लॉकडाउन से घर में बैठना मेरे लिए था बेहद ही मुश्किल : आलोक सेनगुप्ता 


जनसंदेश न्यूज़
इंदौर। आलोक सेनगुप्ता ने कहा, तैयारियों के समय में बाबासाहब के बारे में कई ऐसे अज्ञात तथ्यों के बारे में पता चलाए जिनसे मैं अनजान था। जब उनसे पूछा गया कि तीन महीने के लंबे अंतराल के बाद शूटिंग पर वापस लौटकर कैसा महसूस हो रहा है? कहा कि पूरे शहर में लॉकडाउन लगने की वजह से घर में बैठना मेरे लिए बेहद ही मुश्किल था। लेकिन शूटिंग शुरू होने के बाद नई शूटिंग गाइडलाइंस के साथ मैं सेट पर वापस लौटकर बेहद उत्साहित हूं। एण्ड टीवी के एक महानायक डॉ. बी. आर. आम्बेडकर में मेरे किरदार शंभु की जो ऊर्जा और जीवंतता है, मैं उसे वापस निभाने का इंतजार कर रहा था।
मैं शंभु की भूमिका निभा रहा हूं, जो भास्कर के पिता हंै और घर में सबसे बड़े हैं। वो एक ऐसे अंधराष्ट्रवादी पुरुष है, जिसे लगता है कि औरतें सिर्फ घर का काम संभालने के लिए बनी हैं। वह जल्द से जल्द अपने बेटे की शादी मंजुला से करवाना चाहता है ताकि वो रामजी से तगड़ा दहेज ले सके। वह शो में एक नकारात्मक किरदार है जो बाबासाहेब की जिंदगी की गतिशीलता को बदल देता है।
मैं बाबासाहेब का फॉलोअर हूं, एक महान व्यक्ति और प्रेरणादायक नेता होने के साथ ही उन्हें विभिन्न विषयों का भरपूर ज्ञान था। उनके ऊपर बन रहे शो का हिस्सा बनने का मौका मिलना मेरे लिए एक बहुत बड़ा क्षण है। मैं इससे ज्यादा और कुछ नही मांग सकता था। ये शो दर्शकों के बीच बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय है, और मैं इसका हिस्सा बनकर काफी खुश हूं।
हां, मुझे तैयारी की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा रहा जिसमें मैंने रामजी और बाबासाहेब के बीच के रिश्ते को समझने के लिए पहले के एपिसोड्स देखे। मैंने रामजी सकपाल के पारिवारिक वृक्ष के बारे में समझने के लिए कुछ किताबें भी पढ़ीं जो उनपर लिखी गई थीं। तैयारी की प्रक्रिया इतनी समृद्ध थी कि मुझे बाबासाहेब के बारे में कई अज्ञात तथ्यों के बारे में पता चला, जिसके बारे में मैंने पहले कभी सुना भी नहीं था।
मैंने एक महानायक डॉ बी.आर आम्बेडकर की शूटिंग शुरू कर दी है और अब तक शो की अद्भुत टीम के साथ काम करना एक शानदार अनुभव रहा है। शूटिंग के पहले दिन थोड़ा अलग महसूस हुआ क्योंकि वहां पर कई तरह के सुरक्षा उपाय थे। इसके साथ ही जितने भी स्टाफ मेंबर थे समय-समय पर उनके स्वास्थ्य पर पूरी नजर रखी जा रही थी। स्वच्छता बनाए रखने के लिए वहां पर हर जगह सैनिटाइजर्स की बोतलें रखी हुई थीं और सभी के तापमान की नियमित रूप से जांच की जाती थी। सेट पर मौजूद लोग नियमित रूप से अपने हाथों को धोते थे, अलग-अलग जगह पर सैनिटाइजर रखे गए थे और शूटिंग के सामान्य स्थानों को नियमित अंतराल पर धोया जाता है। 
बड़े होने के दौरान बाबासाहेब ने कई संघर्षों का सामना किया, जिसने उनकी जिंदगी के मायने पूरी तरह बदल दिये। और जो व्यक्ति उनके समर्थन में एक मजबूत स्तम्भ के रूप में खड़े रहे और उनका मार्गदर्शन किया, वो थे उनके गुरु पिता रामजी सकपाल। लेकिन आने वाला समय पिता और पुत्र दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण क्षण है, क्योंकि भीमराव अपने आस-पास होने वाले कुछ गलत कामों के खिलाफ एक स्टैंड लेने के लिए मजबूर हो जाता है। हां, कुछ प्रोजेक्ट हैं जो पाइपलाइन में हैं लेकिन अभी वो फाइनल होना बाकी हैं। तो मैं उनके बारे में बात करूंगा जब हम उसके लिए तैयार होंगे। तब तक मेरा पूरा ध्यान एण्ड टीवी के शो एक महानायक डॉ.बी.आर आम्बेडकर पर है।


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