आरटीई के तहत प्रवेश होने के बावजूद फीस वसूलने वाले तीन विद्यालयों को नोटिस, आरटीआई कार्यकर्ता ने की थी शिकायत
जनसंदेश न्यूज़
बलिया। राइट-टू-एजुकेशन के तहत एडमिशन होने के बावजूद बच्चों के अभिभावकों से एडमिशन फीस वसूलना तीन निजी विद्यालयों को भारी पड़ गया। अधिवक्ता व आरटीआई कार्यकर्ता मनोज राय हंस के नेतृत्व में अभिभावकों की शिकायत पर बीएसए शिवनारायण सिंह ने तीनों विद्यालयों के खिलाफ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। ऐसे में तीनों विद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई लगभग तय मानी जा रही है।
वैसे इस तरह की गलती अन्य स्कूलों द्वारा भी पहले की जा चुकी है, लेकिन हर बार कार्रवाई के नाम पर सिर्फ स्पष्टीकरण ही मांगा गया है, जिसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। हालांकि उस समय बेसिक शिक्षाधिकारी कोई और हुआ करते थे, लेकिन इस बार बीएसए शिवनारायण सिंह है, जो कि ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में देखना यह है कि क्या तीनों विद्यालयों के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है या फिर पूर्व की भांति मामले को एक बार फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
तीनों विद्यालयों को जारी पत्र में बीएसए ने उल्लेख किया है कि अधिवक्ता मनोज राय हंस तथा अभिभावकों द्वारा शिकायत की गई है कि राइट-टू-एजुकेशन के तहत एडमिशन होने के बावजूद स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों से क्रमशरू 4950, 300 व 2000 रुपये की वसूली की गई है। अभिभावकगण द्वारा बीएसए के पास उपरोक्त विद्यालयों द्वारा दी गई रसीद भी प्रस्तुत की गई है। जिससे स्पष्ट होता है कि विद्यालय संचालकों द्वारा किस तरह राइट-टू-एजुकेशन का मखौल उड़ाया गया है तथा हर नियम-कानून का उल्लंघन किया गया है। उपरोक्त तीनों विद्यालयों की बात करें तो एक बेरूआरबारी ब्लाक का है, दूसरा रसड़ा के हिता का पुरा तथा तीसरा हनुमानगंज ब्लाक का एक निजी विद्यालय है।
मान्यता प्रत्यहरण की कार्रवाई करवाकर ही दम लेंगे
उपरोक्त विषय में लंबे समय से आंदोलनरत अधिवक्ता व आरटीआई कार्यकर्ता मनोज राय हंस ने बताया कि हर साल इस तरह की गलती कोई न कोई निजी विद्यालय द्वारा की जा रही है। मामला प्रकाश में आने के बाद जिम्मेदार बीएसए बस स्पष्टीकरण मांग कर चुप्पी साध लेते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होने देंगे, यदि स्कूल संचालक मान्यता प्रत्यहरण की कार्रवाई से बचना चाहते हैं तो उन्हें अभिभावक से अवैध रूप से वसूले गए फीस को वापस करने के साथ-साथ माफी भी मांगनी पड़ेगी। अन्यथा मान्यता प्रत्यहरण की कार्रवाई करवाकर ही दम लेंगे।