बाल श्रम व शोषण रोकना नैतिक कर्तव्य, ग्राम बाल संरक्षण समिति का हुआ पुर्नगठन


जितेन्द्र श्रीवास्तव
वाराणसी। महिला कल्याण विभाग जिला बाल संरक्षण इकाई की आराजी लाइन ब्लॉक के बेनीपुर ग्राम पंचायत स्थित प्राइमरी विद्यालय प्रथम में मंगलवार को हुई बैठक में ग्राम बाल संरक्षण समिति का पुर्नगठन किया गया। बताया गया कि बाल श्रम व शोषण रोकना समिति के लोगों का नैतिक कर्तव्य है। 


बैठक में बाल संरक्षण इकाई की निरुपमा सिंह ने समिति की संरचना एवं गठन के प्रक्रिया की जानकारी दी। बताया कि समिति के अध्यक्ष प्रधान होंगे। जबकि सक्रिय आंगनबाड़ी कार्यकत्री सचिव होंगी। प्रधानाध्यापक सदस्य होंगे। आशा एवं ग्राम पंचायत अधिकारी, अभिभावक, बालक व बालिका को मिलाकर कम से कम 10 से 12 सदस्य बनाये जायेंगे। 


समिति की जिम्मेदारी है कि गांव में बाल विवाह, बाल श्रम, बच्चों के साथ यौन शोषण आदि मुद्दों को चिह्नित कर कार्य करना। साथ ही अनाथ, बाल श्रमिक, गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चे (जिनके माता-पिता जिला कारागार में बंद हो), ऐसे बच्चे (जिनके परिवार की वार्षिक आय 46080 रुपये से अधिक न हो) आदि। ऐसे दो बच्चों को प्रतिमाह दो हजार रुपये न्यूनतम एक साल और अधिकतम तीन साल तक सहायता दी जाएगी। कानूनी प्रक्रिया के बाद ही बच्चे को गोद लिया जा सकता है, क्योंकि मौखिक रूप से गोद लेना अपराध की श्रेणी में आता है। साथ ही समिति का यह भी कर्त्तव्य होगा कि वह जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करेगी। 


ड्रॉप आउट बच्चों को चिह्नित करने की जिम्मेदारी भी समिति की होगी। काशी विद्यापीठ से प्रो. संजय ने बाल विवाह, यौन शोषण, महिला हिंसा, भेदभाव, लैंगिक असमानता आदि मुद्दे पर जानकारी दी। आह्वान किया कि इन सभी प्रकार की हिंसा के प्रति आप लोग आवाज उठाएं और हिंसा मुक्त गांव-परिवार बनाएं। बैठक में बिंदु सिंह, सुरेंद्र, रणविजय सिंह, आशीष सिंह, सरिता, अमर दुबे, प्राइमरी विद्यालय के प्रधानाध्यापक देवेश कुमार सिंह, एएनएम इंदुकला, आशा कार्यकत्री, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, अभिभावक, बालक एवं बालिकाएं उपस्थित थीं।


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