मौत का सौदागर बना बीएचयू कोरोना वार्ड, झर-झर बहते आंसुओ के बीच संघ कार्यकर्ता ने सुनाई लापरवाही की दास्तान
कहा: चालीस साल से कर रहा हूँ संघ की सेवा, मोदी के चुनाव में रात-दिन एक कर दिया था, अब खटखटाऊगा कोर्ट का दरवाजा
जनसंदेश न्यूज़
वाराणसी। जिन कोरोना योद्धाओं के सम्मान के लिए पूरे देश ने दीये जलाए, थाली-ताली बजाई उन कोरोना योद्धाओं के लापरवाही के किस्से अब बहुत तेजी से बाहर आ रहे है और जनमानस में आक्रोश फैलता जा रहा है। ऐसी ही एक घटना घटी, ग्वालदास लेन, गोलघर निवासी बालकृष्ण दास गुजराती के साथ।
बालकृष्ण दास गुजराती ने फोन करके बताया कि उनके बड़े भाई जयकृष्ण दास गुजराती 63 वर्ष की तबियत खराब होने पर पहले वें उन्हें मारवाड़ी अस्पताल ले गये, लेकिन वहां पर उन्हें कहा गया कि जब आप इनके कोरोना निगेटिव होने की रिपोर्ट लेकर आएंगे, तभी हम इन्हे अस्पताल में भर्ती करेंगे। इसके बाद बालकृष्ण दास गुजराती अपने भाई को लेकर कौडिया अस्पताल गये। वहां भी यही उत्तर मिला। तत्पश्चात् वे मरीज को लेकर दीनदयाल अस्पताल गये, मरीज की हालत गंभीर होने के बावजूद जांच के लिए तीन घंटा तक बिठाए रखा गया।
इसके बाद इन्होंने अपने भाई को 11 तारीख को कबीरचौरा स्थित शिवप्रसाद गुप्त अस्पताल में दिखाया तो वहां डाक्टरों ने कहा कि इन्हे कुछ नही हुआ है, बस थोड़ी कमजोरी है। 13 जुलाई को जब मरीज जय कृष्ण दास गुजराती की तबियत ज्यादा खराब हुई तो उन्होंने डाक्टर राजीव खन्ना को दिखाया तो उन्होंने सलाह दी कि इनकी जांच प्राईवेट अस्पताल में कराओ रिपोर्ट जल्दी मिलेगी।
तत्पश्चात 13 तारीख को इन्होने लंका स्थित हेरिटेज हॉस्पिटल में मरीज की जांच करवाई। जिसका शुल्क ढाई हजार रूपये मरीज को देना पड़ा। कहा गया कि 24 घंटे मे रिपोर्ट मिल जाएगी, लेकिन रिपोर्ट 15 तारीख को मिली वो भी मरीज के परिजनों को नही सीधे सीएमओ को। उसी शाम मरीज के भाई के पास थाने से फोन आया कि आपके क्षेत्र को हाटस्पाट घोषित कर दिया गया है। जिसपर मरीज के भाई ने कहा कि अभी मरीज को अस्पताल नही ले जाया गया, लेकिन इलाके को हाटस्पाट घोषित कर सील कर दिया गया। 16 जुलाई की शाम को एक एम्बुलेन्स मरीज को लेने आती है, वो भी बिना स्ट्रेचर के, जब मरीज के भाई ने स्ट्रेचर की मांग की तो कहा गया कि हमारे पास नहीं है। आप खुद इंतजाम कर ले। किसी तरह से परिजन व्हील चेयर पर मरीज को लेकर एम्बुलेन्स तक पहुंचे जब एम्बुलेन्स बीएचयू पहुंचा तो मरीज को तन्हा सना तीन घंटे तक एम्बुलेन्स मंे ही रहने दिया गया, मरीज के परिजन अस्पताल प्रशासन से गिडगिडाते रहे, लेकिन उनकी किसी ने एक न सुनी।
इसके बाद किडनी का मरीज होने के बावजूद मरीज को आईसीयू में नही कोरोना वार्ड में रखा गया, इस पूरे समय में भर्ती होने से लेकर मृत्यु होने तक, मरीज का उसके परिजनों से कोई संपर्क नही करने दिया गया। जब 28 जुलाई को मरीज के भाई ने अस्पताल फोन किया तो कहा गया सब ठीक है आपका मरीज स्वस्थ हो रहा है, उसका डायलिसिस होने वाला है सात सौ रूपया जमे कीजिए।
परिजनों ने सात सौ रूपये जमा कर दिए, ठीक एक घंटे बाद फोन आता है कि आपके मरीज की तबियत खराब हो गयी है और 28 तारीख को फोन आता है कि आपके मरीज की मौत हो गयी है। मरीज के परिजनों ने सीधा आरोप लगाया है कि जय कृष्ण गुजराती की मौत का जिम्मेदार अस्पताल और जिला प्रशासन है, ये मौत नही हत्या है, हम इंसाफ के लिए अदालत जाएंगे। क्योकि हम संघ के कार्यकर्ता है चालीस साल से भाजपा की सेवा कर रहे है, लेकिन कोई मदद को आगे नही आया।
आपको बता दे कि बालकृष्ण दास गुजराती उर्फ अशोक भारतेंदुनगर सेवा भारती प्रमुख है तथा उनके साथ हुई इस दुखद घटना से क्षेत्रीय भाजपा कार्यकर्ताओं में बेहद रोष है।