‘तेरा यार हूं मैं’ के अभिनेता बोले, बेहद जरूरी है अपने बच्चे का सबसे अच्छा दोस्त बनना 


जनसंदेश न्यूज़
इंदौर। तेरा यार हूँ मैं में काम करने के फैसले के बारे में सुदीप ने बताया कि इससे पहले मैंने कभी एक पिता- बेटे के संबंध पर आधारित कहानी में काम नहीं किया था। इसलिए यह एक अलग लेकिन ऐसा कॉन्सेप्ट था जिससे मैं जुड़ा महसूस कर सकता था। इसमें खास बात यह है कि यह पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण लेकर नहीं आता क्योंकि इसमें एक पिता का और इसके साथ ही एक बेटे का नजरिया भी दिखाया जाता है। यह सोच बेहद नई है और मुझे पूरा यकीन है कि हर कोई किसी न किसी तरीके से इससे खुद को जुड़ा हुआ महसूस करेगा। यही वह वजह थी जिसके चलते मैंने तेरा यार हूँ मैं में काम करना स्वीकार किया।  
सोनी सब एक ऐसा चैनल है जो दर्शकों के लिए हल्के-फुल्के शो लेकर आता है और मुझे इस चौनल का हिस्सा बनकर काफी खुशी हो रही है, खासतौर पर अभी जब लोगों को इस तरह के हल्के-फुल्के मजेदार शो की जरूरत है। जिस तरह यह शो मुझे मिला ये भी काफी आश्चर्यजनक है। एक दिन मैं अपनी पत्नी के साथ बाहर डिनर के लिए गया था और मैंने उससे बातों ही बातों में जिक्र किया कि मैं सोनी सब पर स्लाडइस-ऑफ-लाइफ शो में काम करना पसंद करूंगा। आश्चर्य की बात है, कुछ महीनों के बाद मुझे इस शो में काम करने का मौका मिला और मुझे बेहद खुशी हुई।    
इस शो का कॉन्सेप्ट कुछ ऐसा है जिसे भारतीय टेलीविजन में ज्यादा दिखाया नहीं गया है। इस बारे में कृपया कुछ बताएँ। यह वाकई एक बेहद अनोखा कॉन्सेप्ट है जिससे दर्शक तुरंत जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। आज के दौर में जब ज्यादातर शो सास-बहू की कहानियों पर आधारित है और कुछ एक पिता-बेटी के रिश्ते पर, तो ‘तेरा यार हूँ मैं’ अपने अनोखी अप्रोच के साथ नया और ताजा नजरिया लेकर आता है। यह शो बदलते दौर से और एक परिवार में प्रत्येक पीढ़ी पर इसके प्रभाव से प्रेरणा लेता है। आज के बदले हुए दौर से कदम मिलाने और अपने बेटे के जीवन का एक हिस्सा बनने के लिए राजीव वास्तविक दुनिया में और इसके साथ ही वर्चुअल लाइफ में भी उसका दोस्त बनने का तरीका अपनाता है। जबकि उसका बेटा अपने पिता को प्यार और सम्मान करता है, लेकिन इसे यहीं तक सीमित रखना चाहता है और उन्हें एक ऐसे यारह्व के रूप में नहीं चाहता जो उसकी जिंदगी में घुसपैठ करे।       
मेरा किरदार राजीव बंसल एक टीनेज लड़के ऋषभ का पिता है जो उसका दोस्त बनना चाहता है। अपने खुद के पिता के साथ जो रिश्ता नहीं बन पाया, उसे बनाने की कोशिश में राजीव सोशल मीडिया पर ऋषभ का दोस्त बनने की कोशिश करता है। हालाँकि राजीव अपने पिता का आदर करता है लेकिन उसे अफसोस होता है उसके पिता कभी उसके दोस्त नहीं बन सके, भले ही वह चाहता था कि वे ऐसे हों। इसलिए अपने बेटे के करीब पहुँचने के लिए वह सबकुछ करने की कोशिश करता है, जो संभव है।
वह एक मेहनती और एक संवेदनशील इंसान है जिसके लिए परिवार सभी चीजों से बढ़कर है। जब मैं बड़ा हो रहा था तब भी मेरे पिता के साथ मेरा रिश्ता बेहद खूबसूरत था। मुझे थप्पड़ मारना तो छोड़िए उन्होंने कभी मेरा हाथ भी कसकर नहीं पकड़ा। शुरूआत में मैं पढ़ाई में अच्छा नहीं था और एक दिन वो मेरे पास आए और मुझे गले लगा लिया और मुझे कहा ‘मुझे बताओ यदि तुम पढ़ाई नहीं करना चाहते हो तो और क्या करना चाहते हो’। इससे मुझे बहुत प्रोत्साहन मिला और मैं पढ़ाई में वाकई अच्छा प्रदर्शन करने लगा। मुझे लगता है, यदि उन्होंने मुझे थप्पड़ लगाया होता तो मैं यह कभी नहीं समझ पाता, लेकिन उनका मेरे पास आना, और इतने प्यार से मुझसे बात करने की वजह से मुझे अहसास हुआ कि मुझे पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। मैंने अपने बेटे के लिए भी यही तरीका अपनाया है।   


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