शंकर जिंदा या मुर्दा? सबूत लेकर कार्यालय-कार्यालय चक्कर लगाने मजबूर है बुजुर्ग


जनसंदेश न्यूज 
कठवामोड़/गाजीपुर। नौकरशाहों का अजब खेल है। जिंदा इंसान को कागजों पर मुर्दा घोषित कर दिया। अब बुजुर्ग अपने जिंदा होने का सबूत देने के लिए कार्यालय-कार्यालय चक्कर लगा रहे हैं। सदर तहसील में नौकरशाहों का एक अजीबो-गरीब कारनामा सामने आया है। नौकरशाहों ने एक जिंदा इंसान को कागजों में मृत घोषित कर दिया। अब वें बुजुर्ग अपने जिंदा होने का सबूत देने के लिए एक जगह से दूसरे जगह चक्कर लगा रहे हैं।


मामला सदर तहसील के सरायबन्दी गांव निवासी दलित शंकर के नाम से मौजा चकमुवामिद ता. नसरू मौजे में भूमि संक्रमणीय भूमिधर के रूप में थी। जिसको तहसील के कर्मचारियों और लेखपाल ने मिलीभगत से शंकर को मृतक दिखा कर पारस, रामकरन का नाम दर्ज कर असंक्रमणीय भूमिधर के नाम से दर्ज करा दिया। जब इसकी जानकारी शंकर को हुआ तो स्वयं जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया कि मैं जिन्दा हूं और मेरे साथ उपरोक्त घटना साजिश के तहत किया गया है। जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई किया जाय। लेकिन कोई कार्रवाई नही होने पर शंकर न्यायालय की शरण मे गया। 



तब न्यायालय के आदेश पर क्षेत्रीय लेखपाल अमित यादव सहित पारस, रामकरन पता अज्ञात के नाम थाना बिरनो में 420, 467, 468, 471, 504, 506 सहित एस सी/एस टी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। तब आनन-फानन में विवेचनाधिकारी क्षेत्राधिकारी कासिमाबाद ने खतौनी में फर्जी नाम चढ़े लोगों का हटवाकर मृतक दिखाए गए। शंकर का नाम का खतौनी में दर्ज करवाया। लेकिन भूमि संक्रमणीय को न बदल कर असंक्रमणीय ही रहने दिया और शंकर को मुकदमा वापसी की धमकी देते हुए दोषियों के खिलाफ कोई करवाई न कर लेखपाल और फर्जीवाड़ा करने वालों को बचाने के लिए फाइनल रिपोर्ट लगा दिया। जिसकी शिकायत मृतक दिखाए गए शंकर ने डीएम से लगायत मुख्यमंत्री तक से किया। 


अब भी दलित शंकर अपने भूमि पर दर्ज गलत तथ्यों को सही कराने और दोषियों के खिलाफ कारवाई के लिये दर-दर की ठोकरें खा रहा है। उधर उपजिलाधिकारी सदर प्रभाष कुमार ने बताया कि मेरे संज्ञान में अभी तक ऐसा मामला नहीं है। यदि शंकर से मुझे प्रार्थना पत्र प्राप्त होता है तो तत्काल आवश्यक कार्यवाही किया जाएगा।


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