कोड का खेला, सर्वे में झमेला, ग्रामीण इलाकों में बीपीएल के 35 हजार परिवारों को उबारने की कवायद

ईज ऑफ लिविंग सर्वे में एक नाम के दो गांव होने से भी संकट


सॉफ्टवेटर में गड़बड़ी के कारण सर्वेक्षण कार्य में बढ़ी मुश्किलें


जनपद के 21 ग्राम पंचायतों में नहीं है एक भी अंत्योदय परिवार



सुरोजीत चैटर्जी
वाराणसी। निर्धन परिवारों को गरीबी रेखा से उबारने और उनका जीवन स्तर बेहतर करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की ओर से चल रहा ‘ईज ऑफ लिविंग’ सर्वेक्षण सॉफ्टवेयर में खामी के कारण कवायद बाधित हो गया है। एक ओर जहां बीते साल से जारी यह सर्वे पूर्ण करने में वैश्विक महामारी कोरोना ने ब्रेक लगा दिया वहीं, एक ही नाम के दो-दो गांव अलग-अलग विकास खंड में होने और उनकी कोडिंग गलत दर्ज होने के चलते संबंधित ब्लॉकों में दोबारा सत्यापन कार्य कराने की स्थिति है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार की ओर से यह सर्वेक्षण व्यापक स्तर पर चल है। कुछ साल पहले अंत्योदय योजना के अंतर्गत कराये गये सर्वे को इसका आधार मानकर यह कार्य चल रहा है। उस दौरान सन 2011 की जनगणना के मुताबिक वाराणसी जनपद के सभी विकास खंडों को मिलाकर एक लाख 20 हजार 47 परिवार गरीबी रेखा से नीचे थे। आंकड़ों को मानें तो वह संख्या अब काफी कम हो चुकी है।


वर्तमान में ब्लॉकों में बीपीएल की श्रेणी के इन परिवारों की संख्या 35 हजार 113 ही रह गयी है। इन्हीं परिवारों को अंत्योदय श्रेणी से बाहर लाकर सामान्य आय वर्ग में लाने की कवायद है। इस कार्य में विकास खंड स्तरीय कर्मचारियों को सर्वेक्षण के लिए लगाया गया है। दावा है कि जिले में सर्वे का 95 फीसदी कार्य पूर्ण हो चुका है लेकिन काशी विद्यापीठ और चिरईगांव आदि ब्लॉकों में एक ही नाम के दो गांव होने के कारण मंत्रालय के संबंधित सॉफ्टवेयर में गलत कोड नंबर फीड होने के चलते आंकड़ों की अदला-बदली हो गयी है।


फिलहाल ऐसे प्रकरण सिर्फ दो-तीन विकास खंडों में ही होने की बात कही जा रही है। रमना नाम से एक गांव काशी विद्यापीठ विकास खंड में है और इसी नाम से दूसरा गांव चिरईगांव ब्लॉक में भी है। इस प्रकार के मामलों में पूरा डाटा ट्रांसफर होने के समस्या उत्पन्न हो गयी है। ऐसा नहीं है कि सभी ग्राम पंचायतों में अंत्योदय की श्रेणी में परिवार हैं। कई राजस्व गांवों में भी इस दायरे में आने वाले परिवार शामिल हैं।


जनपद में लगभग 21 गांव ऐसे हैं जहां अंत्योदय श्रेणी का एक भी परिवार नहीं है। उनमें रामपुर, चक नेवादा, ताड़ी, गोकुलपुर, शंकरपुर, बरथरा, जगासी पट्टी, खलिया, नाथीपुर, भुआलपुर, नखवां, शिवनाथपुर, पूरन पट्टी आदि हैं। पूर्व में कराये गये अंत्योदय योजना के सर्वे के आंकड़ों के आधार पर अबकी ईज ऑफ लिविंग सर्वेक्षण में 717 ग्राम पंचायतों के एक हजार 170 गांवों में 64 हजार 635 परिवारों का सत्यापन कर लिये जाने का दावा है। जिसके तहत विकास खंडवार सेवापुरी के 83 ग्राम पंचायत, आराजी लाइन के 116 गांव, पिंडरा के 96, काशी विद्यापीठ के 90, बड़ागांव के सभी 79 ग्राम पंचायत, चिरईगांव के 82, चोलापुर के 84,  हरहुआ के 87 और पिंडरा के 83 ग्राम पंचायतों का सर्वे किया जा चुका है।


चार माह तक बाधित रहा सर्वे: डीडीओ
- जनपद के विकास खंडों में चल रहे ईज ऑफ लिविंग सर्वे के नोडल अफसर जिला विकास अधिकारी (डीडीओ) रमाकांत तिवारी ने सर्वेक्षण की वर्तमान स्थिति की पुष्टि करते हुए बताया कि सॉफ्टवेयर में खामियों के कारण काशी विद्यापीठ और चिरईगांव ब्लाक के आंकड़े एक-दूसरे विकास खंड में स्थानांतरित हो जाने और एक ही नाम को दो-दो गांव अलग-अलग ब्लॉकों में होने के चलते डाटा में हुई गड़बड़ी का सत्यापन कार्य जारी है। कोरोना काल के चलते सर्वेक्षण का कार्य लगभग चार महीने तक बाधित रहा।


Popular posts from this blog

'चिंटू जिया' पर लहालोट हुए पूर्वांचल के किसान

लाइनमैन की खुबसूरत बीबी को भगा ले गया जेई, शिकायत के बाद से ही आ रहे है धमकी भरे फोन

नलकूप के नाली पर पीडब्लूडी विभाग ने किया अतिक्रमण, सड़क निर्माण में धांधली की सूचना मिलते ही जांच करने पहुंचे सीडीओ, जमकर लगाई फटकार