यूपी में अघोषित आपातकाल सरीखा हो गया है कोरोनाकाल

खतरे में लोकतंत्रः जनता की आवाज और मीडिया का गला-दोनों घोंटा जा रहा


सीधी बात : पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्‍लू


० बेची जा रहीं रेलवे की पुरानी पटरियां, जनता को दिखाया जा रहा बुलेट ट्रेन चलाने का सब्जबाग


० बड़ी संख्या में लोगों को कोरोना पाजिटिव होना ही था तो अर्थव्यवस्था को पंगु क्यों बनाया गया?


० दुनिया का एक भी देश बता दीजिए जहां भूख-प्यास से बेहाल कोई गर्भवती महिला पैदल चली हो



अश्वनी कुमार/आरिफ हासमी


वाराणसी। मनोज सिंह डब्लू चंदौली में सपा के सिर्फ एक नेता भर नहीं। वो ऐसे शख्स हैं जिनका दिल इंसानियत के लिए धड़कता है। कोरोना का संकटकाल आया तो गरीबों और जरूरतमंदों की मदद में सबसे आगे रहे। इन्हें लगता है कि संकट के इस दौर में यूपी के लोगों को एकजुट करने की बजाय योगी सरकार कोरोना वायरस का इस्तेमाल ज़्यादा से ज़्यादा शक्तियां अपने हाथ में समेटने और अपने खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने में कर रही है। वो कहते हैं,-यूपी में अघोषित आपातकाल है, जो इंदिरा गांधी की इमरजेंसी से भी ज्यादा भयावह और खतरनाक है। मीडिया का गला घोंटा जा रहा है और आम जनता की आवाज भी।


पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू मंगलवार को जनसंदेश टाइम्स के दफ्तर में आए। उन्होंने कोरोना की महामारी समेत तमाम सियासी मुद्दों पर खुलकर बात की। पेश है बातचीत के अंश।



० कोरोना ने नेता को कितना बदला है? क्या हैं नई चुनौतियां?


-सब कुछ बदल गया है। वर्चुवल संवाद पर ज्यादा जोर है। हर बात रिकार्ड हो रही है। तमाम बदलाओं के बावजूद हम जनता तक पहुंच रहे हैं। इतना जरूर कहूंगा कि इस बीमारी की आड़ में सरकार और सत्तारूढ़ दल के इलाकाई नेता खुद को मजबूत करने में जुटे हैं, क्योंकि वह पहले से ही आरामदायक स्थिति में हैं। मौकापरस्त कोशिशों को जनता जानती है और समझती भी है। सरकार भले ही मीडिया का गला घोंटने में जुटी है, लेकिन तथ्यों को छुपाने और एकपक्षीय सूचनाओं को खड़ा करने की कोशिश कामयाब नहीं होगी। सरकार लाख कोशिश करे, पर वो महामारी की आड़ लेकर समाज और विपक्ष को कतई कमजोर नहीं कर सकती है।


० योगी सरकार का दावा है कि कोरोना के संकटकाल में हर जरूरतमंद के पास मदद पहुंची। इस दावे में आप कितना यकीन करते हैं?


- हर किसी का एक ही एजेंडा है और वह है वायरस। प्रायोरिटी जीवित रहने की है। मगर चिंता की बात यह है कि योगी सरकार इस हालात का गलत इस्तेमाल कर रही है। वो झूठ बोलती है। सरकार चाहती तो एक भी प्रवासी मजदूर पैदल नहीं आते। खौफनाक मंजर कहीं देखना नहीं पड़ता। कोरोना के मामले में सरकारी योजनाएं फिसड्डी साबित हो रही हैं। सरकार को सब पता है कि कोरोना का संक्रमण कितना और कहां तक है? इस बीमारी के खौफनाक साए को छिपाया जा रहा है। यकीन न हो तो चंदौली आइए। धान के कटोरे में लोगों पर कोरोना आफत बनकर आया है तो जनप्रतिनिधि अपने घरों में छिप गए हैं। हालात बेकाबू हो रहा है तो योगीजी भी पीएम के पीछे खड़े होकर मोदीजी का मार्गदर्शन प्राप्त करने का राग अलाप रहे हैं। दोनों बातें अब नहीं चल सकतीं।



० प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मानते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने कोरोना पर नियंत्रण के मामले में दुनिया के सभी विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है?


-भाजपा सरकार का काम देखिए। कहीं कुछ ढूंढे नहीं मिलेगा। जनता जानती है कि भाजपा के लोग क्या कर रहे हैं? दुनिया का एक भी देश बता दीजिए जहां भूख-प्यास से बेहाल कोई गर्भवती महिला पैदल चली हो?  सरकार सिर्फ बहाने बनाती रही है। अब वो जनता को शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नसीहत दे रही है। सूबे में सही इलाज का कहीं कोई इंतजाम नहीं है। अगर बड़ी संख्या में लोगों को कोरोना पाजिटिव होना ही था तो अर्थव्यवस्था को पंगु क्यों बनाया गया?


० लेकिन यूपी में कोरोना संक्रमण की दर काफी कम है? सरकारी मशीनरी काफी निगरानी बरत रही है?


-बस लच्छेदार बातें सुनिए। आंकड़े पढ़िए। कौन सी निगरानी थी कि हम भूखे-प्यासे मजदूरों को सड़कों पर चलते देखते रहे। चाहकर भी कुछ नहीं कर पाए। सपा कार्यकर्ताओं ने प्रवासी श्रमिकों और जरूरतमंदों की मदद में पूरी ताकत झोंक दी। यह सब किसी को नहीं दिखा। सरकार ने अंधविश्वास का दीपक जलवाया और ढोल-मजीरा बजवाया, लेकिन उपाय कुछ भी नहीं किया। भाजपा सरकार की कुनीति का नतीजा है कि देश आज गंभीर आर्थिक संकट है। चंदौली की तो बात ही न कीजिए। इस जिले के मंत्री और सत्तादल के नेताओं के गायब होने पर ढूंढने के लिए जनता को पोस्टर लगाना पड़ता है। सियासी बहुरुपियों की कलई अब खुलने लगी है।  



० योगी सरकार का दावा है कि यूपी में जब से भाजपा सत्ता में आई है तब से विकास के पिछले सभी रिकार्ड टूट गए?


-बनारस को देखिए। मोदीजी यहीं से सांसद हैं। उन्होंने क्योटो बनाने का ऐलान किया था। बुलेट ट्रेन चलवाने की बात कही थी। जनता ने बड़े-बड़े सपने देखे। लेकिन सपनों से क्या होता है। बारिश में बनारस आइए, गोदौलिया पर क्योटो का नजारा देखने को मिल जाएगा। रही बात बुलेट ट्रेन की तो सरकार पुराने गेज की पटरियां उखड़वा कर बेच रही है। वेतन देने के लिए पैसा नहीं है। देश के तमाम धन्नासेठ सारा धन हड़पकर विदेश में बैठ गए हैं। सरकार की हालत ठन-ठन गोपाल जैसी हो गई है और ख्वाब जन्नत बनाने का दिखाया जा रहा है।


० योगी सरकार का यह भी दावा है कि उसने दो हजार करोड़ रुपये का विकास कार्य धरातल पर उतारा है?


-आप चंदौली आइए। जिले की कोई भी सड़क देख लीजिए, सब कुछ दिख जाएगा। विकास भी, और विनाश भी। एक बार जिस रास्ते से गुजर जाएंगे, दोबारा जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे। चंदौली के सांसद कैबिनेट के हिस्सा हैं। कोई उनसे यह सवाल करने वाला नहीं है कि अब तक उन्होंने किया क्या है? नहरें बदहाल हैं। खेत तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। चंदौली में बेरोजगार युवाओं की जितनी बड़ी फौज है, उतनी शायद ही किसी जिले में देखने को मिलेगी। लाचारी में युवा गलत रास्ते टटोल रहे हैं। आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। चंदौली का ऐतिहासिक पालिटेक्निक कालेज बीमार हो गया, जिसका इलाज करने के लिए योगी सरकार के पास धन ही नहीं है। विकास के नाम पर चंदौली में जो भी धन आ रहा है वो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। आप किसी गांव में जाइए। शौचालय स्टोर की तरह इस्तेमाल किए जा रहे हैं। विकास का जितना बदसूरत माडल इन दिनों चंदौली में दिख रहा है, वैसा शायद ही कहीं देखने को मिलेगा।


 


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