सरकारी विद्यालय बना भाजपा नेता का राजनीतिक अखाड़ा, चली बैठक, जनसंपर्क अभियान
जिम्मेदार अधिकारी बोले, जांच होने के बाद किया जाएगा कार्यवाही
जनसंदेश न्यूज
मीरजापुर। रंग है, रूट है और है रुबाब है। अरे भई नेता बनने का गजबे सा ख्वाब है। अब सत्ताधारी दल के है तो का नियम और का कानून, सब के सब नतमस्तक और मेहरबान है। काहिल नेताजी की अनपढ़ों वाली हरकत अब जनता को हजम नही हो रहा है। कहने को तो यह प्राथमिक विद्यालय धरमदेवां है, जहां से बच्चों को क ख और ग पढ़ाया जाता है। इसी विद्यालय से बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की शुरूआत होती है, लेकिन अब यह विद्यालय भाजपा के नेताजी का दफ्तर बन गया।
इस दफ्तर में नेताजी द्वारा कार्यकर्ताओं को जनता को मूर्ख बनाने की राजनीति का पाठ घोटाया जा रहा है। जिस स्कूल से बच्चों के भविष्य का निर्माण होता है, उसी स्कूल में भाजपा के नेता अपना बैठक कर रहे है। कुर्सी सरकारी, मेज सरकारी लेकिन उसपे विराजमान भाजपा के नेता अभिषेक त्रिपाठी अपने कार्यकर्ताओं को अंग्रेजी वाली पॉलिटिक्स की क्लास में ए, बी और सी पढ़ा रहे है। अब यह सत्ता का शुरूर है, उनके आगे तो हर कोई मजबूर है।
बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के नेता अभिषेक त्रिपाठी पूर्व माध्यमिक विद्यालय छटहां पहुँचे। अब सत्ता की हनक और फॉर्च्यूनर कार की धमक के आगे सरकारी काम कर रहे प्रधानाचार्य अपनी कुर्सी छोड़ भाग खड़े हुए। थोड़ी देर बाद विद्यालय में प्रधानाचार्य के मेज व कुर्सी पर नेताजी और उनके कार्यकर्ता विराजमान हो गए, जिसके बाद पार्टी का बैठक हुआ। घंटो चले इस जनसंपर्क और बैठक में खुद नेताजी बिना मास्क के दिखे।
बैठक के बाद नेताजी दूसरों को कोरोना से बचने का सलाह मुफ्त में चिपकाकर चले गए। अब नेताजी को का मालूम कि सत्ता के हनक से प्रधानाचार्य जी डर सकते है, लेकिन कोरोना नही। कुछ दिन की जूता घिस राजनीति में नियम व कानून को अपने हनक के बलबूते दबा देने व अपने कुंठित फायदे के लिए शिक्षा के मंदिर का इस तरह से मजाक उड़ाना स्थानीय जनता को रास नही आ रहा है।
इस संबंध में एबीएसए शशांक शुक्ला ने कहा कि बिना प्रशासनिक अनुमति के विद्यालय प्रांगण में किसी तरह का कोई कार्यक्रम आयोजित नही कराया जाता है। इसकी जिम्मेदारी हेड मास्टर की होती है। मामला संज्ञान में आया है, इसकी जांच कराई जाएगी। जांच के बाद कार्यवाही किया जाएगा।
वहीं भाजपा नेता अभिषेक त्रिपाठी ने कहा कि जनसंपर्क के लिये प्रशासनिक अनुमति नही लेनी पड़ती है। हमने प्राथमिक विद्यालय में बैठक व जनसंपर्क किया। लोगों को इतना नही सोचना चाहिए।