क्या मनोज सिन्हा सक्रिय राजनीति में करेंगे वापसी? उपराज्यपाल बनते ही गाजीपुर में सियासी भूचाल! राजनीतिक विश्लेषकों की अपनी राय


जनसंदेश न्यूज 
गाजीपुर। पूर्व रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के जम्मू कश्मीर उपराज्यपाल बनते ही जिले में सियासी भूचाल आ गया है। राजनीति से जुड़ा एक तबका कयास लगाने में जुटा है कि सिन्हा की अब सक्रिय राजनीति में वापसी करना मुश्किल है। वहीं दूसरा तबका इसे दमदार वापसी से जोड़ रहा है। हालांकि, एक ही जिले से दो भाजपा के कद्दावर नेताओं को राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद की जिम्मेदारी मिलने को लेकर जिलेवासी गदगद है। पक्ष हो या विपक्ष सभी दलों से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं देने से पीछे नहीं हटे। टिप्पणी में सभी ने सरकार की इस फैसले का सराहना किया।  
केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा के जम्मू कश्मीर जैसे केंद्र शासित राज्य के उपराज्यपाल बनने से सरकार में उनका कद और बढ़ा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मनोज सिन्हा से कितना करीबी रिश्ता हैं।  जम्मू कश्मीर देश का अभिन्न अंग हैं, वहां की हर गतिविधि का देश पर सीधा प्रभाव पड़ता हैं। देश ही नहीं विश्व में भी राजनीतिक मंचो पर इस प्रदेश की समस्या को उठाया जाता हैं। ऐसे में यहां काफी सोच विचार के बाद मनोज सिन्हा को जिम्मेदारी दी गई हैं। सरकार में इनकी छवि ईमानदार और विकास पुरुषों में हैं। जम्मू कश्मीर में सरकार विकास करना चाहती हैं, वहां के लोगों में सरकार के प्रति सोच अच्छी बनानी हैं। जिसके लिए यह पूरी तरह फिट बैठते हैं। 
इसके अलावा जम्मु कश्मीर में जल्द चुनाव होने वाला हैं। इस मामले को लेकर राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि सरकार के लिए मनोज सिन्हा बहुत अहम है जो चुनाव में संजीवनी का कार्य कर सकते है। मोदी से रिश्ता तथा पार्टी में कद की बात करें तो 2014 में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद इन्हें दो पद  दूरसंचार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रेल राज्य मंत्री का दिया था। लेकिन जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल के तौर पर वो प्रधानमंत्री की पहली पसंद हैं। 
वहीं कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मनोज सिन्हा के आगे की पॉलिटिकल करियर को लेकर मानना है कि उन्हें अभी सक्रिय राजनीति में होना जिले सहित पूर्वाचल में  बीजेपी के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। लेकिन खाटी राजनीतिक मानते है कि मनोज सिन्हा 2024 का लोकसभा चुनाव जरूर लड़ेंगे। बीजेपी आलाकमान को  इस वक्त जम्मू कश्मीर में एक राजनेता की जरूरत थी, जिसमें किसी ईमानदार तथा प्रशासनिक अनुभव क्षमता वाले नेता को ही यहां की जिम्मेदारी दी जाय। 
बहरहाल, किसी नेता का सक्रिय राजनीति में लौटना पार्टी की लीडरशिप पर निर्भर करता है। नेता के कार्य के आधार पर पार्टी आलाकमान वापसी करा सकती है। इसके कई उदाहरण कांग्रेस में देखे जा सकते है। कांग्रेस पार्टी के दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को केरल का राज्यपाल बनाया गया और फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति में उतार दिया गया। मोती लाल बोरा से लेकर अर्जुन सिंह जैसे बड़े नाम शामिल है, जिन्हें सक्रिय राजनीति में रहते राज्यपाल बना दिया गया और फिर उन नेताओं ने पॉलिटिक्स में दमदार वापसी किया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में विकास कार्यो को लेकर काफी उत्सुक है। यहां स्थानीय लोगों को विकास के भरोसे ही विश्वास में लेना है। जिसके लिए मनोज सिन्हा को जिम्मेदारी दी गई है, क्योंकि जल्द ही यहां चुनाव होना तय है।  


 


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