भारत सरकार के नाम का लगा रहे थे फर्जी तमगा, राजफाश हुआ तो मीडिया को धमकाने लगे राकेश त्रिपाठी
जवाब नहींःचोरी भी, सीनाजोरी भी!
वाराणसी। अपनी गाड़ी पर भारत सरकार और एमएसएसई एक्सपोर्ट, उत्तर प्रदेश का जाली तमगा
लगाकर घूमने वाले राकेश त्रिपाठी इस बात से बुरा मान गए हैं कि इनके कारनामों पर हमने
खबर क्यों छाप दी? और यह भी छाप दिया की अगर उच्चस्तरीय जांच कराई गई तो सत्तारूढ़ दल के कई नेताओं
की कलई खुल जाएगी। इस सच को छापने पर इन्होंने हमें एक नोटिस भेजा है और कहा है कि
उनकी मानहानि हुई है। धमकी दी है कि अगर एक हफ्ते के अंदर खबर का खंडन और स्पष्टीकरण
नहीं छापते तो कोर्ट में आपराधिक वाद दायर करेंगे।
बसपा के टिकट पर शहर दक्षिणी से चुनाव लड़ने वाले राकेश त्रिपाठी अब खुद को भाजपा
का सिपाही बता रहे हैं। इन्होंने जो नोटिस भेजा है उसमें यह नहीं लिखा है कि किस बात
से उनकी इज्जत चली गई और मान-सम्मान की हानि हो गई? इन्होंने खबर को झूठा और फर्जी
तो करार दिया है, लेकिन कोई प्रामाणिक साक्ष्य नहीं दिया है? यह भी नहीं बताया है कि वो
खबर झूठी व फर्जी कैसे है?
नोटिस में राकेश त्रिपाठी ने यह भी कहा है वो काफी इज्जतदार आदमी हैं। इनके नाम
की, मान-सम्मान की काफी शोहरत है।
समाज में लज्जित हो गए हैं और इनकी इमेज धूमिल हो गई है। इन्होंने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया है कि वो भारत सरकार
और सरकारी संस्था का फर्जी तमगा लगाकर देश भर में क्यों घूम रहे थे? इन्हें यह तमगा देने वाले लोग
किस राजनीतिक दल से जुड़े हैं? इनसे उनके कैसे रिश्ते रहे हैं?
भाजपा के पूर्व सांसद हरि नारायण राजभर के साथ राकेश त्रिपाठी
ये है राकेश त्रिपाठी का फर्जी नियुक्ति-पत्र |
किसी सियासी दल से महज चुनाव लड़ लेने भर से किसी नेता की छवि अच्छी नहीं बन जाती। खुद को कभी नेता और कभी रियल स्टेट का कारोबारी बताने वाले राकेश त्रिपाठी के बारे में हमारे पास जो साक्ष्य मौजूद हैं उससे जाहिर होता है कि ये माहिर खिलाड़ी हैं।
राकेश त्रिपाठी जिस गाड़ी से चलते हैं उसका नंबर यूपी 65 डीएम 2777 है। हमें इस गाड़ी की दो तस्वीरें
मिली हैं। एक तस्वीर में इनके परिवार का
लड़का भारत सरकार के नाम पर रौब दिखाने की कोशिश कर रहा है और दूसरे में वो खुद। दोनों
तस्वीरों में इनकी कार पर भारत सरकार और एमएसएसई एक्सपोर्ट उत्तर प्रदेश का साइन बोर्ड
चमक रहा है। यह भंडाफोड़ हो चुका है कि राकेश त्रिपाठी आज तक ऐसे किसी पद पर आसीन नहीं
रहे, जिससे उन्हें भारत सरकार
अथवा एमएसएसई का बोर्ड का तमगा लगाकर घूमने का अधिकार मिला हो। इसे जालसाजी नहीं, तो क्या कहा जाएगा? क्या इस तरह के कृत्य संगीन
अपराध के दायरे में नहीं आते?
इसे कहते हैंं भारत सरकार के नाम पर धौंस जमाना
हमें एक वीडियो भी मिला है, जिसे देखने से पता चलता है कि राकेश त्रिपाठी, भाजपा के पूर्व सांसद हरि नारायण राजभर के हमजोली रहे हैं। वो फोटोग्राफ भी देखा जा सकता है जब हरिनारायण राजभर उन्हें नियुक्ति-पत्र सौंप रहे थे। यही नहीं, राकेश को जारी नियुक्ति-पत्र पर उसकी प्रतिलिपि सूक्ष्म, लघु और उद्यम निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन को भेजे जाने का भी उल्लेख है।
राजभर के दस्तखत से कई लोगों के
नाम जारी नियुक्ति-पत्र और परिचय-पत्र जारी किए गए हैं। कुछ परिचय-पत्रों की प्रतिलिपि
हमारे पास मौजूद है, जिसमें केंद्र सरकार की संस्था सूक्ष्म, लघु और उद्यम निर्यात संवर्धन परिषद के नाम और भारत
सरकार के चिह्न का भी दुरुपयोग किया गया है। हमें
आगरा के एक कारोबारी का आडियो टेप भी मिला है, जिसने सूक्ष्म, लघु और उद्यम निर्यात
संवर्धन परिषद का डायरेक्टर बनने के लिए मोटी धनराशि ऐठे की बात स्वीकारी गई है। यह
कारोबारी भी भाजपा से ही जुड़ा है। आडियो में वह कारोबारी सूबे के उप-मुख्यमंत्री केशव
प्रसाद मौर्य से करीबी संबंध होने का दावा भी कर रहा है।