राम मंदिर शिलान्यास वाले दिन साकेत स्मृति दिवस मनायेंगे बौद्ध धर्मावलंबी, बोले, अयोध्या का प्राचीन नाम साकेत, मिले है बुद्ध के अवशेष


जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। सम्राट अशोक बौद्ध महासंघ के तत्वावधान में सारनाथ स्थित प्राचीन बोधि वृक्ष बुद्ध विहार अकथा में साकेत स्मृति दिवस मनाया गया। सर्वप्रथम भगवान बुद्ध के सम्मान में पंचशील दीप, पुष्प अर्पण किया गया तथा बुद्ध, धम्म, संघ देशना व पंचशील का बोध भंते धम्म विजय ने कराया। 
तत्पश्चात सम्राट अशोक बौद्ध महासंघ के संस्थापक चित्रप्रभा त्रिसरण ने कहा कि अयोध्या का प्राचीन नाम साकेत था। यहां चीनी धम्म यात्री ह्वेनसांग, फाह्यान थे। पहली बार अलेक्जेंडर कनिंघम ने पुरातात्विक आधार पर साकेत को अयोध्या से मिलाया था और इतिहास भी साक्षी है। खुदाई में तथा समतलीकरण के दौरान हमेशा बुद्ध के अवशेष मिले हैं। इस पर बौद्धों ने कई बार याचिका भी डाला, लेकिन उसे बिना सुने खारिज कर दिया गया। वर्तमान याचिका को खारिज कर आर्थिक दंड भी लगाया गया। यह संविधान का अपमान और निर्बल लोकतंत्र का परिचायक है।
आगे संस्थापक सी पी त्रिसरण ने बताया कि आज 5 अगस्त को पूरे भारत के बौद्ध धर्मावलंबी लॉकडाउन के मद्देनजर बुद्ध विहारों, अंबेडकर पार्कों और अपने अपने घरों पर यादगार के रूप में साकेत स्मृति दिवस मना रहे हैं। ताकि भविष्य में साकेत का इतिहास बरकरार रहे। यह हर साल 5 अगस्त को मनाया जाएगा। 
सिद्धार्थवर्धन ने कहा कि बौद्धों की वर्तमान मांग यह थी कि समतलीकरण में या खुदाई में प्राप्त अवशेषों को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित कराया जाए या बौद्धों को सौंप दिये जाएं। इसे भी नहीं सुना गया यह देश व राष्ट्र के लिए बहुत बड़ी विडंबना है। 
रावण सिंह शाक्य ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बौद्धों की याचिका को बिना सुने ही खारिज कर देना लोकतंत्र की हत्या है। साकेत स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में मुख्य रूप से संस्थापक चित्रप्रभा त्रिसरण, रावण सिंह शाक्य, आनंद स्वरूप महाराज, रंजीत मौर्य, सिद्धार्थवर्धन, शाक्यसिंह, जानकी मौर्य, सुनील, अनिल, नेमचंद मौर्य, सोनम राय, कलावती मौर्य, पार्वती देवी खुशी मौर्य, अनुराग, हर्षित, अतुल पाल, सागर शर्मा, अमन, कल्लू राजभर, लाट साहब, संघमित्रा मौर्य, धम्ममित्रा इत्यादि लोग मौजूद रहे।


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