किसानों के भारत बंद ऐलान को जन भागीदारी संकल्प मोर्चे का समर्थन, जन अधिकार पार्टी देश मेें नहीं होनेे देंगे ठेके पर खेती 

अन्नदाता के हितोंं के लिए संघर्ष करेंगे कुशवाहा और राजभर 


लखनऊ। जन अधिकार पार्टी और भागीदारी संकल्प मोर्चे ने गुरुवार को बयान जारी करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने किसानों के विरुद्ध विध्वंशकारी कानून बनाया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त कर दिया है। उद्योगपतियों को खाद्यान्न की असीमित भण्डारण करने की छूट दे दी है और ठेके की खेती के माध्यम से किसानों को उनकी अपनी भूमि से वंचित करने की योजना बनायी है।


किसानों द्वारा आन्दोलित होने पर यद्यपि प्रधानमंत्री की ओर से यह घोषणा की गई है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त नहीं किया जाएगा, लेकिन जो बिल संसद ने पास किया है उसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए प्रधानमंत्री का वक्तव्य एक छलावा है। जब सरकार खाद्यान्न किसानों से खरीदेगी नहीं तो उसका भण्डारण भी नहीं करेगी। भण्डारण करने के लिए भी पूंजीपतियों को छूट दे दी गई है। जिससे कालाबाजारी बढ़ेगी। किसानों के उपज व्यापारियों द्वारा सस्ते दामों में क्रय किया जाएंगे और फिर बड़े व्यापारियों द्वारा बाद में महंगे दामों पर बेचा जाएगा। जिससे देश के समस्त उपभोक्ताओं को अनाज महंगे दामों मेंं मिलेगा।


केन्द्र सरकार के ये तीनों कानून अत्यन्त विध्वंशकारी हैं और देश के किसानों को गुलामी की तरफ ले जायेंगे। सरकार की इन नीतियों का विरोध जन अधिकार पार्टी के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की ओर से लगातार किया जा रहा है। ज्ञात हुआ है कि किसानों ने उपरोक्त कानूनों का विरोध करने के लिए 25 सितंबर यानी शुक्रवार को भारत बंद करने का ऐलान किया है। जन अधिकार पार्टी व भागीदारी संकल्प मोर्चा किसानों के साथ है और उनका समर्थन करती है। साथ ही शुक्रवार को होने वाले भारत बंद में हर तरह से उनके साथ खड़ी है। इसी के साथ जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं से यह अपील है कि वह आन्दोलन को पूरी तरह से कानून के दायरे में रहकर भागीदारी करेंगे।  


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