क्या भीमराव की अलाव क्रांति से मिलेगी सभी को शिक्षा? जानने के लिए देखिएं अगला एपिसोड

एक महानायक डॉ.बी.आर आम्बेडकर में शिक्षा के लिए जारी है लड़ाई 

जनसंदेश न्यूज़
इंदौर। बाबा साहब ने बहुत ही कम उम्र में सभी की शिक्षा के समान अधिकारों के लिए लड़ाई शुरू कर दी थी। उनका विश्वास था कि यदि एक व्यक्ति भी गांव से पढ़ाई करता है तो पूरा गांव शिक्षित है। वह एक व्यक्ति समाज के लिए बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है। शिक्षा अधिकार के लिए लड़ने वाले बाबासाहब चाहते थे कि उनके समुदाय के बच्चे भी उसी स्कूल में पढ़ाई करें जिसमे अन्य बच्चे पढ़ रहे हैं।


सेठजी (सुनील दत्त) द्वारा स्थापित की गई अन्यायपूर्ण शिक्षा प्रणाली के खिलाफ और अपनी जाति के बच्चों के मन में आशा जगाने के लिए बाबासाहब ने स्कूल के बाहर अलाव जलाई। शिक्षा प्रणाली की लड़ाई के लिए उनकी अटूट भावना को देखते हुए, आम्बेडकर गुरूजी ने एक दृढ़ निश्चय करते हुए अपने गांव के लोगों से यह आग्रह किया कि वो अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजें। लेकिन बाबा साहब के इस कदम से सेठजी और चाय वाला और अधिक नाराज हो जाते हैं। 


आगामी एपिसोड्स के बारे में बात करते हुए जगन्नाथ निवानगुने ने कहा, बाबा साहब सभी के लिए शिक्षा में विश्वास करते थे। उन्होंने हमेशा इस बात का प्रयास किया कि सभी को बिना किसी भेदभाव के समान अवसर मिले। एक महानायक डॉ. बी. आर आम्बेडकर के आगामी एपिसोड्स में दर्शकों के सामने इसी बात को दिखाया जाएगा, जहां सेठजी और चायवाला गांववालों के कान भरते हैं और उनसे अपने बच्चों को उस स्कूल में न भेजने के लिए कहते हैं जहां भीमराव स्कूल के खिलाफ विद्रोह करता है। 
सेठजी ने क्या किया है यह सुनकर भीमराव स्कूल के सामने लकड़ियों का ढेर जलाते हैं और यह इस बात का प्रतीक होता है कि जब तक ये लकड़ियां जल रही हैं तब तक उनके समुदाय में अच्छी शिक्षा की उम्मीद जगी रहेगी। शिक्षा की लड़ाई के लिए भीमराव के अथक प्रयासों को देखकर क्या सेठ जी उसे सफल होने देंगे?  
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