बाहर नामांकन में कोविड 19 प्रोटोकॉल टूटता नजर आया लेकिन कोई जिम्मेदार अधिकारी ने कोई एक्शन नही लिया यह बड़ा सवाल है।

    कोरोना काल में हो रहे सदर सीट पर इस उपचुनाव में कोविड 19 के नियम पालन न करने से  संक्रमण का खतरा मडराने लगा है? कोविड 19 को लेकर जारी गाइडलाइन कागजों तक सिमट गई है। संक्रमण के खतरे से बेफिक्र चुनावी भीड़ महामारी के मुहाने पर ले जा सकती है। पार्टी कार्यालय से शुरू होकर आयोग की गाइडलाइन निर्वाचन कार्यालय की दहलीज तक टूट रही है। 


पार्टी कार्यालय से शुरू हुई कोरोना गाइड लाइन की धज्जिया उड़ाने का शिलशिला


    मंगलवार के दिन में बसपा के जिला  कार्यालय पर सदर सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए बसपा प्रत्याशी अभय नाथ त्रिपाठी द्वारा नामांकन के दिन बिना बिना मास्क, बिना सोशल डिस्टेंसिंग के मंच के साथ ही आसपास प्रशंसको की भीड़ इकट्ठा कर आयोग की गाइड लाइन का पालन नही किया गया। बसपा प्रत्याशी के नामांकन में कोरोना को लेकर कोई सावधानी या नियम पालन नही बरती गई।

   प्रत्याशी ने कोविड से बचाव को लेकर गाइडलाइन का पालन नहीं किया। मंच से भी कोई जिम्मेदार सोशल डिस्टेंसिंग के लिए मंच से बोलते नही दिखा और न ही मास्क लगाने के लिए कोई अपील की गई। 

  बसपा प्रत्याशी समर्थक पार्टी कार्यालय से निकलकर सुभाष चौक होते हुए कलेक्ट्रेट गेट के पास तक पहुँच गए, लेकिन जिम्मेदारों ने न तो इसमें कोई सख्ती दिखाई और न ही भीड़ को सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाया।

    बसपा प्रत्याशी के  नामांकन के दौरान ही जब कोरोना से बचाव को लेकर निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन टूटती बीच सड़क पर देखी गई, इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि आगे चुनाव प्रचार, मतदान और मतगणना तक क्या होगा।       

    नामांकन के तीसरे दिन भीड़ ने यह संकेत दे दिया है कि अगर चुनाव आयोग इस मामले पर गंभीर नहीं हुआ तो चुनाव के बाद देवरिया को कोरोना विस्फोट से बचाना बड़ी चुनौती होगी।

       चुनाव बाद अगर कोरोना विस्फोट हुआ तो जिम्मेदार कौन होगा? यह बड़ा सवाल है। ऐसे में नेताओं और उनके समर्थकों की भीड़ पर काबू पाना आवश्यक है।    

    चुनाव की गहमागहमी को लेकर जिस तरह से कार्यालयों में भीड़ और सड़कों पर वाहनों का रेला है, ऐसे में आम लोगों में कोरोना को लेकर दहशत है। 

   सड़क पर सोशल डिस्टेंसिंग की जांच करने वाला कोई नहीं है। कोरोना के संक्रमण के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। गाइडलाइन का पालन कराने वाली पुलिस कहां है? इसका भी जवाब देने वाला कोई नहीं।

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